Is the strongest government found to behave like this in times of trouble?
हमारी और अपनी नियति को पहचानिए….!
पीड़ित मानवता की सेवा में जो सरकार कंजूसी पर उतर आए वो कैसी सरकार है? वह अपनों को ही मौत बांटना चाहती है। अभी चंद हफ्तों पहले तक जो स्वघोषित राष्ट्रभक्त लोग पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के हिन्दू शरणार्थियों को अपने देश में बसाने को लेकर अपनी जान दिए दे रहे थे आज उन्हीं राष्ट्रभक्तों ने अपने ही बिहारियों, उत्तर प्रदेशियों, झारखंडियों, छत्तीसगढ़ियों, एमपी वालों को अपने घर, दुकान, प्रतिष्ठान, फैक्टरियों, मुहल्लों, चौराहों, शहरों से भगाने में चंद घण्टे भी नहीं लगाए।
दूसरे देशों से नागरिक बुला कर अपनी नागरिकता देने वाले मूर्खों के पास खुद के देश में जन्मे मजदूरों के लिए वाहन तक नहीं है वो गाँव तक कैसे पहुचेंगे या नही भी पहुचेंगे ? ये तो समय चक्र पर निर्भर है क्या आप ऐसे राष्ट्र की कल्पना करते हैं ?
इन्हीं पीड़ित गरीबों की बेबसी को देखिए और इनके मानसिक संतुलन का आलम ये है कि अपने देश के गरीब और बेबस नागरिकों की सड़कों पर पिटाइयाँ होते देख, उनके साथ न खड़े हो उनको सड़कों पर मुर्गा बना देख उपहास बनाकर, नागरिकता देने को छाती पीटने वाला दोगला समाज जोक्स और अपमान करते वीडियो शेयर कर मज़े ले रहा है।
क्या हमें शर्म नही आनी चाहिए किसी बेबस की बेबसी पर हँसते हुए। कभी सोचिएगा जब आपका कोई अपना इसीलिए तरह कहीं फसा हो और उनका वीडियो बना कर वायरल किया जाए।
कोरोना वायरस से पीड़ित 100 से भी ज्यादा देश हुए हैं लेकिन भारत को छोड़ कर किसी भी देश की पुलिस द्वारा आम आदमी को पीटने के वीडियो नहीं आये। ऐसे कृत्य में शामिल पुलिस भी अपनी मर्यादा भूलकर अपने ही गरीब जन मानस दंडित करने पर तुली है क्या उन्हें समुचित कारण नहीं पूछना चाहिए ?
इस सारे अभियान का नेतृत्व करने वाले चोर मुंह काला कर किसी बिल में जा छिपे बैठे हैं। प्रकृति उन्हें जरूर अपने स्तर से दण्डित करेगी बस थोड़ा समय का इंतज़ार कीजिए।
क्या सबसे मज़बूत सरकार मुसीबत के समय ऐसा ही व्यवहार करती पाई जाती है?

ये जो कुंभ में हाई टेक टेंट लगे थे वो क्या अब डिवाइडर पर रहने वाले उन गरीब दिहाड़ी मजदूरों के लिये नहीं लग सकते ?
“मुझे पूरी उम्मीद है कि वो वापस नही आएँगे और वो खुद के लिए और घर तामीर करेंगे अपने ही गाँव में ताकि वो अपना काम अपने घरों से कर सकें।” – ऐसी दृढ़शक्ति की सोच के साथ नव जीवन को शुरुआत करेंगे मेरे गरीब मजदूर परिवार के लोग….
मैं कुछ गलत उम्मीद लगा रहा हूँ तो बताइये!………….?
सवाल पूछियेगा देश के जिम्मेदारों से।
अमित सिंह शिवभक्त नंदी
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