Advertisment

एसडीएम की डीएम से की गई शिकायत

author-image
hastakshep
10 Jun 2022
New Update
तीन दिन बाद भी मजदूर का पोस्टमार्टम नहीं, रिहाई मंच ने कहा कि सरकार कम से कम मरने के बाद इस तरह का व्यवहार न करे

Advertisment

SDM is harassing a Brahmin? Complaint made to DM

Advertisment

नई दिल्ली, 10 जून 2022. आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक ब्राह्मण को एक एसडीएम परेशान कर रहा है। इस संबंध में भुक्तभोगी कामता प्रसाद तिवारी, जो एक जनपक्षीय वेबसाइट का भी संचालन करते हैं, ने डीएम वाराणसी को शिकायती पत्र प्रेषित किया है। पत्र का मजमून निम्न है-

Advertisment

पिंडरा के एसडीएम के असर में थाना बड़ागाँव, प्लास्टर करवाने के लिए वाराणसी के जिलाधिकारी से की फरियाद

Advertisment

June 8, 2022

Advertisment

प्रति

Advertisment

जिलाधिकारी

Advertisment

वाराणसी, उत्तर प्रदेश

श्रीमान जी, विक्रेता-द्वय मुझे प्लास्टर करने से रोक रहे हैं और थाना बड़ागाँव मेरी कोई मदद नहीं कर पा रहा है क्योंकि उसे एसडीएम,  पिंडरा (मीडिया के मित्रों के लिए मोबाइल नंबर 9454417039) की तरफ से मुझे सबक सिखाने का निर्देश मिला हुआ है। एसडीएम, पिंडरा ने हमारा मोर्चा का वाट्सऐप नंबर भी ब्लॉक किया हुआ है लेकिन उन्हें इस खबर का लिंक दूसरे नंबर के जरिए भेजा जा चुका है।

बता दें कि विगत शनिवार के दिन थाना बड़ागाँव का सब इंस्पेक्टर दीनानाथ साफ-साफ मुझे धमका रहा था कि रेवेन्यू विभाग और पुलिस मिलकर तुम्हें तुम्हारी औकात बताएगी और तुम कुछ नहीं कर पाओगे।

इसी क्रम में कल एसएचओ अश्विनी चतुर्वेदी का फोन आया। दूसरी लाइन पर सब इंस्पेक्टर दीनानाथ थे। दीनानाथ ने क्या कहा यह तो हम लोगों के सुनने में नहीं आया लेकिन एसएचओ महोदय ने कहा कि इसमें एसडीएम का क्या रोल है, जब जमीन बेची है तो प्लास्टर क्यों नहीं करने देंगे। लेकिन अभी दूसरे नंबर से फोन किए जाने पर एसडीएम महोदय साफ मुकर गए कि वे दीनानाथ को जानते ही नहीं हैं और मामला उनके संज्ञान में ही नहीं है।

तो मिस्टर एसडीएम जब मामला आपके संज्ञान में ही नहीं तो हमारा मोर्चा का नंबर क्यों ब्लॉक किया हुआ है?

विक्रेता बंधुओं का पटीदार प्रभाकर मिश्रा कभी पेशकार हुआ करता था और उसी की सेटिंग पर एसडीएम पिंडरा मुझे सबक सिखाने में लगा हुआ है और थाना बड़ागाँव सब कुछ जानते बूझते हुए हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

विक्रेता बंधुओं ने जब जमीन बेची थी, उसी समय उन्हें पता था कि मैं घर बनवाऊँगा। जाहिर सी बात है कि अगर घर बनेगा तो प्लास्टर भी होगा लेकिन वे लोग अब एसडीएम को अपने पाले में लेकर अपने स्थानीय होने की हनक दिखा रहे हैं।

विवाद करने वालों का कहना है कि जितनी जमीन मैंने खरीदी है, उतने पर मैं काबिज हूँ। ठीक है, मैं इससे सहमत हूँ लेकिन जितने पर मैं काबिज हूँ उतने पर ही कागज पर भी काबिज करवा दें और आगे की 7 फुट बतौर रास्ता दर्ज हो जाए, जिस पर कोई भी पक्ष निर्माण नहीं कर सके। मैं उस 7 फुट का पैसा भी देने को तैयार हूँ, जो अभी मेरे नाम कागज पर दर्ज नहीं है। अपनी बैनामे वाली जमीन पर इस एवज में लिखित रूप में रास्ता दे रहा हूँ कि मेरा प्लास्टर होने दिया जाए।

श्रीमान जी, राजनाथ मिश्र नामक गलीज़ प्राणी, जो चपरासी के पद से रिटायर है, विवाद के मूल में है। इन लोगों ने जहाँ से मुझे बैनामा किया था, वहाँ से मेरा घर बनने नहीं दिया। मैं मौके पर था नहीं और इन लोगों पर विश्वास करके चल रहा था। मेरा घर उस जमीन से 10 फुट पीछे से बनवाया। इस 10 फुट में 3 फुट मेरी बैनामे वाली जमीन भी शामिल है। आगे की 10 फुट जमीन रास्ते के रूप में इस्तेमाल हो लेकिन वह मेरे ही उपयोग में रहे, इस पर मुझे कोई ऐतराज नहीं था। लेकिन, जिस दिन से मुझे राजनाथ के इस घृणित इरादे का पता चला कि इस 10 फुट पर वह मालिकाना हक़ जताकर मेरे घर के आगे दुकान बनवाना चाहता है ताकि अपने बेरोजगार लौंडों के लिए रोजी-रोटी का जुगाड़ कर सके, उसी दिन मैंने आगे की 3 फुट जमीन को इन लोगों के प्रबल विरोध के बावजूद घेर लिया। गाँव वालों की अगर मानें दो राजनाथ मेरे घर का दरवाजा पूरब की बजाय उत्तर दिशा में करवाना चाहता था।

इसके दो दिन बाद अरविंद मिश्रा उर्फ गोकुल दलित मेरे घर आया और अपने माँ-बाप की मौजदूगी में धमकाने लगाः “मेरा गाँव है और मैं तुम्हारा जीना हराम कर दूँगा।” और बरजोरी 3 फुट जमीन रास्ते के लिए छोड़ने हेतु कहने लगा।

प्रसंगवश, अरविंद मिश्रा ऐसी नौकरी में रहा है जहाँ उसे बख्शीश और विश्वास में घात यानि कि दलाली की एवज में डॉलर, रूबल-यूरो सभी कुछ मिलता रहा है। हराम की कमाई की दम पर हर तरह का शौक इसने पाल रखा था, जिसमें इगो हर्ट होने पर हर तीसरे आदमी को धमकाना शामिल है। ब्याहता ब्राह्मणी के अलावा इसके पास एक गैर-लाइसेंसी बंदूक भी है। इसी बंदूक के जरिए वह स्टेरॉयड मिली दवाओं का कारोबार भी चलवाता है। ब्याहता के अलावा इसी गैर-लाइसेंसी बंदूक के खर्चे को पूरा करने, तीन-तीन घर बनवाने का उपक्रम करने के क्रम में इसे निरंतर पैसों की जरूरत रहने लगी। कोरोना-काल ने इसका कारोबार ठप्प कर दिया था। यही वह पृष्ठभूमि थी कि अरविंद मिश्रा ने अपने सगे ताऊ राजनाथ मिश्रा को दिए गए कर्ज को सूद समेत वसूलने के लिए उनकी बगिया मेरे हाथों बिकवा दी।

श्रीमान जी, मैं ब्राह्मण तो हूँ लेकिन दान लेने वाला भिखमंगा नहीं। मेहनतकश हूँ और लिख-पढ़कर अपना गुजारा करता हूँ। राजनाथ मिश्रा पूरे गाँव में अपनी मूँछ ऊपर करने के लिए निरंतर प्रचारित करता रहा कि उसने मुझे जमीन यूँ ही भलमनसी में दे दी है, जबकि मैंने उसे पूरे अढ़ाई लाख रुपये दिए हैं। बस तथ्य के तौर पर एंट्री हो जाए इसलिए बता रहा हूँ कि राजनाथ मिश्रा को मैंने पहली बार उस दिन देखा था जिस दिन बैनामा करवाने तहसील गया था।

अरविंद उर्फ चवन्निहा मिसिर का तेहा बरकरार है। समय के साथ उसे शहर-गाँव के तमाम चरित्रहीन (करेक्टरलेस) जनों का समर्थन मिलता जा रहा है। ताजा घटनाक्रम यह है कि गाँव भर की नफरत के पात्र सूदखोर और पेशकार के पद से सेवानिवृत्त प्रभाकर मिश्रा ने पिंडरा के एसडीएम को सेट करवा दिया है। तहसील जाने पर एसडीएम से मिलने की कोशिश की गई लेकिन उनके स्टेनो प्रदीप मौर्या ने जानकारी दी कि मामला कांप्लीकेटेड हो गया है। एसडीएम से फोन पर संपर्क किया गया, बात करने पर साफ पता चला कि महोदय अपना पक्ष पहले ही तय कर चुके हैं और मुझे जो सलाह दी अगर मैं उस पर चला तो मेरे घर का प्लास्टर कभी नहीं होगा। तो एसडीएम महोदय आपकी जानकारी के लिए निवेदन है कि प्रशासनिक जुडिशियरी के अलावा एक असल न्यायपालिका भी होती है, जहाँ आप जैसों का जुगाड़तंत्र बिल्कुल भी नहीं चलता है। मन हो तो प्रभाकर मिश्रा की तरफदारी में खुलकर आएं।

चवन्निहा मिसिर का पूरा खानदान आगे की मेरी जमीन पर अपने लिए रास्ता तो चाहता है लेकिन उसकी पूरी कोशिश है कि मेरा प्लास्टर न होने पाए। अरविंद-ओमप्रकाश नामक दोनों मूर्ख बाजार के हाथों अपनी आसन्न दुर्गति को नहीं देख पा रहे हैं लेकिन मुझे मेरी औकात बताने पर आमादा हैं।

बस समान्य जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि जुलाई में कचहरी खुल जाएगी और अगर तब तक मेरा प्लास्टर नहीं हुआ तो चमन्निहा मिसिर का पूरा खानदान काले कोट का जलवा देखेगा। कोर्ट का आदेश लेकर और पुलिस को सूचित करके अगर मैंने आगे की जमीन घेरना शुरू किया तो फिर इन लोगों को रास्ता देने का प्रश्न हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।

मीडिया में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत पत्रकारों के अनुसार गहरपुर निवासी पेशकार रहे प्रभाकर मिश्रा ने पूरे मामले में अपना दिमाग बखूबी लगाया है। अपने हितों को साधने और अपने पटीदारों का साथ देने के लिए एसडीएम से मिलकर कुछ इस तरह से साजिश रची कि इन लोगों को मेरी जमीन पर रास्ता तो मिल जाए लेकिन मेरी दीवार का प्लास्टर नहीं हो सके। सूदखोर के रूप में बदनाम प्रभाकर मिश्रा मुझे धमका चुका है कि लाठी कर देंगे, जिसके जवाब में मैं उससे कह चुका हूँ कि तुम लोगों की गाँड़ में बाँस करेंगे। लाठी का जवाब है बाँस। चाबी एसडीएम के यहाँ से घुमाई जा रही है, इसका पता मुझे अभी-अभी चला है और मैं मूरख थाने की निष्पक्षता पर संदेह कर रहा था।

मैं अभी भी समझौते के पक्ष में हूँ लेकिन बेइज्जत होकर नहीं।

कामता प्रसाद तिवारी

नोट : इस खबर के संबंध में यदि दूसरे पक्ष/ पिंडरा के एसडीएमका कोई पक्ष होगा तो उसे भी स्थान दिया जाएगा।

अपडेट : दूसरे पक्ष गोकुल दलित ने फोन पर आपनी आपत्ति दर्ज करते हुए बताया कि कामता प्रसाद तिवारी की शिकायत निराधार है। उन्होंने बताया कि उन्होंने श्री तिवारी को अपने ही परिवार की जमीन दिलवाई थी और वाराणसी में श्री तिवारी को स्थापित करने में सहायता की थी। अब उनकी नीयत बदल गई है और निराधार शिकायतें कर रहे हैं। श्री दलित ने बताया कि श्री तिवारी ने अपनी शिकायत में ही स्वयं स्वीकार किया है कि जितनी जमीन उन्होंने खरीदी है, उतने पर वह काबिज हैं।

Advertisment
सदस्यता लें