World Hindi Day 2023 आज : विश्व हिंदी दिवस पर जस्टिस काटजू की टिप्पणी
आप लोग सच्चाई से क्यों भागते हैं ?
आज विश्व हिंदी दिवस मनाया जा रहा है पर सच्चाई है कि हिंदी एक नक़ली भाषा है हकीकत यह है कि जनता की भाषा हिंदुस्तानी या खड़ी बोली हैI हिंदी एक कृत्रिम भाषा है जिसको बनाने का मक़सद था हिन्दू-मुस्लिम को लड़वाना, यह प्रचार करके कि हिंदी हिन्दुओं की और उर्दू मुसलमानों की भाषा है, जबकि 1947 तक उर्दू सभी शिक्षित लोगों की भाषा थीI
फूट डालो और राज करो नीति 1857 की बगावत के बाद अंग्रेजों ने शुरू की। अंग्रेज़ों के मुख्य पिट्ठू भाषा के मामले में भारतेंदु हरिश्चंद्र थेI
हिंदुस्तानी ( या खड़ीबोली ) में कहेंगे उधर देखियेI हिंदी में कहेंगे उधर अवलोकन कीजियेI आम आदमी कभी नहीं कहेगा उधर अवलोकन कीजियेI
जब मैं इलाहबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश था तो एक वकील साहेब, जो हमेशा हिंदी में बहस करते थे, ने मेरे सामने एक याचिका दायर की जिसका शीर्षक था प्रतिभू आवेदन पत्रI
मैंने वकील साहेब से पूछा कि यह प्रतिभू आवेदन पत्र क्या होता है ? उन्होंने जवाब दिया ज़मानत की दरखास्त I
मैंने कहा ज़मानत या बेल कहोगे तो सब समझ जाएंगे मगर प्रतिभू कोई नहीं समझताI हकीकत है कि क्योंकि ज़मानत शब्द फ़ारसी भाषा का है इसलिए उससे नफरत हैI
इसी तरह हज़ारों शब्द जो अरबी या फ़ारसी भाषा के थे, वह हिंदुस्तानी में आ गए, और उन्हें आम आदमी भी इस्तेमाल करने लगाI मगर कट्टरवादी लोग 1947 के बाद उन्हें चुन-चुन के निकाल कर उनके जगह संस्कृत के शब्द रखने लगे जिन्हें आम आदमी नहीं जानता थाI
यह ग़लत धारणा है कि कोई भाषा विदेशी शब्दों को लेने से कमज़ोर हो जाती हैI वास्तव में वह ऐसा करने से और शक्तिशाली हो जाती है, जैसे अंग्रेजी भाषा जिसने दुनिया के तमाम भाषाओं के शब्द अपनाये, जिससे वह और शक्तिशाली बन गयी।
जस्टिस मार्कंडेय काटजू
लेखक सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश हैं।
Justice Katju’s remarks on World Hindi Day
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