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Iran is the real lion, America is also but paper, It was the first time since World War Two that someone attacked a US military camp
नई दिल्ली, 17 जनवरी 2020. ईरान के क्रांति संरक्षक बल की कुद्स फोर्स के कमांडर, जनरल क़ासिम सुलैमानी (Commander of Quds Force of Iran’s Revolutionary Guard Force, General Qasem Soleimani) को तीन जनवरी तड़के अमरीका ने बगदाद हवाई अड्डे के निकट एक हवाई हमले में मार दिया था। जनरल सुलैमानी की पहचान इराक़ और सीरिया में आतंकवादी संगठनों को घूल चटाने वाले की थी।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई (Ayatollah Uzma Syed Ali Khamenei) ने इसके बाद कहा था कि जनरल क़ासिम सुलैमानी की शहादत का कड़ा बदला लिया जाएगा। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अगर ईरान ने कोई हमला किया तो उसके 52 ठिकानों पर हम हमला करेंगे।
लेकिन अमेरिकी धमकी को दरकिनार करते हुए ईरान ने जनरल क़ासिम सुलैमानी को दफ्न होने से पहले ही अपनी धमकी को अमली जामा पहना दिया और इराक में अमेरिका की सबसे बड़ी सैनिक छावनी ऐनुल असद पर मिसाइलों से भारी बमबारी कर दी। अब सवाल यह कै कि जिस ट्रंप ने धमकी दी थी कि ईरान ने कोई हमला किया तो उसके 52 ठिकानों पर हम हमला करेंगे आखिर उसने ईरान पर हमला क्यों नहीं किया ?
अमेरिका ईरान पर हमला करने से पीछे क्यों हट गया ?
इस सिलसिले में पारस् टुडे लिखता है कि,
“सवाल यह नहीं है कि अमेरिकी सैनिक मरे या नहीं? बात यह है कि ट्रंप ने कहा था कि अगर ईरान ने कोई हमला किया या प्रतिक्रिया दिखाई तो हम ईरान के भीतर 52 ठिकानों को लक्ष्य बनायेंगे परंतु जब ईरान ने मिसाइलों से उसकी सैन्य छावनी पर मिसाइलों की वर्षा कर दी तो ट्रंप की भाषा और अंदाज़ ही बदल गया। उनका सारा अहं कहां चला गया।“
पारस् टुडे आगे लिखता है,
“ईरान के जवाबी हमले से पहले ट्रंप ने कहा था कि ईरान ने अब तक कोई जंग नहीं जीती है अब ट्रंप से पूछना चाहिये कि विजेता कौन है, यह जंग किसने किसी जीती है?
इसी प्रकार ट्रंप और उनकी युद्धोन्मादी टोली से यह पूछना चाहिये कि आखिर ऐनुल असद आधुनिकतम हथियारों से लैस छावनी है तो फिर ईरानी मिसाइलों को निष्क्रिय क्यों नहीं बनाया जा सका? हमले के कई दिनों तक उस छावनी के अंदर किसी को प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं दी गयी?”
It was the first time since World War Two that someone attacked a US military camp.
पारस् टुडे लिखता है
“द्वितीय विश्व के बाद यह पहला अवसर था जब किसी ने अमेरिका की सैनिक छावनी पर हमला किया था। ईरान ने अमेरिका की सैनिक छावनी पर हमला करके यह बता दिया कि ईंट का जवाब पत्थर से देंगे और ईरानी मिसाइलों के सामने ऐनुल असद छावनी मकड़ी के जाले से अधिक और कुछ नहीं है।
ईरान ने इस हमले से यह भी बता दिया कि मार कर भाग जाने का समय बीत गया है और अब ईरान की सीमा के अंदर हमला करना तो बहुत दूर की बात है तुम्हारे अहंकारी पर को हम देश के बाहर ही क़तर देंगे।“
Iran has slapped America strongly
पारस् टुडे लिखता है
“ईरान ने अमेरिका को ऐसा ज़ोरदार थप्पड़ जड़ा है कि अब न केवल वह बल्कि उसके बल पर कूदने वाले देशों और सरकारों ने भी दुम दबाकर चुप्पी साध ली है। अब कोई भी ईरान पर हमला करने की धमकी नहीं दे रहा है क्योंकि सबकी समझ में आ गया है कि ईरान ने अमेरिका पर हमला कर दिया तो हम किस खेत की मूली हैं!”
America is the father of terrorism and source of unrest
पारस् टुडे लिखता है
“अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के महानायक जनरल क़ासिम सुलैमानी को शहीद करके अपना असली चेहरा दिखा दिया है कि वह न केवल आतंकवाद से मुकाबला नहीं कर रहा है बल्कि आतंकवाद का जन्मदाता और अन्नदाता है। दूसरे शब्दों में अमेरिका आतंकवाद का जनक और अशांति का स्रोत है।“