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International Day for the Eradication of Poverty in Hindi,विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस,
अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस विशेष - 17 अक्टूबर 2022
गरीबी उन्मूलन अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाया जाता है?
विश्व स्तर पर 17 अक्टूबर को “विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस” जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। हर साल, 17 अक्टूबर को, गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day for the Eradication of Poverty in Hindi) पर, दुनिया भर में लोग गरीबी में रहने वालों को सुनने और गरीबी को समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए इकट्ठा होते हैं। विश्व भर के साथ-साथ हमारे देश में भी गरीबी की समस्या बहुत बड़े पैमाने पर बढ़ रही है, यह गरीबी अन्य गंभीर समस्याओं को जन्म देती है जिससे देश का विकास बाधित होता है। इसी गंभीर विषय पर डॉ. प्रितम भीमराव गेडाम का आलेख
आज हम आधुनिक तकनीकी युग और विश्व शक्ति की बात करते है, लेकिन आज भी अस्पताल से एम्बुलेंस के लिए पैसे के अभाव में लोग अपने परिजनों के शव कंधे पर ढोकर ला रहे, दुर्गम और पिछड़े इलाकों में आज भी मासूम बच्चे नदी-नाले, जंगल, उबड़-खाबड़ रास्तों को पार करके स्कूल जा रहे, कई ग्रामीण महिलाएं पानी के लिए रोज लंबा सफर तय करती है, आज भी हमारे देश के कई ग्रामीण इलाकों में आधारभूत चिकित्सा सेवाओं के अभाव में आपातकालीन समय में जिंदगियां दांव पर लग जाती है, आज भी कई असहाय लोग सड़क किनारे कचरे के ढेर में से खाना ढूंढते नजर आते है, मासूम बच्चें भूख-भूख करते हुए जान गवाने और गरीबी में कई मां अपनी कोख के मासूम को बेचने को मजबूर होने जैसी कई ऐसी हृदय विदारक घटनाएं खबरों के माध्यम से देखने-सुनने पढ़ने मिलती है। गरीबी में जीवन का संघर्ष मनुष्य को किस रास्ते पर ले जाये, कह नहीं सकते। गरीबी में जिंदगी के लिए मनुष्य को बहुत बार ऐसी मजबूरियों से गुजरना पड़ता है, जिसके लिए वह कभी सोच नहीं सकता। गरीबी में जन्मे बच्चों का जिंदगी के लिए संघर्ष जन्म से ही शुरू हो जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य मिलना तो दूर, पहले दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष होता है, शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधा के लिए संघर्ष होता है, शिक्षा के बाद रोजगार के लिए संघर्ष होता है, जीवनयापन के लिए आवश्यक सुविधाओं के लिए संघर्ष होता है, शुद्ध हवा पानी आवास के लिए तो जिंदगीभर संघर्ष चलता है। अगर भेदभाव, भ्रष्टाचार, ऊँच-नीच जैसी विचारधारा मध्य आ जाये तो ये गरीबी जीवन का संघर्ष और भी भयावह होता है।
गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस क्यों मनाया जाता है?
हर साल 17 अक्टूबर को गरीबी कम करके जीवनमान उच्च करने के उद्देश्य से दुनियाभर में “गरीबी उन्मूलन अंतर्राष्ट्रीय दिवस” मनाया जाता है। इस साल के लिए गरीबी उन्मूलन अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2022 की मुख्य थीम "व्यवहार में सभी के लिए गरिमा" (Dignity for all in practice is the umbrella theme of the International Day for the Eradication of Poverty for 2022-2023) यह है।
गरीबी की बढ़ती दर देश की आर्थिक प्रगति को बाधित करती है, जब देश की बड़ी आबादी आधारभूत सेवा-सुविधाओं को खरीदने या उनका लाभ पाने से वंचित रहती है, तो आर्थिक विकास हासिल करना अधिक कठिन होता है। गरीबी जैसी समस्या अन्य अनेक सामाजिक समस्याएं पैदा करती है जो लोगों के जीवनमान को बुरी तरीके से प्रभावित करती है। गरीबी में स्वास्थ्य और शिक्षा के निम्न स्तर, भूख और कुपोषण, अस्वच्छ हवा पानी वातावरण, बेहतर जीवन के बहुत कम अवसर, सामाजिक भेदभाव और बहिष्कार के साथ-साथ निर्णय लेने में भागीदारी की कमी, अपर्याप्त सुरक्षा और क्षमता होती हैं।
गरीबी अपराध, मलिच्छ बस्ती, नशाखोरी, बीमारियों को बढ़ाने में सहायक होती है। लिंग या जातीय भेदभाव, खराब शासन, भ्रष्ट प्रशासन वर्ग, संघर्ष, शोषण, अत्याचार और घरेलू हिंसा सहित असमानताएं भी गरीबी का कारण बनती हैं।
बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है। अनपढ़ और गरीब लोग जो मिले वह काम, मजदूरी या बोझा ढोने को भी तैयार हो जाते है, लेकिन आज महंगाई की स्थिति सामान्य मध्यमवर्गीय शिक्षित लोगों के जीवन का संघर्ष भी मुश्किल बना रही है, आर्थिक तंगी के कारण सामान्य मध्यमवर्गीय लोगों में आत्महत्या का प्रमाण चिंताजनक रूप से काफी बढ़ गया है।
शिक्षा और बेरोजगारी का ये आलम है कि शिक्षा अनुरूप नौकरी नहीं मिलती, इसलिए बड़ी संख्या में उच्च शिक्षित उम्मीदवार भी चतुर्थ श्रेणी के पद हेतु आवेदन कर रहे हैं।
भारत में चरम पर है बढ़ती आर्थिक असमानता
विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 (World Inequality Report 2022) कहती है कि भारत में दुनिया की सबसे चरम असमानता देखी गई है। देश की शीर्ष 10 प्रतिशत आबादी के पास राष्ट्रीय आय का 57% है, जिसमें से 22% शीर्ष एक प्रतिशत लोगों के पास है जो 1990 में 11 प्रतिशत था। नीचे के 50% आबादी के हिस्से देश की कुल संपत्ति का केवल 13% है, ये लोग सालाना 53160 रुपये और शीर्ष 10% आबादी 1166520 रुपये कमा रहे हैं, जो निम्न से 20 गुना अधिक है। गिनी (आय वितरण में असमानता) गुणांक देश में बढ़ती असमानता की ओर इशारा करती है। 2014 में गुणांक 34.4% से 2018 में गुणांक बढ़कर 47.9% हो गया।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि पिछले एक दशक में तनाव, उदासी, गुस्सा और चिंता बढ़ रही है, जो अब रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। देश में धन के साथ लैंगिक समानता और नस्लीय समानता की भी आवश्यकता नजर आती है।
भुखमरी और कुपोषण की स्थिति नाजुक
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हर दिन, 10,000 से अधिक बच्चों सहित 25,000 लोग भूख और संबंधित कारणों से जान गवाते हैं। दुनिया भर में लगभग 854 मिलियन लोगों के कुपोषित होने का अनुमान है, और उच्च खाद्य कीमतें अन्य 100 मिलियन को गरीबी और भूख में धकेल सकती हैं।
भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 14.8% है, जो वैश्विक और एशियाई दोनों औसत से अधिक है।
2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण द्वारा रिपोर्ट किया गया था कि देश में लगभग 19 करोड़ लोग हर रात खाली पेट सोने के लिए मजबूर थे। इसके अलावा, सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है कि देश में हर दिन लगभग 4500 बच्चे पांच साल से कम उम्र में भूख और कुपोषण के कारण मर जाते हैं।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट अनुसार, हर मिनट कम से कम 11 लोग भूख और कुपोषण से मर रहे हैं। दुनिया में जिन लोगों के पास भोजन तक पहुंच नहीं है, उनकी संख्या 700 मिलियन से बढ़कर 821 मिलियन हो गई, उपायों के बावजूद पिछले पांच वर्षों में खाद्य असुरक्षित लोगों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि हुई।
गरीबी में विश्व स्तर पर भारत देश की स्थिति
वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021 में भारत देश 109 देशों में 66 वें स्थान पर है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2021 में, भारत 116 देशों में से 101वें स्थान पर है, 27.5 के स्कोर के साथ भारत देश में भूख का स्तर गंभीर है, इस रैंकिंग में पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल ने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक 2021 अनुसार, भारत 195 देशों में से 66वें स्थान पर है।
वैश्विक खाद्य सुरक्षा जीएफएस इंडेक्स 2021 में भारत 113 देशों में साथ 71 वें स्थान पर रहा। वैश्विक युवा विकास सूचकांक 2020 अनुसार, 181 देशों में भारत 122वें स्थान पर है। आर्थिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की विश्वव्यापी रैंकिंग मानव स्वतंत्रता सूचकांक 2021 भारत 119 स्थान पर है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का 20 वां संस्करण रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा प्रकाशित रैंकिंग अनुसार, 180 देशों में भारत 150 वें स्थान पर है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट 2022 में भारत कुल 146 देशों में 135 वें स्थान पर है।
विश्व बैंक ने 2020 के लिए मानव पूंजी सूचकांक (एचसीआई) रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारत 180 देशों में से 116 वें स्थान पर है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की नवीनतम रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) 2021 में कुल 191 देशों में से एक रैंक फिसलकर 132 पर आ गया है। आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक 2020 में भारत 105 वें स्थान पर है।
भारत का पहला संस्थान, जिसने विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग 2021-22 में जगह बनायी वह भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद विश्व स्तर पर 415 स्थान पर है।
भारत का हर चौथा व्यक्ति गरीब
नीति आयोग के अनुसार भारत में 25 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है। भारत की कुल जनसंख्या का हर चौथा व्यक्ति गरीबी में है। भारत दुनिया भर के 117 देशों में पांचवां सबसे प्रदूषित देश है। 2021 में मध्य और दक्षिण एशिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 12 शहर भारत में थे। दुनिया में वही देश विकसित हुए जिन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार को बढ़ावा दिया है और बेहतर जीवन और गरीबी उन्मूलन के लिए यही बातें सबसे जरूरी है।
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)