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हाँ ! मैं एक 'लव जिहादी' हूँ - जीसस भी लव जिहादी थे

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hastakshep
21 Feb 2020
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हाँ ! मैं एक 'लव जिहादी' हूँ - जीसस भी लव जिहादी थे

I Am A ‘Love Jihadi’ – An Open Letter to Cardinal George Alencherry of Syro Malabar Church of Kerala by K P Sasi

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फिल्मकार के पी शशि का केरल के सिरो मालाबार चर्च के कार्डिनल जॉर्ज अलेंचेरी को खुला पत्र

सर ! मैं भारत के सर्वाधिक प्राचीन दर्शनिक सम्प्रदाय चार्वाक सम्प्रदाय (ancient school of philosophical thought in India called Charvakas) का अनुयायी हूँ। भारत में ईसाई, बौद्ध, जैन, यहूदी, इस्लाम, सिख, हिंदू धर्म और मार्क्सवाद से कहीं पहले उपनिषदों काल से चार्वाक सम्प्रदाय अस्तित्व में है।

I do not find God as an enemy, unlike many atheists and mechanical rationalists.

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पारम्परिक तर्कशास्त्रियों और निरीश्वरवादियों के विपरीत, मैं ईश्वर को एक दुश्मन के रूप में नहीं देखता परन्तु मेरे मन में यह विचार आता है कि अगर ईश्वर का अस्तित्व ही नहीं है, तो मैं उससे शत्रुता क्यों रखूं।

दूसरी बात यह है कि यदि ईश्वर भारत में लाखों लोगों को उम्मीद देता है और मनोवैज्ञानिक रूप से मदद करता है, तो ईश्वर निश्चित रूप से यहाँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

मेरा मानना ​​है कि इस देश के हज़ारों भगवान दलितों गरीबों और बेसहारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

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मैं निश्चित रूप से विश्वास के उनके इस अधिकार का समर्थक हूं जिस अधिकार को वर्तमान परिस्थितियों में नकारा जा रहा है। आज के दौर में जब धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है मैं उन लोगों के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारियों का समर्थन करता हूँ जो ईश्वर को मानते हैं।

जिस धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को बी आर अम्बेडकर द्वारा संविधान में सुनिश्चित किया गया था आज उसी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का घनघोर उल्लंघन इस देश में हो रहा है।

सर !

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मैंने आपके द्वारा सिरो मालाबार चर्च का प्रतिनिधित्व के रूप में जारी किये गए बयान को पढ़कर आश्चर्य चकित एवं गहरे चिंतन में हूँ। मेरी चिंता हाशिए पर जा चुके इस्लाम धर्म के प्रति नहीं, बल्कि आपके अपने चर्च के बारे में है।

आपके वक्तव्य के अनुसार लव जिहाद के कारण कई ईसाई लड़कियों को मुसलमान लड़कों द्वारा लव जिहाद के लिए बहलाया फुसलाया जा रहा है। आपने यह भी कहा कि कुछ साल पहले आईएस द्वारा भर्ती किए गए केरल के 21 लोगों में से लगभग आधे लोग ईसाई समुदाय से थे।

आप के अनुसार केरल में लव जिहाद सुनियोजित तरीके से ईसाई लड़कियों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है।

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ऐसा बयान दे कर आपने केरल के ईसाई और मुस्लिम समाज में मनोवैज्ञानिक डर पैदा करने का काम किया है।

आप जैसे जिम्मेदार व्यक्ति जो चर्च में एक उच्च पद पर हैं, द्वारा दिये गए बयान से केरल में आम ईसाइयों और मुसलमानों के वैश्वासिक संबधों को खराब करने का ही काम करेगा। यहां तक ​​कि पोप भी नहीं चाहेंगे कि सामाजिक सौहार्द कभी भी खराब हो लेकिन आपने फिर भी ऐसा किया।

और आप सिर्फ़ इस बयान पर नहीं रुके नहीं ।

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जिस बयान का सच्चाई और वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है

आपने इस तरह की घटनाओं से ईसाई समुदाय को सतर्क करने के लिए एक अभियान का भी आह्वान किया। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप के अपने बयान को सही साबित करने के लिए कोई तथ्य या तर्क मौजूद नहीं है।

सर ! अगर यह इस्लामोफोबिया नहीं है, तो और क्या है?

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Sir, If this is not Islamophobia, what else is it?

पोप फ्रांसिस ने कहा 21 जून नेपल्स के जेसुइट-रन पॉन्टिफिकल कैथोलिक विश्वविद्यालय में कहा कि

"धर्मशास्त्र के विद्यार्थियों द्वारा समाज को यहूदी और इस्लाम धर्म के साथ हमारी जड़ों और अलग धार्मिक पहचान के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। इस प्रकार वे एक ऐसे समाज के निर्माण में अधिक प्रभावी ढंग से योगदान कर सकेंगे जिसमें विविधता भाईचाराऔर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को महत्व दिया जाता हो।

सर, मेरा उद्देश्य आपके ईश्वर पर सवाल खड़ा करना नहीं है, बल्कि मैं चाहता हूँ कि पोप जिस विनम्रता के साथ इस्लाम को देखते हैं, आप भी देखने की कोशिश करें।

जब उन्होंने धर्मशास्त्र के विद्यार्थियों का अपने वक्तव्य में उल्लेख किया तो मैं महसूस कर सकता था कि एक धर्मशास्त्र का विद्यार्थी अभी भी उन में मौजूद है, जो विविधताओं संवाद और चर्चा के द्वारा अंतिम सत्य की खोज कर रहा है। मेरा ऐसी आशा करना गलत नहीं होगा कि केरल में चर्च पहले से ही विभाजित समाज में सामाजिक समरसता को बढ़ाने के लिए पोप के दिखाए रास्ते पर चलेगा।

मैं आपको बताना चाहता हूं कि आप लव जेहाद के गड़े मुर्दे को उखाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। आपके बयान से मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि आप की इतिहास और राजनीति की समझ थोड़ी कम है। इसलिए, एक चार्वाक का अनुयायी होने के नाते जो किसी भी धर्म का हिस्सा नहीं हैं, मैं कुछ बातें आप को समझाना चाहता हूँ।

केरल में `लव जिहाद' के 18 मामलों की विस्तृत जाँच (a detailed investigation of 18 cases on the issue of `love jihad’ in Kerala) के बाद, एक ईसाई डीजीपी, जैकब पुन्नोज (Jacob Punnoose) ने केरल के उच्च न्यायालय में यह बयान दिया कि केरल ऐसा कोई भी संगठन या संस्थान नहीं है जो धर्मान्तरण के लिए लड़कियों को ब्रेन वाश करने का काम करते हो।

उन्होंने तीन मामलों पर संदेह व्यक्त किया, जहां उन्हें आगे की जानकारी की आवश्यकता थी, लेकिन दिसंबर 2009 में, केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच को रोक दिया और सबूतों के अभाव में दो आरोपियों को बरी कर दिया गया।

पुन्नोज ने बयान दिया कि कोई निश्चित सबूत न मिलने के कारण `लव जिहाद' के मामलों की जांच (Investigation of the cases of 'Love Jihad') बंद कर दी गई थी।

NIA investigates 'Love Jihad' cases in Kerala

बाद में, एनआईए द्वारा की गई जांच से भी यही पता चला कि केरल में `लव जिहाद' का कोई मामला नहीं था।

“No such case of ‘Love Jihad’ has been reported by any of the central agencies” : Minister of State for Home Affairs, G Kishan Reddy,

हाल ही में, केरल के सांसद बेहेन बेनी (Kerala MP Behnan Benny) ने लोक सभा में एक प्रश्न पूछा कि क्या `सरकार इस तथ्य से परिचित है कि केरल उच्च न्यायालय के अवलोकन के अनुसार केरल में लव जिहाद का कोई मामला नहीं है? यदि हाँ, तो क्या किसी भी केंद्रीय एजेंसियों ने पिछले दो वर्षों के दौरान केरल में लव जिहाद का कोई भी मामला दर्ज किया है, और यदि हां, तो उनका ब्यौरा दें।

इस प्रश्न का उत्तर देते हुए, गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने कहा कि "किसी भी केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा केरल में लव जिहाद का कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया है"।

मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान कानूनों के तहत लव जिहाद को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार भारत के सभी नागरिकों को किसी भी धर्म को मनाने, पालन करने एवम् प्रचार करने का अधिकार प्रदान किया गया है और विभिन्न न्यायालयों द्वारा उस दृष्टिकोण को अपनाया गया है जिसमें केरल उच्च न्यायालय भी शामिल है। केरल उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यहाँ यह रेखांकित करना आवश्यकता नहीं है कि बेहन बेनी एक ईसाई हैं और उनके प्रश्न का उत्तर भाजपा सरकार ने `भारतीय संविधान 'के हवाले से दिया है।

Why is a Cardinal Bishop siding with the Kerala State BJP and the Sangh Parivar in Kerala to attack the Muslims with an already disproven subject like `love jihad’?

सर ! जिन तथ्यों का उल्लेख मैंने किया उस संबंध में मेरे तथा मेरे जैसे धर्मनिरपेक्ष कई लोगों के दिमाग में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक सवाल बार-बार आ रहा है कि क्यों केरल में एक कार्डिनल बिशप भाजपा और संघ परिवार के साथ खड़ा है? वही संघ परिवार जो मुस्लिम समुदाय पर लगातार 'लव जिहाद' का आरोप लगता रहा है जबकि ये पहले है साबित हो चुका है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।

और यह भी याद रखें, ये प्रश्न न केवल दूसरे धर्मों के लोगों द्वारा उठाया जा रहा है, बल्कि भारत और विदेशों के आपके अपने ईसाई समुदाय के सदस्यों द्वारा भी उठाया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि अब तक, आपको व्यक्तिगत रूप से ऐसे फोन कॉल और पत्र पहले ही मिल चुके होंगे।

मैं आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि 'लव’ शब्द का प्रयोग बाईबल के साथ साथ कुरआन में भी कई बार किया गया है। पैगंबर मुहम्मद को यीशु के प्रति गहरा सम्मान था। कुरआन में यीशु के उल्लेख पैगम्बर मोहम्मद से कहीं अधिक बार हुआ है।

The true meaning of 'Jihad'

`जिहाद' एक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग पिछले कुछ दशकों के दौरान मुस्लिम विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए किया जाता रहा है। इस शब्द सब से पहले दुरुपयोग अमेरिका ने मुसलमानों को आतंकवादी के रूप में प्रस्तुत करने के लिये किया। उनके अनुसार, 'जिहाद' का अर्थ है इस्लाम द्वारा शुरू किया जाने वाला आतंकवाद या पवित्र युद्ध।

हालाँकि, `जिहाद' का सही अर्थ `संघर्ष' या `प्रयास' है। 'जिहाद' शब्द का प्रयोग कई संदर्भों में किया जाता रहा है। यदि जिहाद शब्द की सही धार्मिक व्याख्या की जाए तो इसका अर्थ होगा कि पाप को दूर करने के लिए स्वयं के भीतर एक आध्यात्मिक 'संघर्ष' या 'प्रयास'।

पैगंबर मुहम्मद के अनुसार 'जिहाद' का वास्तविक अर्थ एक अत्याचारी के सामने सच बोलना है। यीशु मसीह को भी गरीबों की मदद और सच बोलने के कारण ही सूली पर चढ़ाया गया था। इस प्रकार वे विश्व के सर्वाधिक सम्मानित 'जिहादी' हैं। इसके अलावा, कुरान 22:41 विशेष रूप से मुस्लिमों को किसी भी चर्च, मंदिर, सिनेगॉग और मस्जिद की रक्षा के लिए जिहाद करने आदेश देता है।

सर ! ऐसे समय में जब भारत हिन्दू राष्ट्र बनने के कगार पर है। आप जैसे लोगों को गोलवलकर की वो बात याद करनी चाहिये, जो 30 के दशक में उसने कहा था - "हमारे तीन ही दुश्मन हैं - मुसलमान, इसाई और कम्युनिस्ट।"

यह बात उसने तब कही थी जब गांधी, नेहरू, अम्बेडकर, भगत सिंह, मौलाना आजाद से प्रभावित लोग, अपनी तमाम विचाधाराओं समाजवादी, साम्यवादी से प्रभावित आम तबके के हज़ारों की संख्या में लोग जिनमें औरतें, बच्चे, गरीब, अमीर सभी एकजुट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग जैसी पार्टियों में एकजुट होकर 'आजादी' को पाने की लड़ाई लड़ रहे थे। कितनों ने अपनी जानें गवां दी। यह लड़ाई वो खुद के लिए नहीं, बल्कि हमारी तथा हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ रहे थे। आपका कथन कई अलगाववादी समूहों के द्वारा जिहाद तथा जो अपने मामूली अधिकार 'नागरिकता' के लिए लड़ाई लड़ रहे लोगों के लिए आया।

अंग्रेजों ने भी भारतीय मूल के लोगों की नागरिकता समाप्त नहीं की थी। जिसे मोदी ने अब कर दिया।

कल आपको यह सिद्ध करना होगा की आप भारतीय हैं। आपका पास्पोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस एवम चर्च की पहचान किसी योग्य नहीं होगा।

आपको यह सिद्ध करना होगा कि आपके बूढ़े मां-बाप भारतीय ही हैं। मुसलमानों को सताए जाने की धमकी दी जा रही है, क्योंकि इस्लाम को छोड़कर सभी धर्मों का उल्लेख केंद्र सरकार ने पहले ही कर दिया।

आप मानें या न मानें, भारत में ईसाइयों की नागरिकता पहचान को लेकर भी भी खतरा है। गोलवलकर की बातें संघ परिवार के प्रकाशन से ही प्रकाशित हुईं हैं।

हिन्दू-राष्ट्र बनाने के नींव पहले ही मोदी द्वारा पक्की कर दी गयी है। देश के लगभग सभी मुख्य संस्थाएं गिरोह में आ चुके हैं। आए दिन हम लोगों को यह भी सुनने को मिल ही रहा कि "लोगों को आंदोलन करने दो। हमें जो करना चाहिए हम कर रहे हैं"।

दुख की बात हैं कि आप के द्वारा ऐसी बातें उन्हें और भी मजबूत बना देगी।

याद रखें कि कंधमाल के सैकड़ों दलित तथा आदिवासी ईसाइयों, को जान से मारने वाले मुसलमान नहीं थे। 40 हज़ार से ऊपर ईशाई औरतों के साथ रेप तथा छेड़खानी मुसलमानों ने नहीं की थी। आप और हम जानते हैं कि किसके प्रभाव से यह सब हुआ।

कंधमाल नरसंहार के वक़्त लगभग 58,000 ईसाइयों को अपने धर्म तथा संस्कृति को बचाने के लिए कंधमाल से भागने को बेबस मुसलमानों की वजह से नहीं हुए। कंधमाल के हज़ारों पीड़ित लोग आज भी केरल में हैं। वो लोग एक गुट में रहते हैं जिसका नाम है 'प्रवासी मजदूर', जो केरल की लगभग 10 प्रतिशत मजदूर शक्ति है। आपकी तरफ से कंधमाल नरसंहार में पीड़ित लोगों पर कोई कथन मैंने केरल के किसी अखबार में अब तक नहीं देखा।

मुसलमान नौजवान संगठन जो कि 'सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट' के नाम से जाना जाता है, कंधमाल को न्याय दिलाने की लड़ाई में आगे आये। बहुत से सेक्युलर लोग जैसे बृंदा करात, मनी शंकर अय्यर, सुधीर पटनायक, कविता कृष्णन, मेधा पाटकर, स्वामी अग्निवेश, राम पुनियानी, एनी राजा, धीरेंद्र पांडा, केदार मिश्रा, प्रफुल्ला सामंत्रा, प्रशांत पाखीरा के साथ सीपीआई (एम), सीपीआई (एमएल), कांग्रेस और भी बहुत से लोग कंधमाल हिंसा में पीड़ित लोगों के न्याय लड़ाई में आगे आये। केरल के चर्च से भी राहत सामग्री जुटाने में मदद मिली। लेकिन आपकी तरफ से इन पीड़ितों के लिए कभी कोई मदद करते नहीं देखा। फिर भी, मैं आपको दोषी नहीं ठहरा रहा। आपकी रक्षा के लिए बहुत से उद्योग हैं, चर्च के नाम पर करोड़ों रुपये हैं, स्वस्थ और शिक्षा की व्यवस्था भी है। आपकी चुप्पी को मैं समझ सकता हूँ सर।

इसलिए, मुझे नहीं लगता आपको उस रिसर्च के बारे में जानकारी होगी जिसमें यह पाया गया कि भारत कई ऐसे राज्य हैं, जहां ईसाई धर्म के लोगों को अब भी सताया जा रहा है। उन राज्यों में से केरल भी है। जिस बिल्डिंग का आज आप प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, पता नहीं कब गिरा दिया जाए। इसमें बहुत समय नहीं लगेगा, सर।

लेकिन सर ! आप 'लव जिहाद' के पीछे अपनी अभियान और मामूली ईसाई परिवार को डराने का काम जारी रखिये, जिससे ज्यादा से ज्यादा ईसाई लोग अपने प्रतिनिधि को अच्छे से परख सकें।

Christianophobia spread by the Vishwa Hindu Parishad leaders,

कंधमाल में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा ' क्रिश्चियनफोबिया ' को मैंने देखा है। और मैंने इसपर एक डाक्यूमेंट्री भी बनाई है, जिसका नाम ''द वॉइसेस फ्रॉम द रुइन्स'' है। एक वीएचपी नेता तो बिल्कुल आपकी तरह ही बोल रहा था, भले ही स्त्री-पुरुष का समकक्ष अलग हो। उसका प्रोपगंडा यह था कि क्रिश्चियन लोग अपनी जवान लड़कियों को निर्दोष हिन्दू लड़के को बहलाने में इस्तेमाल करते और फिर उस हिन्दू लड़के को ईसाई में तब्दील कर देते। इसमें ईसाई लड़कियों का काम कुछ इस तरह से है, जैसे पुरानी हिंदी मूवी में हेलेन का रहता था। वो मोहक नृत्य कर निर्दोष लड़कों को अपनी गिरोह में कर लेती और फिर उसे बहलाकर ईसाई धर्म में तब्दील करवा देती।

यह डर हिन्दू परिवारों में ईसाइयों पर कंधमाल हिंसा से पहले ही फैलाया जा चुका था।

हिन्दू संस्थाओं के ऐसे अभियानों के और विस्तार में मैं नहीं जाना चाहता। अगर आप और जानना चाहते हैं, तो कृपया हमारे द्वारा बनाया गया सिनेमा 'वॉइस फ्रॉम द रुइन्स' देखें।

केरल के कई लोगों को जो स्वीकार्य नहीं है, उन पर भी आपके इस कथन का असर पड़ सकता है, जिनमें सामान्य हिंदू, ईसाई और मुस्लिम सभी लोग हैं।

जब आप कहते हैं कि मुस्लिम युवकों द्वारा ईसाई लड़कियों को लालच दिया जा रहा है, तो आप ऐसा कहकर ईसाई लड़कियों का अपमान कर रहे हैं। केरल में ईसाई लड़कियां अधिक शिक्षित हैं, सामाजिक रूप से जुड़ी हुई हैं, अपनी सोच में अधिक स्वतंत्र हैं और मुस्लिम और हिंदू लड़कियों की तुलना में अपने निर्णय लेने की शक्तियों में अधिक बोल्ड हैं। आप एक समुदाय का वर्णन यह कहकर कैसे कर सकते हैं, उसमें 'कोई स्वतंत्र विचार शक्ति' वाले लोग नहीं हैं? इस प्रश्न का उत्तर आने वाले समय में महिलाओं द्वारा जरूर दिया जाएगा।

अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि जर्मनी में फासीवादियों के खिलाफ सबसे अधिक बार उद्धृत कविता एक ईसाई पादरी के द्वारा लिखी गयी। चूंकि कविता के कई संस्करण हैं, इसलिए मैं लंबे संस्करणों का उपयोग करने में संकोच करूंगा। पादरी मार्टिन नीमोलर ने जर्मनी में नाजी शासन के समय के दौरान लिखा था:

पहले, वे समाजवादियों के लिए आए,

मैंने कुछ नहीं बोला

क्योंकि मैं समाजवादी नहीं था।

फिर वे ट्रेड यूनियन के लिए आए,

और मैंने कुछ नहीं बोला

क्योंकि मैं ट्रेड यूनियनिस्ट नहीं था।

फिर वे यहूदियों के लिए आए,

और मैं फिर कुछ नहीं बोला

क्योंकि मैं यहूदी नहीं था।

फिर वे मेरे लिए आए

और तब मेरे लिए बोलने को

कोई नहीं बचा था।

यह खुला ख़त एक ईसाई नेता के रूप में आपकी ईमानदारी, विश्वास या आपकी भूमिका पर सवाल उठाने के लिए नहीं है, क्योंकि आप मुझसे बहुत बड़े व्यक्ति हैं। यह ख़त केवल एक अपील है कि कृपया दूसरे समुदायों के बह खून पर चलने का आनंद न लें। यह ख़त केवल आपको ईसाई परंपरा में आध्यात्मिक ग्रंथों द्वारा व्यक्त सद्भाव पर शब्दों को याद दिलाने के लिए है: 'कितना अद्भुत होगा कि...हम सब खुदा के बन्दे एक साथ सद्भाव से रहें।' स्रोत 133.1 यदि आप इस मार्ग की उचित ईसाई समझ के साथ व्यवहार करते हैं। अगर आप जीसस के सच्चे अनुयायी हैं, जिन्होंने न्याय के लिए इस पवित्र धरती पर रक्त बहाया, न केवल ईसाइयों के लिए बल्कि सामान्य रूप से मानवता के लिए, शांति और सद्भाव के लिए, तो मुझे यकीन है, यह सभी सताए गए वर्गों को उनके सच की खोज के लिए एक-दूसरे के साथ सम्मिलित होने की आशा प्रदान करेगा। बिना किसी हिंसा के एक अच्छा समाज का निर्माण करने के लिए, जहां विभिन्न रंगों और पहचान के बच्चे खुशी से एक साथ गा और नाच सकते हैं। जो इस देश से फँसीवादियों के अंत का कारण बनेगा। इस पत्र को पढ़ने में आपके धैर्य के लिए धन्यवाद। बिना स्वार्थ के कार्य करने वाले सभी साथी ईसाई, जिन्होंने भारत की सकारात्मक नींव को आकार देने और अहिंसक राष्ट्र बनाने में तथा आने वाले कल के भारत के लिए समानता, न्याय, शांति, लोकतंत्र और सद्भाव के आधार पर समाज को आकार देने के लिए गहरे रूप सम्मान व्यक्त करता हूँ।

( काउंटर करंट्स पर प्रकाशित केपी शशि के मूल लेख का अनुवाद नताशा खान द्वारा  )

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