किसानों के लिए मोदी जो जाल बुनना चाहते हैं, उसमें वे खुद ही फँस जाएंगे

किसानों के लिए मोदी जो जाल बुनना चाहते हैं, उसमें वे खुद ही फँस जाएंगे

It is a battle of change in the leadership of peasants and workers.

किसानों से वार्ता के नाटक में मोदी का अब तक का पूरा मिथ्याचार ही बेपर्द होगा।

मोदी समझते हैं कि वार्ता में उलझा कर वे सड़क पर उतर गए किसानों को भ्रमित कर लेंगे।

वे नहीं जानते कि किसानों के लिए वे जो जाल बुनना चाहते हैं, कल उसमें वे खुद ही फँसे हुए किसी कोने में तड़पते दिखाई देंगे ।

भारत के किसानों का यह संघर्ष भारत के एक नए वसंत की दिशा में बढ़ने के सारे संकेत लिए हुए हैं। इसमें संकेतकों की वह नई श्रृंखला साफ दिखाई दे रही है, जो तेज़ी के साथ आवर्त्तित होते हुए अंतत: एक ऐसे नए दृश्य को उपस्थित करेगी, जिस दृश्य में से मोदी पूरी तरह से बाहर होंगे।

यह किसानों-मज़दूरों के नेतृत्व में परिवर्तन की लड़ाई का आग़ाज़ है।

अरुण माहेश्वरी

Arun Maheshwari - अरुण माहेश्वरी, लेखक सुप्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-आर्थिक विषयों के टिप्पणीकार एवं पत्रकार हैं। छात्र जीवन से ही मार्क्सवादी राजनीति और साहित्य-आन्दोलन से जुड़ाव और सी.पी.आई.(एम.) के मुखपत्र ‘स्वाधीनता’ से सम्बद्ध। साहित्यिक पत्रिका ‘कलम’ का सम्पादन। जनवादी लेखक संघ के केन्द्रीय सचिव एवं पश्चिम बंगाल के राज्य सचिव। वह हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।
Arun Maheshwari - अरुण माहेश्वरी, लेखक सुप्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-आर्थिक विषयों के टिप्पणीकार एवं पत्रकार हैं। छात्र जीवन से ही मार्क्सवादी राजनीति और साहित्य-आन्दोलन से जुड़ाव और सी.पी.आई.(एम.) के मुखपत्र ‘स्वाधीनता’ से सम्बद्ध। साहित्यिक पत्रिका ‘कलम’ का सम्पादन। जनवादी लेखक संघ के केन्द्रीय सचिव एवं पश्चिम बंगाल के राज्य सचिव। वह हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।

https://www.hastakshep.com/farmer-will-conquer-delhi-now/

अगला आर्टिकल