हिंदी कंप्यूटर लेखन की समस्याएं और समाधान

hastakshep
09 Oct 2021
हिंदी कंप्यूटर लेखन की समस्याएं और समाधान

Hindi computer writing problems and solutions

तकनीकी विकास ने हमारा काम लगातार आसान किया है। हाथ से लिखने के बजाय टाइपराइटर से लिखना अधिक सुविधाजनक हुआ और टाइपराइटर की तुलना में कंप्यूटर पर लिखना। फिर भी हर दौर की कुछ समस्याएं रही हैं जिनके समाधान के लगातार प्रयास भी किए जा रहे हैं। इस आलेख में मैं कंप्यूटर पर हिंदी लेखन की कुछ समस्याओं की ओर आपका ध्यान बिंदुवार आकृष्ट कराने और उसके साथ ही कुछ समाधान भी प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा।

यूनीकोड के आरंभ के पहले कंप्यूटर पर हिंदी में काम करने के लिए अनेक फौंट विकसित किए गए। लेकिन अंग्रेजी के विपरीत हिंदी में शब्दों, मात्राओं और संयुक्ताक्षरों की बड़ी संख्या के चलते कीबोर्ड पर सबको एक साथ समेटना संभव नहीं हुआ। फलतः अधिक उपयोग में आने वाले शब्दों को मुख्य कीबोर्ड पर जगह देकर शेष को न्यूमेरिक की के माध्यम से लिखने की व्यवस्था बनाई गई। इस क्रम में विकसित किए गए फौंट में कुछ कुंजियों का अंतर बना रहा और अंग्रेजी की तरह एकरूपता नहीं विकसित की जा सकी।

हिन्दी कम्प्यूटिंग : कुछ बाधाएं और कुछ उपाय -

व्यवहार में सर्वसुलभ गैर-यूनीकोड फौंट के बीच वाकमैन चाणक्य फौंट मुझे सबसे अच्छा लगा। इसलिए कि इसमें मुख्य कीबोर्ड पर होने के कारण कोष्ठकों का उपयोग आसान होता है जिसकी धाराप्रवाह लेखन के दौरान काफी जरूरत पड़ती है। हां, इस फौंट में इस कारण द्ध और ऋ को न्यूमेरिक में डालना पड़ा है। इनमें से द्ध को तो द + ् + ध लिखकर और बाद में Find & Replace के जरिए एक साथ बदलकर आसानी से काम किया जा सकता है लेकिन ऋ के लिए बार-बार न्यूमेरिक में जाना कष्टकर और गति को कमजोर करने वाला होता है। दूसरी समस्या ध को लेकर है जिसे दूसरे फौंट के विपरीत इस फौंट में पूर्णाक्षर लिखा जाता है। तीसरी समस्या त्र को लेकर है जिसे इस फौंट में अन्य फौंट के विपरीत अर्धाक्षर लिखा जाता है जबकि उसका उपयोग बहुत कम होता है।

वाकमैन चाणक्य फौंट में मैं दो सुधार प्रस्तावित करता हूं। पहला, ध और त्र को वाकमैन चाणक्य में भी दूसरे फौंट की तरह ही (अर्थात ध को अर्धाक्षर और त्र को पूर्णाक्षर) लिखा जाय। और दूसरा तथा सबसे महत्वपूर्ण सुधार ऋ के संबंध में किया जाना चाहिए जिसे रु की जगह लिखा जा सकता है। जिस तरह वाकमैन चाणक्य में फ लिखा जाता है उसी तरह रु को भी लिखा जा सकता है।

अब यूनीकोड फौंट की बात की जाय। इससे हिंदी लेखन की बहुत सारी समस्याओं का समाधान हुआ है लेकिन कई समस्याओं के चलते यह आज भी कार्यालयों में या प्रकाशकों के बीच उतना लोकप्रिय नहीं हो पाया है। लेकिन भविष्य यूनीकोड का ही है इसलिए इस पर विस्तार से चर्चा करना चाहूंगा।

इन्सक्रिप्ट के लगातार विकास के जरिए यूनीकोड फौंट में हिंदी लेखन को काफी आसान बना दिया गया है। इसके लिए इसे विकसित करने वाली टीम(मों) की जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है।

लेकिन शायद कोई भी चीज स्वयंसंपूर्ण नहीं होती है। इसलिए किसी भी चीज में विकास की गुंजाइश प्रायः हमेशा बनी रहती है ताकि उसे अधिकाधिक उपादेय बनाया जा सके। इसलिए इन्सक्रिप्ट कीबोर्ड में मौजूद रह गई कमियों या समस्याओं पर विचार करना उचित होगा।

इन्सक्रिप्ट कीबोर्ड में अब भी सबसे बड़ी समस्या विराम चिह्नों के प्रयोग की है। यह सच है कि अंग्रेजी में जाकर उन्हें लिखा जा सकता है लेकिन बार-बार भाषा बदलने से लेखन की गति प्रभावित होती है। इसलिए इन्सक्रिप्ट पर कुछ विचार करना उचित होगा।

इन्सक्रिप्ट में सुविधापूर्वक काम करने और याद रखने के लिहाज से स्वरों और मात्राओं को बाएं हाथ की कुंजियों के साथ जोड़ा गया है। लेकिन इस सिद्धांत का भी पूरी तरह पालन नहीं किया गया है। ऋ और ऑ तथा उनकी मात्राएं दाएं हाथ की कुंजियों से जुड़ी हैं और म, न, ण तथा व बाएं हाथ की कुंजियों से। वहीं, ऎ, ऒ और ऍ तथा उनकी मात्राओं को बाएं हाथ की कुंजियों में बेवजह स्थान दिया गया है जबकि हिंदी में उनका उपयोग होता ही नहीं है। मेरी समझ में इनको अंग्रेजी के प्रभाव में स्थान दिया गया है लेकिन आज तक मुझे हिंदी लेखन में ऎ और ऒ तथा उनकी मात्राओं का प्रयोग कहीं नहीं दिखा। अंग्रेजी प्रभाव में हिंदी में ऑ और उसकी मात्रा का जरूर प्रयोग होने लगा है। अपवादस्वरूप ऍ तथा उसकी मात्रा का प्रयोग भी होता दिखता है।

इसी प्रकार, ऩ, य़, ऱ और ळ का हिंदी में बिल्कुल ही उपयोग नहीं होता है। यह सच है कि देवनागरी फौंट में हिंदी के अलावा भी कई भाषाएं लिखी जाती हैं जिनके लिए गैर-यूनीकोड फौंट में भी ळ को स्वीकार किया गया है। लेकिन ऩ, य़ और ऱ को क्रमशः न, य और र के नीचे नुक्ता लगाकर आराम से लिखा जा सकता है इसलिए स्वतंत्र कुंजियों पर उन्हें स्थान देना उचित नहीं लगता।

इन्सक्रिप्ट कीबोर्ड पर त्र और श्र भी बेकार ही जगह घेरते हैं। जैसे क से क्र लिखा जाता है वैसे ही उन्हें भी त और श से लिखा जा सकता है ।

इन्सक्रिप्ट कीबोर्ड पर ङ और ञ के स्थान भी विचारणीय हैं। हिंदी में तो इनका उपयोग समाप्तप्राय है लेकिन संस्कृत में भरपूर उपयोग होता है। इसलिए वर्तमान में प्रयुक्त महत्वपूर्ण कुंजियों की जगह इन्हें गौण कुंजियों पर स्थान दिया जा सकता है। और अगर संभव हो तो ङ को ड के सामने . लगाकर बनाने की व्यवस्ता की जा सकती है जैसा कि बहुत सारे संयुक्ताक्षरों के मामले में किया गया है।  

ऐसा ही मामला ः के उपयोग को लेकर है। इन्सक्रिप्ट कीबोर्ड में इसे व्यंजनों के साथ तो संयुक्त किया जा सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से नहीं लिखा जा सकता है। अगर इसे स्वतंत्र रूप से लिखना संभव हो तो मात्रा के लिए एक कुंजी आसानी से उपलब्ध हो जा सकती है।

इन्सक्रिप्ट कीबोर्ड में एक समस्या आसानी से याद रखने के नाम पर चवर्ग और टवर्ग को होम रो और ऊपरी रो में स्थान देने को लेकर रही है। इन दोनो रो में उन अक्षरों को स्थान देना उचित होता है जिनकी आवृत्ति सबसे अधिक बार होती है। लेकिन यहां इन दोनो वर्गों को स्थान देने के कारण म, न, ल, व, स और य जैसे अधिक आवृत्ति वाले अक्षरों को निचले रो में स्थान मिला है। इससे लेखन की गति निश्चित तौर पर प्रभावित होती है।

इन्सक्रिप्ट कीबोर्ड में कुछ चिह्नों को स्थान दे देने पर लेखन का प्रवाह निश्चित तौर पर बढ़ जाएगा। ये चिह्न हैं – ?, /, :, ;, ', ", !, %, =, +, और *  या x (गुणा के लिए)। इन 11 चिह्नों में से ' को दो बार लिखकर भी " लिखा जा सकता है जैसा कि गैर-यूनीकोड हिंदी लेखन में किया जाता है। इस तरह 10 चिह्नों के लिए जगह बनाने की जरूरत पड़ेगी। ऎ, ऒ और ऍ तथा उनकी मात्राएं आसानी से 6 स्थान खाली कर दे सकती है। वहीं, ऩ, य़, ऱ, त्र और श्र को हटाकर 5 स्थान खाली किए जा सकते हैं और उनमें शेष चिह्नों को समंजित किया जा सकता है।

हिंदी में तो अ के अर्धाक्षर का उपयोग नहीं होता है लेकिन संस्कृत में बहुत अधिक उपयोग होता है। उक्त खाली स्थान में उसके लिए भी जगह बनाई जा सकती है क्योंकि उसे दूसरी तरह से नहीं लिखा जा सकता है।

अगर इन चिह्नों को स्थान देने पर बात की जाय तो एक तरीका इन्सक्रिप्ट कीबोर्ड में अधिक छेड़छाड़ किए बिना हटाने जाने वाले अक्षरों या मात्राओं की जगह कोई चिह्न रख दिया जा सकता है। जैसे, य़ की जगह ? को और इसी तरह दूसरे चिह्नों को रखा जा सकता है।

लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से व्यापक फेरबदल करना अधिक उपयुक्त होगा। इससे काम करने वालों को परेशानी तो होगी लेकिन शीघ्र ही वे टच मेमोरी विकसित कर लेंगे और उनके लेखन की गति काफी बढ़ जाएगी। इसके लिए अधिकांश को वहीं रहने दिया जा सकता है जहां से उन्हें अंग्रेजी में लिखा जाता है। अभी भी उनको अंग्रेजी फौंट के जरिए ऐसै ही लिखा जाता है। हालांकि ऐसा करना भी पूरी तरह संभव नहीं होगा क्योंकि होम की पर आने वाले  :, ;, ', और ", इतने अधिक उपयोग में नहीं आते हैं कि उन्हें होम की पर रखा जाय।

इस तरह लगभग त्रुटिरहित कीबोर्ड के विकास के लिए हर अक्षर, मात्रा और चिह्न के स्थान पर सावधानी से विचार की जरूरत है। इसके लिए बहुत से स्थानों का पुनर्समंजन भी करना होगा लेकिन हिंदी लेखन की समस्या के स्थायी समाधान के लिए यह जरूरी है। इससे हिंदी का और भावी पीढ़ी का काफी उपकार होगा।

राज बल्लभ

(लेखक साहित्यकार, समाजसेवी और हिंदी अनुवादक हैं)

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