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आज अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस है, जिसे सबसे पहले 1996 में मनाया गया था

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hastakshep
16 Nov 2021
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आज अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस है, जिसे सबसे पहले 1996 में मनाया गया था

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अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस : जानिए क्यों मनाते हैं International Day for Tolerance

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प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस ( International Day for Tolerance in Hindi) मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाने का उद्देश्य (Objective of celebrating International Day for Tolerance) विश्व में शांति के साथ-साथ सामंजस्य कायम करना है।

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यूनाइटेड नेशंस के अनुसार,

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“एक शांतिपूर्ण विश्व ? के लिए विविधताओं का सम्मान करते हुए सभी को साथ लेकर चलना अत्यंत आवश्यक है.”

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1994 में, महात्मा गांधी के जन्म की 125 वीं वर्षगांठ पर यूनेस्को ने 16 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के रूप में घोषित किया गया। यह दिन शांति, अहिंसा और समानता के महात्मा के मूल्यों को प्रोत्साहित करता है।

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वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सदस्य देशों को हर वर्ष 16 नवंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस’ दिवस मनाने का सुझाव दिया था जिसका उद्देश्य संस्कृतियों व समुदायों में आपसी समझ को बढ़ावा देना था।

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गौरतलब है कि आज 16 नवंबर, 2021 को संपूर्ण विश्व में अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस’ (International Day for Tolerance) मनाया जा रहा है।

https://twitter.com/antonioguterres/status/1460467413481246727

सहिष्णुता और अहिंसा को बढ़ावा देने के लिए यूनेस्को-मदनजीत सिंह पुरस्कार (UNESCO-Madanjeet Singh Prize for the Promotion of Tolerance and Non-Violence)

1995 में, सहिष्णुता के लिए संयुक्त राष्ट्र वर्ष और महात्मा गांधी के जन्म की 125 वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए, यूनेस्को ने सहिष्णुता और अहिंसा को बढ़ावा देने के लिए एक पुरस्कार देने की घोषणा की।

सहिष्णुता और अहिंसा को बढ़ावा देने के लिए यूनेस्को-मदनजीत सिंह पुरस्कार सहिष्णुता और अहिंसा की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वैज्ञानिक, कलात्मक, सांस्कृतिक या संचार क्षेत्रों में महत्वपूर्ण गतिविधियों को पुरस्कृत करता है।

यह पुरस्कार हर दो साल में अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस, 16 नवंबर को दिया जाता है। पुरस्कार उन संस्थानों, संगठनों या व्यक्तियों को दिया जा सकता है, जिन्होंने सहिष्णुता और अहिंसा के लिए विशेष रूप से मेधावी और प्रभावी तरीके से योगदान दिया है।

https://twitter.com/UN/status/1460382856702611459

सहिष्णुता की भूमिका आज आवश्यक क्यों हो गई है?

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की महानिदेशक ऑड्री अज़ोले (Audrey Azoulay) ने अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस 2019 के अवसर पर अपने संदेश में कहा था- एक ऐसे दौर में जब चरमपंथ और कट्टरता के मामले ज़्यादा दिखाई दे रहे हैं, जब “नफ़रत का विष” मानवता के एक हिस्से में ज़हर घोल रहा है, उस समय में सहिष्णुता की भूमिका बेहद आवश्यक हो गई है।

सहिष्णुता का अर्थ क्या है?

उन्होंने अपने संदेश में कहा था कि, “सहिष्णुता का अर्थ महज़ सुस्ती से खड़े रहने या पुरुषों, महिलाओं, संस्कृतियों और आस्थाओं में भिन्नताओं के प्रति असंवेदनशील बने रहने भर से कहीं ज़्यादा है।”

अज़ोले के मुताबिक़ यह एक मानसिक अवस्था है, एक जागरूकता और ज़रूरत है।

https://twitter.com/UNCCD/status/1195348981229834241

उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि सहिष्णुता का अर्थ “यह समझना है कि सांस्कृतिक विविधता संपदा का ही एक स्वरूप है, विभाजन का कारक नहीं।”

अज़ोले के मुताबिक़ इसके तहत यह समझा जाना होगा कि अपने तात्कालिक और प्रतीत होने वाले मतभेदों से परे हर संस्कृति, सार्वभौमिकता का एक घटक है और मानवता की साझा ज़ुबान है।

असहिष्णुता से लड़ाई में जरूरी बातें : Important things in the fight against intolerance

क़ानून (law) : मानवाधिकार क़ानूनों को सख़्ती से लागू करने, नफ़रत से प्रेरित अपराधों और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध भेदभाव (discrimination against minorities) पर अंकुश लगाने और दोषियों को दंडित करने की ज़िम्मेदारी सरकारों की है।

शिक्षा (Education) : बच्चों को सहिष्णुता, मानवाधिकारों, और अन्य जीवनशैलियों के बारे में बताने के लिए घरों व स्कूलों में विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।

सूचना की सुलभता (access to information) : ऐसी नीतियाँ बनाना आवश्यक है जिनसे प्रेस की आज़ादी (freedom of the press) और बहुलतावाद (pluralism) को बढ़ावा मिलता हो ताकि जनता तथ्यों और राय में भेद कर सके.

वैयक्तिक जागरूकता (personal awareness) : लोगों को अपने व्यवहार और समाज में अविश्वास व हिंसा के घातक चक्र में संबंध के प्रति जागरूक होना होगा. इसके तहत लोगों को स्वयं से सवाल करना होगा कि क्या वे अपने से भिन्न समुदायों को नकार देते हैं और अपनी समस्याओं का ठीकरा दूसरों पर फोड़ते हैं.

स्थानीय समाधान (local solution) : अहिंसक कार्रवाई के औज़ारों में नफ़रत भरे प्रोपेगेंडा का भंडाफोड़ करना, समस्याओं से सामूहिक रूप से निपटने के लिए समूह बनाने और ज़मीनी स्तर पर नैटवर्क तैयार करना है ताकि असहिष्णुता के पीड़ितों के साथ एकजुट हुआ जा सके.

https://twitter.com/UNinHindi/status/1460449545775509506

सहिष्णुता दिवस के बारे में एक नजर में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानिए

'अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस’ (International Day for Tolerance) असहिष्णुता के खतरों के प्रति लोगों में जागरूकता उपन्न करने के लिए मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1996 में 'अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस’ को मनाने की घोषणा की थी।

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1995 को संयुक्त राष्ट्र असहिष्णुता वर्ष घोषित किया गया था।

वर्ष 1995 में यूनेस्को ने महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर सहिष्णुता और अहिंसा को बढ़ावा देने के लिए एक पुरस्कार की स्थापना की थी।

यह पुरस्कार यूनेस्को-मदनजीत सिंह पुरस्कार विज्ञान, कला, संस्कृति अथवा संचार के क्षेत्र में सहिष्णुता और अहिंसा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किए गए काम के लिए दिया जाता है।

https://twitter.com/ashokgehlot51/status/1460465504225660929

Notes - The International Day for Tolerance is an annual observance day declared by UNESCO in 1995 to generate public awareness of the dangers of intolerance. It is observed on 16 November. Wikipedia

https://twitter.com/AusHCIndia/status/1460453268048416776

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