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उद्घाटन के लिए तैयार है जम्मू का औद्योगिक बायोटेक पार्क

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hastakshep
25 May 2022
उद्घाटन के लिए तैयार है जम्मू का औद्योगिक बायोटेक पार्क

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Industrial Biotech Park of Jammu ready for inauguration

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नई दिल्ली, 25 मई 2022: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जम्मू में स्थापित उत्तर भारत  के पहले औद्योगिक बायोटेक पार्क (Industrial Biotech Park) का उद्घाटन आगामी 28 मई को करेंगे।

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इस तरह के दो औद्योगिक बायोटेक पार्क जम्मू-कश्मीर में स्थापित किए जा रहे हैं, इनमें से एक जम्मू क्षेत्र के कठुआ जिले के घट्टी में है, तो दूसरा बायोटेक पार्क कश्मीर के हंदवाड़ा में है।

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प्रौद्योगिकी ऊष्मायन, प्रशिक्षण और कौशल विकास के अलावा घट्टी (कठुआ) स्थित बायोटेक पार्क में हर्बल निष्कर्षण, किण्वन, विश्लेषणात्मक प्रयोगशाला, आसवन, प्लांट टिश्यू कल्चर जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। यह न केवल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, बल्कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के कृषि-उद्यमियों, स्टार्टअप्स, प्रगतिशील किसानों, युवा उद्यमियों, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और छात्रों के लिए भी उपयोगी होगा।

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यह बायोटेक पार्क मुख्य रूप से स्टार्टअप्स के नये विचारों के ऊष्मायन के केंद्र के रूप में कार्य करेगा, और उन्हें उद्योंगों से जुड़ने के लिए सहायता प्रदान करेगा।

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भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और जम्मू-कश्मीर साइंस, टेक्नोलॉजी ऐंड इनोवेशन काउंसिल द्वारा संयुक्त रूप से इन औद्योगिक पार्कों को स्थापित करने का कार्य फरवरी 2019 में आरंभ किया गया था। जबकि, सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन, (सीएसआईआर-आईआईआईएम), जम्मू को इस परियोजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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जम्मू-कश्मीर में शुरू किए जा रहे बायोटेक पार्क जैव प्रौद्योगिकी विभाग के समर्थन से विभिन्न राज्यों में शुरू किए जाने वाले 09 जैव प्रौद्योगिकी पार्कों में शामिल हैं।

जैव प्रौद्योगिकी ने स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, प्रसंस्करण उद्योग, पर्यावरण जैसे क्षेत्रों को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है, और दुनिया भर में सामाजिक आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।

भारतीय जैव प्रौद्योगिकी उद्योग, ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत वैश्विक स्तर पर जैव प्रौद्योगिकी की अपार क्षमता का दोहन करने की क्षमता रखता है। भारतीय बायोटेक उद्योग दुनिया के शीर्ष 12 गंतव्यों में से एक है, और चीन के बाद एशिया में दूसरे स्थान पर है।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख (Union Territories of Jammu and Kashmir and Ladakh) अपनी अनुकूल जलवायु, भौगोलिक स्थिति और इस क्षेत्र में अद्वितीय फसलों एवं पौधों की उपलब्धता के कारण जैव प्रौद्योगिकी की क्षमता का दोहन करने के लिए विशिष्ट क्षमता रखते हैं। इन क्षेत्रों की क्षमता का उपयोग मूल्यवर्धित फसलों के उत्पादन एवं प्रसंस्करण के लिए जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया जा सकता है। यह क्षेत्र प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों युक्त है। इनमें फूलों की उत्कृष्ट किस्में, व्यावसायिक रूप से प्रासंगिक औषधीय पौधे आदि शामिल हैं। फलों और मेवों की खेती भी इस क्षेत्र के लिए आय के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जम्मू-कश्मीर साइंस, टेक्नोलॉजी ऐंड इनोवेशन काउंसिल द्वारा संयुक्त रूप से इस केंद्र शासित प्रदेश में दो औद्योगिक बायोटेक पार्कों की परिकल्पना की गई थी। इनकी स्थापना से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जैव विविधता, औषधीय और सुगंधित पौधों पर शोध, और हरित श्रेणी के व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा।

घट्टी बायोटेक पार्क (Ghatti Biotech Park) के माध्यम से जम्मू संभाग के कंडी से लेकर भद्रवाह, बानी, बसोहली और किश्तवाड़ तक औषधीय पौधों की उपज (production of medicinal plants) में वृद्धि को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है, जिससे किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर बेहतर आय प्राप्त हो सकेगी।

भारत के जिन शीर्ष वैज्ञानिकों एवं प्रौद्योगिकीविदों के इस बायोटेक पार्क के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद है, उनमें भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव एवं सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ राजेश गोखले, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ एम रविचंद्रन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ एस. चंद्रशेखर, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजयराघवन, और पूर्व-डीजी सीएसआईआर डॉ शेखर सी. मांडे शामिल हैं।

(इंडिया साइंस वायर)

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