केन्द्र सरकार का प्रवासी मजदूरों के प्रति अमानवीय रूख जारी - दिनकर कपूर
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Inhumane attitude of central government towards migrant workers continues - Dinkar Kapoor
घर वापसी में मजदूरों की मदद ही उनमें बहाल करेगा विश्वास
लखनऊ 5 मई 2020 : प्रवासी मजदूरों से किराया वसूली(Fare recovery from migrant laborers) के सवाल के राजनीतिक सवाल बनने के बाद बैकफुट पर आयी केन्द्र सरकार अभी भी मेहनतकशों के प्रति अपने आपराधिक व अमानवीय रूख को बदलने को तैयार नहीं है। कल ही केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने बयान जारी करके कहा है कि सामान्य रूप से अन्य राज्यों में बसें प्रवासी मजदूरों को घर वापस जाने की अनुमति नहीं मिलेगी। अभी भी सरकारें महज उन्हीं मजदूरों को ला रही हैं, जो अपने घरों के लिए पैदल चल चुके थे और रास्ते में पुलिस-प्रशासन व्दारा पकड़ कर 14 दिन के लिए कोरंटाइन कराया गया है। इसलिए कोरोना महामारी के इस संकटकालीन समय में सरकार को मेहनतकश विरोधी अपने रूख को बदलना होगा। उसे जो भी मजदूर अपने घर वापस जाना चाहते हैं उनके समुचित व सुलभ वापस भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए। उसे हर प्रवासी मजदूर को कम से कम दस हजार रूपए और उसके परिवारों को मुफ्त राशन देना चाहिए ताकि उसके ऊपर निर्भर को भुखमरी की हालत से बचाया जा सके।
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यह बातें आज प्रेस को जारी अपने बयान में वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहीं।
उन्होंने कहा कि दरअसल कारपोरेट लॉबी का सरकारों पर जबर्दस्त दबाब है कि मजदूरों को उनके घर न जाने दिया जाए क्योंकि मजदूरों के बिना उनका उद्योग चल नहीं पायेगा। वहीं मजदूरों में घर वापस लौटने की भारी बेचैनी है। प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के बड़े-बडे प्रचार और उनके प्रति घड़ियाली आंसू बहाने में ही सरकारों की ज्यादा रूचि है। उनकी वास्तविक मदद करने में सरकारों के प्रयास बेहद कम है। देश के विभिन्न प्रांतों में रह रहे उत्तर प्रदेश के मजदूर बता रहे हैं कि उनके खाने, रहने तक का इंतजाम नहीं है। सरकार के असंवेदनहीन व गैरजबाबदेह रवैये के कारण मजदूर अपने घरों की ओर पैदल या किसी साधन से चल पड़े हैं। उन्हें रास्ते में पुलिस-प्रशासन द्वारा पकडा जा रहा है और पुलिस बर्बरता का शिकार होना पड़ रहा है। सूरत, हैदराबाद, मुम्बई समेत देश के कई प्रांतों में मजदूर सड़क पर उतर आए हैं। इसलिए सरकार के गृह विभाग द्वारा दिए नए आदेश के बाद यदि मजदूरों को रोका गया तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है।
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जो सरकार इस संक्रमण के समय भी शराब के व्यापार को पूरे देश में करने का आदेश दे रही है, वहीं सरकार इस देश के राष्ट्र निर्माता मजदूरों को संक्रमण रोकने के नाम पर अपने घर वापस जाने पर प्रतिबंध लगा रही है।
उन्होंने मांग की कि सरकार को मजदूरों में विश्वास बहाल करने के लिए गृह सचिव द्वारा जारी आदेश वापस लेना चाहिए और प्रवासी मजदूर को यदि वह घर वापस जाना चाहता है तो उन्हें रोकना नहीं चाहिए। ताकि लाकडाउन के बाद वह मजदूर पुनः अपने काम पर वापस आकर उद्योगों में उत्पादन में योगदान कर सके और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके।