संसद में अमित शाह ने कांग्रेस को धर्म के आधार पर भारत के विभाजन का दोषी (guilty of partition of India on the basis of religion) बताया।
संघ की स्थापना 1925 में (RSS established in 1925) और हिन्दू महासभा की 1905 में हुई (Hindu Mahasabha was established in 1905) । भारत का विभाजन 1947 में हुआ (India was partitioned in 1947)। हिन्दू महासभा या आरएसएस ने भारत के विभाजन का विरोध करते हुए कोई आंदोलन किया था क्या ?
आंदोलन छोड़िये, इन्होंने विभाजन के विरुद्ध कोई प्रस्ताव भी पास किया था क्या ? इसके उलट इन संस्थाओं ने साम्प्रदायिक वैमनस्य और ‘द्विराष्ट्र सिद्धांत’ के विचार को खुलकर हवा दी थी।
अमित शाह ने आरएसएस कार्यकर्ताओं को दशकों से पढ़ाये गए मिथ्या पाठ को इस तरह दोहराया गोया उन्हें विभाजन का बड़ा गम हो और वे अभिभाजित भारत की मुस्लिम आबादी के साथ सद्भाव सामंजस्य और समान अधिकारों के साथ रहने के तैयार रहे हों।

एक भी आरएसएस वर्कर अपनी अन्तरात्मा में झांक कर यह नहीं कह सकता कि भारत विभाजन से पूर्व उनकी संस्था मुसलमान विरोधी नहीं थी या भारत विभाजन न होता तो वे हिंदुत्व की राजनीति न करते या ‘हिन्दू राष्ट्र’ उनका स्वप्न ना होता।
अमित शाह ने संसद में शाखा-ज्ञान बघारा है, इतिहास नहीं।
इतिहास यह है कि कांग्रेस विभाजन स्वीकारने को मजबूर थी। हिंदुत्ववादियों, मुस्लिम लीग और अंग्रेजों ने भारत का विभाजन किया था।
मधुवन दत्त चतुर्वेदी
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