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Justice Katju raised serious questions on Yogendra Yadav's participation in the peasant movement
नई दिल्ली, 08 जनवरी 2021. कभी समाजवादी नेता किशन पटनायक के सांस्कृतिक वारिस रहे सैफोलॉजिस्ट (Psephologist) योगेंद्र यादव की राजनीतिक विश्वसनीयता हमेशा संदिग्ध रही है। लोकसभा चुनावों में दूरदर्श पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम आप का फैसला में जिन लोगों ने योगेंद्र यादव को सुना है, उन्हें उनका भाजपाई रुझान का ज्ञान है। लेकिन अब सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने किसान आंदोलन में योगेंद्र यादव की सहभागिता पर सवाल उठाए हैं।
किसान आंदोलन में योगेंद्र यादव की सहभागिता पर जस्टिस काटजू की टिप्पणी
Justice Katju's comment on Yogendra Yadav's participation in the peasant movement
जस्टिस काटजू ने अपने सत्यापित फेसबुक पेज पर लिखा
“एक किसान नेता
योगेंद्र यादव एक शिक्षाविद थे, जो 2009 में राहुल गांधी के सलाहकार बने, 2014 में गुड़गांव से AAP के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और अपनी जमानत जप्त करा दी, 2015 में AAP से बाहर कर दिए गए, फिर उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी स्वराज अभियान का गठन किया।
अब अचानक वह किसान नेता बन गए हैं, हालांकि वह कभी किसान नहीं थे। संभवत: 2024 के लोकसभा चुनाव पर उनकी नजर है।
हरि ओम”
इससे पहले जस्टिस काटजू ने किसान नेताओं की दूरदर्सिता पर सवाल उठाते हुए लिखा था
“जब नरेंद्र सिंह तोमर ने कह दिया है कि कानून वापिस नहीं होंगे, तब किसान नेता सरकार से वार्ता करने क्यों जा रहे हैं ? यह ड्रामा क्यों? तोमर के वक्तव्य के बाद उन्हें (किसान नेताओं को) वार्ता ठुकरा देनी चाहिए।“
बाद में एक अन्य पोस्ट में जस्टिस काटजू ने प्रश्न किया,
"हालाँकि मैंने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है, मुझे इसके नेताओं के बारे में कुछ शक रहा है। जब सरकार ने तीन कानूनों को रद्द करने से इनकार कर दिया है, तो इन नेताओं ने 15 जनवरी को एक और बैठक के लिए सहमति क्यों व्यक्त की ? किसलिए? क्या सिर्फ 2024 के लोकसभा चुनाव पर नजर रखते हुए सुर्खियों में बने रहने के लिए ? क्या किसान नेता किसानों को धोखा नहीं दे रहे हैं ?"
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