यूरोप के दो बड़े जनसमूहों के एक अध्ययन में पाया गया है कि अवसादग्रस्त लोगों की आंत में बैक्टीरिया की कई प्रजातियां मौजूद नहीं होती हैं। बैक्टीरिया की अनुपस्थिति किसी बीमारी की वजह से हो या यह अनुपस्थिति किसी बीमारी को जन्म देती हो लेकिन तथ्य यह है कि आंत के कई बैक्टीरिया द्वारा बनाए गए पदार्थ तंत्रिकाओं के कार्य और मिज़ाज को प्रभावित करते हैं।
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पूर्व में किए गए कुछ छोटे-छोटे अध्ययनों में पाया गया था कि अवसाद की दशा में आंत के बैक्टीरिया की स्थिति में बदलाव आता है।
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Researchers also found the depressed people had an increase in bacteria implicated in Crohn disease, suggesting inflammation may be at fault.
इस अध्ययन को बड़े समूह पर करने के लिए कैथोलिक विश्वविद्यालय, बेल्जियम के सूक्ष्मजीव विज्ञानी जीरोन रेस (Jeroen Raes, a microbiologist at the Catholic University of Leuven in Belgium) और उनके सहयोगियों ने 'सामान्यसूक्ष्मजीव संसार के आकलन के लिए 1054 बेल्जियम नागरिकों को चुना। इनमें 173 लोग अवसाद से ग्रसित रहे थे या जीवन की गुणवत्ता के सर्वेक्षण में उनकी हालत घटिया पाई गई थी। इसके बाद टीम ने अन्य प्रतिभागियों से इनके सूक्ष्मजीव संसार की तुलना की। इस अध्ययन में स्वस्थ लोगों की तुलना में अवसाद ग्रस्त लोगों के सूक्ष्मजीव संसार में दो प्रकार के बैक्टीरिया (कोप्रोकॉकस और डायलिस्टर) नहीं पाए गए। शोधकर्ताओं ने अवसादग्रस्त लोगों में क्रोह्न रोग के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले बैक्टीरिया की वृद्धि भी देखी।
Effect of intestinal microbe on brain | how gut bacteria affects the brain and body
“The neuroactive potential of the human gut microbiota in quality of life and depression” शीर्षक से यह शोध 4 फरवरी 2019 को nature के nature microbiology अनुभाग में प्रकाशित हुआ है।
अक्सर एक आबादी में सूक्ष्मजीव संसार सम्बंधी परिणाम अन्य समूहों से मेल नहीं खाते हैं। इसके लिए टीम ने 1064 डच लोगों के सूक्ष्मजीव संसार के आंकड़ों पर भी गौर किया। वहां भी अवसादग्रस्त लोगों में वही दो बैक्टीरिया प्रजातियां नदारद थीं।
बैक्टीरिया को मनोदशा से जोड़ने की कड़ी को समझने के लिए रेस और उनके सहयोगियों ने तंत्रिका तंत्र कार्य के लिए महत्वपूर्ण 56 पदार्थों की एक सूची तैयार की, जिनका उत्पादन या विघटन आंत के बैक्टीरिया करते हैं।