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दूध में मिलावट : इस नई तकनीक से 30 सेकंड में पता चलेगा

नई तकनीक से 30 सेकंड में ‘दूध का दूध और पानी का पानी’। भारतीय शोधकर्ताओं ने विकसित किया दूध में मिलावट का पता लगाने का उपकरण (milk adulteration device)। विकासशील देशों में बड़ी चुनौती रही है दूध में मिलावट

दूध में मिलावट : इस नई तकनीक से 30 सेकंड में पता चलेगा

दूध में मिलावट का पता लगाने का उपकरण

नई तकनीक से 30 सेकंड में ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ 

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भारतीय शोधकर्ताओं ने विकसित किया दूध में मिलावट का पता लगाने का उपकरण

नई दिल्ली, 28 मार्च 2023: दूध में मिलावट एक चुनौती है और इसके कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारतीय शोधकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है, जो दूध का दूध और पानी का पानी’ कहावत को सही अर्थों में चरितार्थ कर सकता है। 3डी पेपर के उपयोग से बनाया गया यह एक पोर्टेबल उपकरण है, जो महज 30 सेकंड के भीतर दूध में मिलावट का पता लगा सकता है। 

आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है उपकरण

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित इस उपकरण की मदद से दूध का परीक्षण घर पर भी आसानी से किया जा सकता है। यह उपकरण यूरिया, डिटर्जेंट, साबुन, स्टार्च, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, सोडियम-हाइड्रोजन-कार्बोनेट और नमक सहित मिलावट के लिए आमतौर पर उपयोग होने वाले पदार्थों का पता लगा सकता है।

दूध की शुद्धता का परीक्षण करने के लिए पारंपरिक प्रयोगशाला-आधारित विधियों (Conventional laboratory-based methods for testing the purity of milk), जो महँगी और समय लेने वाली हैं, की तुलना में यह अपेक्षाकृत किफायती तकनीक है। पानी, ताजा रस और मिल्कशेक जैसे अन्य तरल पदार्थों का परीक्षण करने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। मिलावट के परीक्षण के लिए किसी भी तरल पदार्थ का केवल एक मिलीलीटर का नमूना पर्याप्त होगा।

आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पल्लब सिन्हा महापात्रा नेतृत्व में किया गया यह अध्ययन शोध पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है। 

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इस अध्ययन में प्रोफेसर महापात्रा के शोधार्थी सुभाशीष पटारी और डॉ प्रियंकन दत्ता शामिल हैं। 

डॉ महापात्रा बताते हैं कि "3डी पेपर-आधारित माइक्रोफ्लुइडिक उपकरण की संरचना सैंडविच की तरह है, जिसके ऊपर एवं नीचे के आवरण के बीच एक मध्यवर्ती परत होती है। यह 3डी डिजाइन सघन तरल पदार्थों के समान गति से प्रवाह के अनुकूल है। कागज को अभिकर्मकों (reagents) के साथ संसाधित किया जाता है और सूखने दिया जाता है। सुखाने के बाद दोनों पेपर परतें इसके समर्थित किनारों से चिपक जाता है, और आवरण दोतरफा टेप से चिपका रहता है। इस डिजाइन में व्हाटमैन फ़िल्टर पेपर ग्रेड-4 (Whatman Filter Paper Grade-4) का उपयोग किया गया है, जो तरल प्रवाह में सहायता करता है, और अधिक अभिकर्मकों के भंडारण को सक्षम बनाता है।”

“सभी अभिकर्मकों को उनकी घुलनशीलता के आधार पर आसुत जल या इथेनॉल में घोल दिया जाता है। वर्णमिति पहचान तकनीकों का उपयोग करके विभिन्न तरल नमूनों में मिलावट का पता लगाया जाता है। परीक्षण से यह पाया गया है कि इस विधि में दूध घटकों के बजाय अभिकर्मक केवल विशिष्ट मिलावट के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। इसलिए, यह विश्लेषणात्मक उपकरण तरल खाद्य सुरक्षा की निगरानी में मदद कर सकता है। इस प्रकार, यह उपकरण दूरस्थ क्षेत्रों में भी आसानी से दूषित दूध का पता लगाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है,” डॉ पल्लब महापात्रा बताते हैं।

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विकासशील देशों में बड़ी चुनौती रही है दूध में मिलावट

दूध स्वस्थ जीवन शैली के लिए सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों में से एक है, और फिर भी यह दुनिया में सबसे अधिक मिलावटी खाद्य पदार्थ है। दूध में मिलावट एक बढ़ता हुआ खतरा है, खासकर भारत, पाकिस्तान, चीन और ब्राजील जैसे विकासशील देशों में दूध की मिलावट बड़ी चुनौती रही है। दूषित दूध के सेवन से किडनी की समस्या, शिशु मृत्यु, आँत संबंधी जटिलताएं, डायरिया और यहाँ तक कि कैंसर जैसी चिकित्सीय जटिलताएं हो सकती हैं। 

(इंडिया साइंस वायर)

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Milk adulteration: With this new technique, it will be known in 30 seconds

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