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India successfully test-fires Quick Reaction Surface-to-Air Missile system in Odisha in Hindi - Hastakshep
नई दिल्ली, 20 नवंबर: देश के रक्षा तंत्र की मजबूती और शक्ति संतुलन के लिए अत्याधुनिक आयुध संसाधनों का विकास वर्तमान समय की एक आवश्यकता है। वैश्विक व्यवस्था में आते सतत् बदलावों के बीच यह महत्वपूर्ण है कि भारत रक्षा-आयुध के क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ाए। रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक निरंतर इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। एक ताजा घटनाक्रम में डीआरडीओ के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ‘क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल’ (क्यूआरएसएएम) प्रणाली का सफल उड़ान परीक्षण किया गया है।
DRDO's 'Quick Reaction Surface to Air Missile' Successful Test
यह परीक्षण ओडिशा तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर से किया गया है। परीक्षण के दौरान ‘क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल’ (क्यूआरएसएएम) प्रणाली ने हवाई लक्ष्य का सटीक रूप से पता लगाया और सफलतापूर्वक उस लक्ष्य को निर्धारित समय में मार गिराया।
This was the second flight test in a series of flight tests.
उड़ान परीक्षणों की श्रृंखला में यह द्वितीय उड़ान परीक्षण था। यह परीक्षण उच्च क्षमता वाले मानव रहित जेट हवाई लक्ष्य ‘बंशी’ के विरुद्ध किया गया। इस दौरान रडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सेंसर जैसे कई रेंज उपकरण तैनात किए गए थे, जिन्होंने उड़ान के संपूर्ण डेटा को कैप्चर किया और मिसाइल के निर्देशन का सत्यापन किया।
इस बारे में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान (An official statement issued by the Ministry of Defense) में बताया गया है कि रडार ने काफी लंबी दूरी से लक्ष्य का पता लगा लिया था और मिसाइल के दागे जाने तक कंप्यूटर द्वारा स्वचालित तरीके से उसकी निगरानी की जा रही थी। इसके साथ ही, रडार डेटा लिंक के माध्यम से मिसाइल को निरंतर निर्देशित कर रहा था। मिसाइल ने टर्मिनल एक्टिव होमिंग गाइडेंस में प्रवेश किया और लक्ष्य के इतने करीब पहुंच गई, जो वॉरहेड एक्टिवेशन के निकटतम संचालन के लिए पर्याप्त था। मिसाइल के संदर्भ में टर्मिनल गाइडेंस से तात्पर्य ऐसी निर्देशन प्रणाली से है, जो "टर्मिनल चरण" के दौरान अपने लक्ष्य को भेदने से ठीक पहले सक्रिय होती है।
‘क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल’ की विशेषताएं
यह उड़ान परीक्षण हथियार प्रणाली की तैनाती के रूप में किया गया था। इसमें लॉन्चर, पूर्ण रूप से स्वचालित कमान एवं नियंत्रण प्रणाली, निगरानी प्रणाली और मल्टी फंक्शन रडार शामिल थे। इस प्रणाली का संचालन गतिशील स्थिति में किया जा सकता है। यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि इसमें स्वदेशी रूप से विकसित उप-प्रणालियां शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि परीक्षण के सभी उद्देश्य पूर्ण रूप से प्राप्त किए गए हैं।
क्यूआरएसएएम प्रणाली की श्रृंखला में पहला परीक्षण 13 नवंबर 2020 को किया गया था, जिसमे सीधा प्रहार करके एक बड़ी उपलब्धि हासिल की गई।
दूसरे परीक्षण ने आयुध के प्रदर्शन के मापदंडों को साबित कर दिखाया। लगातार दूसरे सफल उड़ान परीक्षण पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ प्रमुख डॉ. जी सतीश रेड्डी ने क्यूआरएसएएम परियोजना पर काम करने वाली सभी टीमों को बधाई दी है। हैदराबाद एवं बालासोर में स्थित मिसाइल कॉम्पलैक्स लैबोरेटरीज के अलावा इस परीक्षण में आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (ए.आर.ऐंड डी.ई.) तथा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान-इंजीनियर्स (आर. ऐंड डी.ए.-ई.), पुणे, इलेक्ट्रोनिक्स एवं रडार विकास स्थापना (एल.आर.डी.ई.) और यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आई.आर.डी.ई.), देहरादून की टीमें शामिल थीं। (इंडिया साइंस वायर)