लॉकडाउन में सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं का उत्पीड़न दमन - रिहाई मंच

hastakshep
29 Apr 2020
लॉकडाउन में सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं का उत्पीड़न दमन - रिहाई मंच

Harassment of social workers and advocates in lockdown - release platform

सूरत के मानवाधिकार कार्यकर्ता अधिवक्ता बिलाल काग़ज़ी और इलाहाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता जीशान रहमानी पुलिसिया दमन के निशाने पर

इलाहाबाद में मुस्लिम घरों पर कोरोना कोविड-19, मिलिए मत कोरोंटाइन किया हुआ घर है, के लगाए जा रहे हैं पोस्टर

मुस्लिम घरों पर जिस तरह से कोरोना को लेकर पोस्टर लगाए जा रहे हैं क्या यह पोस्टर हिन्दू समुदाय के घरों पर भी लगाया जा रहा है- संतोष सिंह अधिवक्ता हाईकोर्ट इलाहबाद

लखनऊ 29 अप्रैल 2020. रिहाई मंच ने समाजिक कार्यकर्तओं और अधिवक्ताओं के उत्पीड़न को दमन की कार्रवाई बताया. मंच ने कहा कि सूरत के मानवाधिकार कार्यकर्ता व  अधिवक्ता बिलाल काग़ज़ी और इलाहाबाद के समाजिक कार्यकर्ता जीशान रहमानी और सारा जैसे लोगो को पुलिस लगातार डराने-धमकाने का कार्य कर रही है. वहीं जामिया एल्युमिनी के प्रेसिडेंट शिफाउरहमान की गिरफ्तारी को ऐसे ही दमन की कड़ी कहा.

मंच ने कहा कि इलाहाबाद पुलिस द्वारा जिस तरह से विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिद को कोरोना के नाम पर जेल भेजने और उन पर जब सामाजिक कार्यकर्त्ता जीशान रहमानी द्वारा सवाल उठाया गया तो जिस तरह से पुलिस इसको लेकर बयान दे रही है कि वह झारखंड में छिपा हुआ है ऐसे में यह उनके जीवन को लेकर एक गंभीर मामला है.

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि सूरत के मानवाधिकार कार्यकर्ता बिलाल काग़ज़ी (Surat's human rights activist Bilal Kagazi,) को लगातार पुलिस उत्पीड़न का शिकार बना रही है. कागजी लगातार मानवधिकार उत्पीड़न के सवालों को उठाते रहे हैं जिसकी वजह से वह पुलिस के निशाने पर हैं.

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद के प्रोफेसर शाहिद जिनको आगे तब्लीग से जोड़ा गया और जब उनकी कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आ गई तो उसके बाद भी उनकी गिरफ्तारी उन धाराओं वाले मुकदमे में की गई जो कf सात साल की सजा से कम वाले थे. यह बताता है कि पुलिस उनके खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रही है. इस मामले के वकीलों ने तो यहां तक कहा है कि उनकी सुनवाई करने वाले जज ने कहा कि उन्हें देशहित में जेल भेजा गया.

मुहम्मद शुऐब ने इलाहाबाद प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीएए आंदोलन से जुड़े उमर खालिद और फ़ज़ल खां को थाने बुलाकर जिस तरह से उनकी गिरफ्तारी की गई उसके बाद प्रोफेसर शाहिद के सवाल को सिर्फ सोशल मीडिया पर लिखने के नाम पर जिस तरह से जीशान रहमानी के बारे में खबरें छप रही है कि वह झारखंड में छिपकर मैसेज कर रहे हैं, यह गंभीर सवाल है. एक व्यक्ति की पूरी छवि को अपराधिक बनाई जा रही है जबकि वह एक आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ता हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट अधिवक्ता संतोष सिंह ने सवाल किया कि इलाहबाद में मुस्लिम घरों पर जिस तरह से यह पोस्टर लगाए जा रहे हैं कि कोरोना कोविड 19, मिलिए मत कोरोटाइन किया हुआ घर है क्या यह पोस्टर हिन्दू समुदाय के घरों पर भी लगाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति की गरिमा के खिलाफ है. कहीं न कहीं मुसलमानों को नीचा दिखाने की कोशिश हो रही है.

उन्होंने सवाल किया कि क्या कनिका कपूर के घर के सामने भी पोस्टर लगाया गया.

उन्होंने कहा कि जब वह व्यक्ति कोरोनटाइन पीरियड पूरा करके आ चुका है तो वह अगर सेल्फ कोरोनटाइन कर रहा है तो इस तरह के पोस्टर लगाकर उसके मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है. कोरोनटाइन के बाद कोरोनटाइन का कोई प्रावधान नहीं है.

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