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Justice katju is agreed with farmers but…
नई दिल्ली, 30 नवंबर 2020. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने किसानों के साथ सहमति व्यक्त की है कि वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए सरकार की शर्त उचित नहीं है।
न्यायमूर्ति काटजू ने इस संबंध में अपने सत्यापित फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखी।
उन्होंने लिखा,
“मैं किसानों से सहमत हूं कि सरकार की यह शर्त कि वे सभी बातचीत शुरू करने के लिए अकेले बुराड़ी में इकट्ठा हों, उचित नहीं है। वे विभिन्न स्थानों पर इकट्ठा हो सकते हैं बशर्ते वे सड़कों को अवरुद्ध न करें।
वर्तमान में, जैसा कि मैं इंटरनेट पर देख रहा हूं, किसान दिल्ली जाने वाली कई सड़कों को अवरुद्ध कर रहे हैं। कुछ व्यक्तियों ने घोषणा की है कि वे दिल्ली को पूरी तरह से अवरुद्ध कर देंगे। इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह सार्वजनिक असुविधा का एक बड़ा कारण बनता है। इसे कौन सी सरकार बर्दाश्त करेगी?
मीडिया के माध्यम से कहना चाहता हूं कि सरकार और किसान संगठन दोनों को इस शर्त पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए सहमत होना चाहिए कि किसान सड़कों से अवरोध को उठाएंगे, और सड़कों के किनारे या सरकार द्वारा नामित सार्वजनिक भूमि पर बैठेंगे।
मैं दोहराता हूं कि इस गतिरोध को हल करने का तरीका ठंडे माहौल में बातचीत से ही है।
“
इस बीच खबर है कि हरियाणा की कम से कम 130 खाप पंचायतों ने दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के मौजूदा प्रदर्शन में मंगलवार से शामिल होने का आज एलान किया है।
बता दें कि किसान केंद्र नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों की फेहरिस्त कृषि कानूनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे बिजली बिल संशोधन विधेयक 2020 को भी वापस लेने की मांग भी कर रहे है।
आज है आंदोलन का 5वां दिन
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Movement of farmers against new agricultural laws) सोमवार को पांचवें दिन भी जारी है। हालांकि, विरोध प्रदर्शन के बीच गुरु नानक जयंती के मौके पर आस्था का रंग भी देखने को मिला। वहीं सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती पर किसानों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।
प्रदर्शनकारी किसानों ने सोमवार को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर सांप्रदायिक, फासीवादी और निरंकुश होने का आरोप लगाया और विरोध प्रदर्शन करने के लिए बुराड़ी के संत निरंकारी मैदान में इकट्ठा होने की सरकार की मांग को खारिज कर दिया। इसके बाद एक बार फिर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध पैदा हो गया है।