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निबंधों में हमारा समय बोलता है - प्रो अशोक सिंह

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hastakshep
28 Feb 2023
निबंधों में हमारा समय बोलता है - प्रो अशोक सिंह

durga prasad agrawal

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दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के निबंध संग्रह आधी आबादी के किस्से का लोकार्पण

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नई दिल्ली, 28 फरवरी 2023 (निहारिका सिंह लोधी)। हिंदी में सभी गद्य विधाओं में निबंध सबसे पुरानी और लोकप्रिय विधा है। भारतेंदु हरिश्चंद्र से हमारे समय तक निबंध लिखने और पढ़ने का उत्साह बना हुआ है। संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा के कुलपति और हिंदी आचार्य प्रो अशोक सिंह ने उक्त विचार विश्व पुस्तक मेले में एक लोकार्पण समारोह में व्यक्त किए।

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 प्रो सिंह जाने माने लेखक डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के निबंध संग्रह आधी आबादी के किस्से का लोकार्पण कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नियमित निबंध लिखने का कौशल कम गद्य लेखकों में होता है और दुर्गाप्रसाद अग्रवाल जी ने जिस प्रतिबद्धता से निबंध लिखे हैं वह सचमुच अभिनन्दनीय है।

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समारोह में विख्यात लेखक सूरज प्रकाश ने कहा कि जिस सरल सहज भाषा मे अग्रवाल लिखते हैं वह किसी भी गद्य लेखक के लिए स्पृहणीय है।

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सूरज प्रकाश ने कहा कि सचेत का सद्य के बाद इस साल यह उनका दूसरा निबंध संग्रह आया है जो उनके लेखन की निरन्तरता का प्रमाण है।

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उपन्यासकार हरिराम मीणा ने कहा कि वे अग्रवाल की गद्य लेखन के प्रारंभिक पाठकों में से हैं और उनके निबंधों की एक विशेषता अपने समय के वास्तविक सवालों से टकराना है।

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मीणा ने कहा कि अग्रवाल जैसे लेखक अपने निबंधों में सामाजिक विषयों को जिस व्यापकता के साथ सम्बोधित करते हैं वह भी प्रेरणास्पद है। प्रसिद्ध पत्रकार और लेखक रामशरण जोशी ने कहा कि रोजमर्रा के विषयों पर लिखना किसी भी लेखक के लिए बड़ी चुनौती है और डॉ अग्रवाल ने इस चुनौती को कुशलता से निभाया है।

भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत्त राजीव सिंह,कवि राघवेन्द्र रावत, कथाकार ज्ञानचंद बागड़ी, कला समीक्षक ए एल दमामी, युवा उपन्यासकार नवीन चौधरी और सिनेमा विशेषज्ञ मिहिर पंड्या, लेखिका डा उषा गोयल, रश्मि भटनागर ने भी चर्चा में भागीदारी की।

संयोजन कर रहे युवा आलोचक पल्लव ने डॉ दुर्गा प्रसाद अग्रवाल की रचना यात्रा का परिचय देते हुए कहा कि उनके निबंध पाठकों को संस्कारित भी करते हैं और लोक शिक्षण की दृष्टि से यह महत्त्वपूर्ण सृजन है।

पल्लव ने कहा कि राजस्थान के कथेतर लेखन में अग्रवाल जी के निबंधों को ख़ास तौर पर रेखांकित किया जाना चाहिए जो अत्यंत व्यापक कैनवास पर लिखे गए हैं।

अंत में प्रभाकर प्रकाशन के सम्पादकीय प्रभारी अंशु चौधरी ने आभार प्रदर्शित किया।

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