नई दिल्ली, 11 अप्रैल 2020. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कॉरपोरेट्स का मित्र (Corporate friends) होने के आरोप लगते रहते हैं लेकिन अब जो मामला सामने आया है उसने नए विवाद को जन्म दे दिया है और आरोप लग रहे हैं कि मोदी सरकार आपदा के समय भी कॉरपोरेट्स घरानों से यारी निभा रही है, जबकि देश और मानवता संकट में है।
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव कॉमरेड सीताराम येचुरी ने मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स का एक जनरल सर्कुलर ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा
“यह स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण है और संघवाद के संवैधानिक सिद्धांत के खिलाफ जाता है। कोविद -19 के प्रसार को रोकने के लिए राज्य इस लड़ाई में सबसे आगे हैं और इस लड़ाई में केंद्र द्वारा उनका गला घोंटा जा रहा है।“
उन्होंने ट्वीट किया
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“क्या यह "सहकारी संघवाद" है?
कंपनियों के अधिनियम की अनुसूची 7 में संशोधन करके राज्य सरकार को इन निधियों का उपयोग करने की अनुमति दी जाए जिससे लाखों लोगों की जान बचाई जा सके।“
राजनीति विश्लेषक दुष्यंत नागर ने मामले के समझाते हुए कहा,
“राज्यों को कोरोना से लड़ने के लिए खुद भी एक पैसा मत दो और जो दान में मिले उस पर भी आँख गड़ा कर बैठ जाओ।
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कोरोना से निपटने के लिए अगर कोई बिजनेस हाउस नए बने पीएम केयर फंड में दान देगा तो वह पैसा कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility - CSR) के दायरे में आएगा, लेकिन अगर वही पैसा सीएम रिलीफ फंड में जाएगा तो CSR वाली छूट नहीं मिलेगी।“
उन्होंने पूछा,
“महामारी के समय ऐसा आचरण ?”
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श्री नागर ने समझाया कि
? CSR का अर्थ है "कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी" ये नियम अप्रैल 1, 2014 से लागू हैं। इसके अनुसार, जिन कम्पनियों की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये या सालाना आय 1000 करोड़ की या सालाना लाभ 5 करोड़ का हो तो उनको CSR पर खर्च करना जरूरी होता है। यह खर्च तीन साल के औसत लाभ का कम से कम 2% होना चाहिए।”
CSR PM Care fund
Corner all CSR monies for his personally named fund & deny States - who are in the frontline of combatting #COVID19 - these funds.
??This is “Cooperative Federalism”?
Amend Schedule 7 of Companies Act to permit State govts to access these funds which could save millions of lives https://t.co/s2LkEtkB1e