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नई दिल्ली, 9 दिसम्बर, 2019 : स्टेट लीगल एड कमेटी के कार्यकारी चेयरमेन प्रो. भीम सिंह की अध्यक्षता में नई दिलली में एक बैठक आयोजित की गयी, जिसमें भारत और पाकिस्तान पर जोर दिया गया कि जो पाकिस्तानी भारतीय जेलों में और भारतीय पाकिस्तानी जेलों में तीन साल से ज्यादा जेल काट चुके हैं, उन सभी कैदियों को रिहा किया जाय।
सुप्रीम कोर्ट भारत सरकार को निर्देश दे चुकी है कि उन सभी पाकिस्तानी कैदियों को, जो भारत की विभिन्न जेलों में अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, के लिए उपयुक्त ट्रायल और रिहाई के प्रबंध करे। यह भी दिलचस्प है कि भारत-पाक सरकारों ने उचित परामर्श देने के लिए भारत-पाक कैदियों के लिए लीगल कमेटी (Legal Committee for Indo-Pak Inmates) बनायी थी। स्टेट लीगल एड कमेटी ने महसूस किया कि 2015 से दोनों देशों की सरकारों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
प्रो. भीम सिंह ने कहा कि उन पाकिस्तानी कैदियों की जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, कr देश-वापिसी के लिए दी गयी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया। दूसरी तरफ पाकिस्तान में बंद भारतीय कैदियों (Indian prisoners held in Pakistan) को भी भारत-पाक संयुक्त कंसलटैंट कमेटी की सिफारिशों के फायदे नहीं दिये गये।
Nearly 1000 Pakistanis released from Indian jails on Supreme Court intervention
प्रो. भीम सिंह ने कहा कि इससे सम्बंधित एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में 2005 से लम्बित है और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर लगभग 1000 पाकिस्तानी भारतीय जेलों से रिहा हो चुके हैं। पांच वर्ष पहले भारत सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया था कि अमृतसर की जेल में दिव्यांग कैदी हैं, लेकिन भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद अमृतसर जेल में बंद गूंगे-बहरे कैदियों की रिहाई के लिए उचित कार्यवाही करने में भी विफल रही है।
प्रो. भीम सिंह ने भारतीय अधिवक्ताओं विशेष रूप से स्टेट लीगल एड कमेटी के साथ जुड़े अधिवक्ताओं श्री बी.एस. बिलौरिया, बंसी लाल शर्मा, डी.के गर्ग और सतीश विज का धन्यवाद किया। उन्होंने भारत और पाकिस्तान सरकारों से ज्वांइट लीगल कंसलटैंट कमेटियों को फिर पुनर्जीवित करने का आग्रह किया, जिससे कैदियों की विशेष रूप से उन कैदियों की रिहाई सम्भव हो सके, जो 14 वर्ष से ज्यादा जेलों में काट चुके हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी अधिवक्ताओं की दावत पर पाकिस्तान दौरे के दौरान मुझे पाकिस्तान में वर्षा से गैरकानूनी रूप से बंद भारतीय कैदियों की दशा के बारे पता चला, जिन्हें भारत सरकार और विधि विभाग नजरअंदाज कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार को कई पत्र लिखे जाने के बावजूद वहां बंद भारतीय कैदियों की संख्या और नामों के सम्बंध संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
भारतीय सरकार ने जेलों में पाकिस्तानी कैदियों का रक्षा और सुरक्षा के लिए कई उपाय किय हैं, जबकि पाकिस्तान में बंद भारतीय कैदियों के सम्बंध में इस तरह की कोई सूचना नहीं है।
प्रो. भीम सिंह ने विधि विभाग से अपील की कि भारत की विभिन्न जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई के सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट में लम्बित उनकी याचिका का विरोध न करे। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से पाक जेलों में बंद भारतीय कैदियों की संख्या और नामों के सम्बंध में सूची जारी करने और स्टेट लीगल एड कमेटी के प्रतिनिधि को पाक जेलों में बंद भारतीय कैदियों से मुलाकात की अनुमति देने का आग्रह किया। उन्होंने भारत-पाक सरकारों से ज्वांइट लीगल एड कमेटी को पुनर्जीवित करने का आग्रह किया, जिससे भारत में बंद पाकिस्तानी कैदियों और पाक जेल में भारतीय कैंदियों की रिहाई का रास्ता प्रशस्त हो सके।