उन्नाव में दो दलित किशोरियों की मौत की घटना बेहद चिंताजनक

hastakshep
18 Feb 2021
उन्नाव में दो दलित किशोरियों की मौत की घटना बेहद चिंताजनक

The incident of death of two Dalit teenagers in Unnao is very worry

माले की टीम उन्नाव जाएगी

पार्टी ने सीबीआई से जांच कराने की परिजनों की मांग का समर्थन किया

लखनऊ, 18 फरवरी। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने उन्नाव के असोहा थाना क्षेत्र के एक खेत में बुधवार देर शाम किशोर वय की तीन दलित लड़कियों के बंधे होने और उनमें से दो के मृत अवस्था में मिलने पर गहरी चिंता प्रकट की है। पार्टी ने कानपुर के अस्पताल में भर्ती तीसरी लड़की की गंभीर हालत को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए उसे तत्काल एयरलिफ्ट कर दिल्ली के ऐम्स में भर्ती कराने की मांग की है। साथ ही, पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की पीड़ित परिवार की मांग का समर्थन किया है।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि घटना की जांच और पीड़ित परिवार से मिलने के लिए पार्टी की ओर से एक टीम उन्नाव भेजी जाएगी।

उन्होंने कहा कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। दलित और महिलाएं सर्वाधिक असुरक्षित हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का भाजपा का नारा ढकोसला है। केंद्र की भाजपा सरकार फर्जी मुकदमे लगाकर दिशा रवि सहित बेटियों को जेलों में ठूंस रही है, वहीं योगी सरकार बेटियों की रक्षा नहीं कर पा रही है। यूपी पुलिस पहले से ही महिलाओं के प्रति संवेदनहीनता का परिचय देती रही है। हाथरस कांड में तो सच्चाई झुठलाने के लिए पुलिस ने क्या नहीं किया! दलितों की सुनवाई भी थानों में कहा होती है! रेप की सर्वाधिक घटनाएं दलित महिलाओं के ही साथ होती हैं।

उन्होंने कहा कि योगी सरकार तो दलितों, महिलाओं और कमजोर वर्गों पर अत्याचार व दबंगई करने वालों को संरक्षण देने, हिरासत में मौतों और फर्जी मुठभेड़ों के लिए कुख्यात है। ऐसे में उन्नाव की ताजा घटना में सच्चाई को सामने लाने, दो लड़कियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर में मीले जहर के स्रोत का पता लगाने और दोषियों को कड़ी-से-कड़ी सजा दिलाने के लिए निष्पक्ष जांच जरूरी है। इसके पहले, बेहोशी की हालत से गुजर रही तीसरी लड़की की जान बचाने की हर संभव कोशिश की जानी चाहिए, क्योंकि घटना की वह एक चश्मदीद गवाह भी है।

माले नेता ने कहा कि मीडिया से मिल रही खबरों के मुताबिक पीड़िताओं के परिवार को पुलिस ने उनके घरों से उठा लिया है और उन्हें किसी से भी मिलने नहीं दिया जा रहा है। अगर यह सच है, तो उन्हें फौरन छोड़ा जाना चाहिए। पूछताछ के नाम पर उनका किसी भी प्रकार का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। उनके गांव (पंचायत पाठकपुर के मजरहे बबुरहा) की 'हाथरस' जैसी पुलिस नाकेबंदी क्यों की गई है? परिवार को मीडिया और जनप्रतिनिधियों से मिलने की इजाजत मिलनी चाहिए।

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