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Journalists will be safe only then the republic will be safe
"पृथ्वी पर मीडिया का सबसे शक्तिशाली अस्तित्व है। उनके पास निर्दोष को अपराधी बनाने और दोषी को निर्दोष बनाने की शक्ति है, क्योंकि वे जनता के दिमाग को नियंत्रित करते हैं "- मैल्कम एक्स
पत्रकारों की सुरक्षा क्यों जरूरी है? पत्रकारों की सुरक्षा कैसे?
आज, पूरे विश्व में मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। पहले और सबसे महत्वपूर्ण ब्रिटिश सदस्य संसद लार्ड मैकॉले ने मीडिया को यह दर्जा दिया था। किसी भी प्रजातांत्रिक सरकार प्रणाली में तीन प्रशासनिक निकाय होते हैं
1 . विधायिका
2 . कार्यपालिका
3 . न्यायपालिका
इन तीनों निकायों में से किसी की अनुपस्थिति में सरकार व्यवस्थित नहीं चल सकती। इन तीनों का एक साथ होना जरूरी है और इन तीनों के कार्य पारदर्शी एवं जनहित में हों, यह कार्य प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया का है। इसलिये इस चौथी कड़ी का मज़बूत होना बहुत ही ज़रूरी है। प्रजातंत्र के तीनों स्तंभों को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है, वहीं तीनों स्तंभों की निगरानी करने वाला चौथा स्तंभ बिना किसी संवैधानिक सुरक्षा के कार्य करता है। बावजूद इसके मीडिया बिना संवैधानिक सुरक्षा के प्रशासनिक निकायों और आम जनता के बीच एक जानकारीपूर्ण पुल के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मीडिया के माध्यम से ही आम जनता को सरकार की नीतियों की जानकारी मिलती है और कई बार मीडिया सरकार की गलत नीतियों का जनहित में विरोध भी करता है जनता की आवाज़ बन कर।
मीडिया नहीं होता, तो लोगों को इस बात की जानकारी कभी नहीं होती कि संसद में किस तरह के बिल और कार्यवाही पारित किये जाते हैं और समाज में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव उस बिल से क्या होंगे। यदि मीडिया अपनी आंखें बंद कर ले, तो पूरी व्यवस्था निरंकुश हो जायेगी। इसलिए मीडिया सरकारी गतिविधियों और आम जनता के बीच एक बहुत ही महत्वपूर्ण और निष्पक्ष भूमिका निभाता है, इसलिये ऐसा कहा जाता है कि मीडिया की स्वतंत्रता गणतंत्र की सफलता की गारंटी है।
लोकतंत्र की रीढ़ है मीडिया की स्वतंत्रता
स्वस्थ लोकतंत्र को आकार देने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लोकतंत्र की रीढ़ है। मीडिया हमें दुनिया भर में होनेवाले विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों से अवगत कराता है। यह एक दर्पण की तरह है, जो हमें दिखाता है या हमें सच्चाई और कठोर वास्तविकताओं को दिखाने का प्रयास करता है।
मीडिया ने नि:संदेह विकास किया है और हाल के वर्षों में अधिक सक्रिय हो गया है। यह मीडिया ही है, जो राजनेताओं को चुनाव के समय अपने अधूरे वादों के बारे में याद दिलाता है। चुनाव के दौरान न्यूज़ चैनल अत्यधिक कवरेज लोगों तक पहुंचाता है; विशेषकर अशिक्षित व्यक्ति को भी सत्ता के चुनाव में मदद करता है। यह अनुस्मारक सत्ता में बने रहने के लिए राजनेताओं को अपने वादे के लिए मजबूर करता है। टेलीविजन और रेडियो ने ग्रामीण लोगों को अपनी भाषा में सभी घटनाओं के बारे में जागरूक करने में ग्रामीणों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। गांव के सिर और धन के शोषणकर्ताओं के शोषण के अपशिष्टों के कवरेज ने सरकार के ध्यान को आकर्षित करके उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने में मदद की है।
मीडिया भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में कमियों को उजागर करता है, जो आखिरकार सरकारों को कमियों की रिक्तता को भरने और एक प्रणाली को अधिक जवाबदेह, उत्तरदायी और नागरिक-अनुकूल बनाने में मदद करता है।
मीडिया के बिना एक लोकतंत्र पहियों के बिना वाहन की तरह है।
सूचना प्रौद्योगिकी की उम्र में हम जानकारी के साथ बमबारी कर रहे हैं। हम सिर्फ एक माउस के एक क्लिक के साथ विश्व की घटनाओं की नब्ज प्राप्त करते हैं। सूचना के प्रवाह में कई गुना बढ़ गया है। राजनीति और समाज में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को उजागर करने में प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन (पत्रकार) के सही मिश्रण ने एक भी पत्थर नहीं छोड़ा है।
पिछले कुछ वर्षों में मीडिया पर लगातार हमले बढ़े हैं। पत्रकारों की देश भर में हो रही लगातार हत्याओं को देश का सबसे बड़ा मीडिया संगठन भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ (BSPS) ने गंभीरता से लिया है और लगातार पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए देश भर में मज़बूती से आवाज़ उठा रहा है।
वर्ष 2016 में बिहार-झारखण्ड में पत्रकारों की हत्या (murder of journalists) के बाद राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप राष्ट्रपति, गृहमंत्री, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के समक्ष पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग संगठन ने उठायी है।
देश भर के सभी माननीय जनप्रतिनिधियों, सांसदों एवं विधायकों से भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ यह विनम्र आग्रह करता है कि आप लोकसभा, राजसभा एवं विधानसभा में देश के चौथे स्तंभ की रक्षा के लिए संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवाज़ उठायें। पत्रकार सुरक्षित रहेंगे, तब ही गणतंत्र सुरक्षित रहेगा। प्रजातांत्रिक व्यवस्था को मज़बूती प्रदान करने के लिए पत्रकारों की सुरक्षा समय की मांग है।
शाहनवाज हसन
लेखक वरिष्ठ पत्रकार व भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ के महासचिव हैं।
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