Justice Katju wrote a letter to PM Modi saying, resolve the deadlock on the farmers’ movement
नई दिल्ली, 04 दिसंबर 2020, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखकर अपील की है कि वह आगे बढ़कर किसान आंदोलन पर एक मध्य रास्ता स्वीकार करें।
श्री काटजू के पत्र का मजमून निम्न है
माननीय प्रधानमंत्री जी से अपील।
न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू, पूर्व न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय भारत।
आदरणीय मोदी जी,
किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय सरकार के मंत्रियों के बीच अब तक बातचीत अनिर्णित रही है और अगली वार्ता 5 दिसंबर को तय की गई है।
सरकार कुछ संशोधनों पर विचार तो कर रही थी, लेकिन किसान अपनी इस मांग पर अटल लग रहे थे, कि उन तीनों कानूनों को, जिनको सरकार लागू करना सरकार चाहती है उन्हें रद्द किया जाना चाहिए।
किसान आंदोलन अब चिंताजनक ऊंचाइयों पर पहुंच गया है और अब हर चीज आप पर निर्भर है क्योंकि इस गतिरोध का समाधान केवल माननीय प्रधानमंत्री आप ही कर सकते हैं।
सम्मानपूर्वक, मैं आपसे एक मध्य रास्ता स्वीकार करने के लिए अपील करता हूं (जिस पर मैंने पहले भी सुझाव दिया था) कि किसान जिन तीन कानून पर आपत्ति कर रहे हैं वे बने रहेंगे, लेकिन स्थगित रहेंगे। भविष्य में किसान संगठनों के साथ वार्ताओं द्वारा परस्पर स्वीकार्य सूत्र और पक्षों द्वारा सहमति होने पर इन कानूनों में उचित संशोधन किए जाएंगे, और तभी यह लागू होंगे।
यह आपके द्वारा तुरंत घोषित किया जाना चाहिए। इन कानूनों को निरस्त न करने से आपकी सरकार का चेहरा भी धूमिल नहीं होगा, और उन्हें लागू न करने से यह आंदोलन करने वाले किसानों की आंशिक सफलता भी होगी। इस प्रकार दोनों पक्षों को आंशिक सफलता मिलेगी।
अगर यह घोषणा नहीं की जाती, तो मुझे भय है कि निकट भविष्य में आने वाले परिणाम और परिदृश्य कुछ ऐसा होगा :
1. आंदोलन करने वाले किसान, जो अपने संघर्ष को जारी रखने पर अटल हैं, दिल्ली जाने वाली सभी सड़कों को रोक देंगे (कुछ पहले से ही अवरुद्ध हैं) जिस से दिल्ली और अन्य जगहों के लोगों को भारी कष्ट और पीड़ा झेलना पड़ेगाI
2. सरकार स्वाभाविक रूप में ही इस स्थिति को अधिक समय तक बर्दाश्त नहीं कर सकती और न ही करेगी, और तब पुलिस को आदेश देगी कि वह आन्दोलन-कारियों को तितर बितर कर दें। चूकिं आंदोलनकारी स्वेच्छा से नहीं हटेंगे, अतः पुलिस द्वारा उनपर गोलीबारी की जाएगी या लाठी चार्ज किया जाएगा, जैसा कि जनवरी 1905 में सेंट पीटर्सबर्ग में खूनी रविवार ( Bloody Sunday ) को हुआ था, या जैसा पेरिस में अक्टूबर १७९५ में वेंदेमिएरी ( Vendemiarie ) के दिन हुआ जब नेपोलियन ने अपनी तोपों से भीड़ को तितर बितर कर दियाI
3. अगर ऐसा होता है तो यह लाजिमी है कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में बड़े-बड़े आंदोलन शीघ्र शुरु हो जाएंगे, जिससे जनता का सामान्य जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा और अन्य राज्यों में भी उसकी प्रतिक्रिया होगी जहां किसानों के समर्थन में अनेक लोग प्रदर्शन करेंगे।
4. इस सबका परिणाम यह होगा कि सारे देश में अव्यवस्था फैल जायेगी और हाहाकार मच जाएगाI अर्थव्यवस्था पहले से ही बुरी हालत में है और इससे और भी अधिक बुरी स्थिति पैदा होगी जिससे जनता को अपार कष्ट और दुःख होगाI इससे चीन को हमारे ख़िलाफ़ उग्र होने का और भी प्रोत्साहन मिलेगा। (जैसा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री के साथ अपनी हालिया बातचीत में सुझाया था।)
इन विकट परिस्थितियों में मैं देश की जनता की तरफ़ से आपसे अपील करता हूँ कि आप उपर्युक्त सुझाव की तुरंत घोषणा करें, और जनता व किसानों का संकट दूर करें।
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