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Influenza killed 61,000 people in the US in 2017-18 as well
चीन से शुरू हुए वायरस से दुनिया में हंगामा मचा है, लेकिन अमेरिका में फैले इंफ्लुएंजा से इस सीज़न में अब तक 10 हज़ार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है (Influenza spread across America has killed more than 10,000 people so far this season.), इस पर आखिर चुप क्यों है दुनिया ? इतना ही नहीं 2017-18 में भी अमेरिका में इंफ्लुएंजा से 61 हज़ार लोग मारे गए। लेकिन क्या कभी आपने सुना कि अमेरिका के खिलाफ किसी देश ने ट्रेवल एडवायज़री जारी की हो।
The Chinese government and citizens are working hard in the ongoing fight against the Corona virus.
कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही लड़ाई में चीन सरकार और नागरिक पूरी मेहनत के साथ जुटे हैं। चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग और राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस महामारी से निपटने के लिए चल रहे प्रयासों और अभियान पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। लेकिन इस दौरान विदेशी मीडिया खासतौर पर सोशल मीडिया पर मानो चीन के खिलाफ अभियान सा चल गया है कि चीन की छवि को खराब किया जाय। इसकी शुरुआत कुछ पश्चिमी मीडिया की खबरों से हुई और अब कई जगहों पर ऐसा माहौल तैयार किया जा रहा है जैसे कि चीन की सरकार जन-विरोधी है। वह अपने नागरिकों को मारने की तैयारी कर रही है, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति ली जाने वाली है।
Rumors about corona virus
इतना ही ऐसी अफवाह भी फैलाई जा जा रही है कि, चीन ने हूबेई प्रांत और उसकी राजधानी वूहान में हज़ारों लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है।
Ongoing campaign against China on social media
सोशल मीडिया पर चीन के खिलाफ चल रहे अभियान का कुछ उदाहरण देना चाहूंगा, जिसमें लोग कह रहे हैं कि
"चीन में अब तक पचास हज़ार लोग मर चुके हैं और हज़ारों को मारने की तैयारी हो रही है। इस तरह की अमानवीय हरकत करने जा रही है चीन सरकार"।
इस तरह की अफवाहों को सुन और देखकर मैं खुद को यह लेख लिखने से नहीं रोक सका।
मैं हर जगह पर लोगों से अपील कर रहा हूं कि बेवजह की अफवाहों पर ध्यान न दें। यह ऐसी मुश्किल की घड़ी है, जिसमें हम सभी लोगों को मिलकर चीन और वहां के नागरिकों के साथ खड़ा होना चाहिए। क्योंकि यह एक ऐसी महामारी है जो किसी देश की सीमा को नहीं मानती है।
Even though this virus has originated from China, but what is the fault of Chinese people in it?
भले ही इस वायरस की शुरुआत चीन से हुई हो, लेकिन इसमें चीनी लोगों का क्या दोष है ?
किसी भी देश पर कभी भी ऐसी आपदा आ सकती है, मानवता यही कहती है कि हमें दुख और मुसीबत के समय पीड़ित लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए।
अब आप देखें कि चीन में फैल रहे वायरस पर दुनिया इतना हंगामा मचा रही है, वहीं अमेरिका में अब तक इस सीज़न में इंफ्लुएंजा की चपेट में आकर 10 हज़ार से ज्यादा लोग मर चुके हैं। ये आंकड़े अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा जारी किए गए हैं।
इतना ही नहीं रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में इस तरह के फ्लू से हर साल लगभग 12 हज़ार लोग मर जाते हैं। इससे भी चौंकाने वाली रिपोर्ट यह है कि 2017-18 के फ्लू सीज़न में अमेरिका मे करीब 61 हज़ार लोगों की मौत हुई और लगभग 4.5 करोड़ इससे संक्रमित हुए।
अब जरा सोचिए कि अमेरिका में हज़ारों लोगों के मरने पर भी दुनिया की मीडिया में न के बराबर खबरें हैं, जबकि चीन में फैले वायरस ने अब तक 1400 लोगों की जान ली है। इससे पहले ही विश्व के कई देशों ने चीन के लिए अपनी विमान सेवाएं बंद कर दीं और अपने लोगों को चीन न जाने की सलाह दी है। विदेशों में मौजूद चीनी लोगों को भी भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है।
क्या कभी आपने सुना कि किसी देश ने अमेरिका के लिए उड़ाने रद्द की हों या अमेरिकी लोगों के साथ भेदभाव किया गया हो ?
वहीं चीन में पिछले दस वर्षों से रहते हुए मैंने महसूस किया है कि चीन सरकार अपने नागरिकों के जीवन, स्वास्थ्य का बहुत खयाल रखती है। साथ ही चीन की स्वास्थ्य व्यवस्था कई देशों से बेहतर भी है। चीन कभी भी ऐसा काम नहीं कर सकता है, जिससे उसके नागरिकों की जान खतरे में पड़े। अगर चीन सरकार को अपने लोगों को कोई चिंता न होती तो क्या सरकार की ओर से हज़ारों डॉक्टरों, नर्सों और सैनिकों को हूबई प्रांत भेजा जाता ? क्या दस दिन के भीतर दो हज़ार से अधिक बेड वाले अस्पतालों का निर्माण किया जाता ?
इतना ही नहीं केंद्र सरकार को इस महामारी की ख़बर मिली तो बड़े पैमाने पर लोगों की आवाजाही को रोकने का मकसद भी उनकी जिंदगी को बचाना था। ताकि वायरस का प्रभाव और व्यापक न हो सके। लेकिन दूसरे देशों में कहा जा रहा है कि चीन ने अपने नागरिकों को बंद करके रख दिया, इस तरह की खबरों में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है।
China has controlled the epidemic in the past as well
कहना होगा कि चीन अतीत में भी महामारी को नियंत्रित कर चुका है, और इस बार भी चीन सरकार द्वारा किए जा रहे व्यापक प्रयासों से कोरोना वायरस पर जरूर विजय पायी जा सकेगी। संकट के इस वक्त पर पूरी दुनिया को चीन के साथ भेदभाव करने या अफवाह फैलाने के बजाय, इस महामारी के मुकाबले में साथ देना चाहिए। क्योंकि इस तरह की आपदा कभी किसी अन्य देश के सम्मुख भी आ सकती है।
अनिल आज़ाद पांडेय
(लेखक चाइना मीडिया ग्रुप के वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले दस वर्षों से चीन में हैं। चीन जाने से पहले भारत के प्रमुख राष्ट्रीय अखबारों में काम कर चुके हैं। उनका यह लेख मूलतः चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पेइचिंग पर प्रकाशित हुआ है, उसके संपादित अंश हम यहां साभार दे रहे हैं)