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Karnataka Hijab controversy: Surgical strike to polarize five state elections
कर्नाटक में हो रहा हिजाब विवाद (Hijab controversy in Karnataka) पांच राज्यों के चुनाव पूर्व हिन्दू मतदाताओं को रिझाने के लिए की गयी सर्जिकल स्ट्राईक ही है... surgical strike done to woo Hindu voters before elections in five states...
ध्रुवीकरण के लिए सर्जिकल स्ट्राईक भाजपा की चुनाव पूर्व आवश्यकता
भाजपा को चुनाव के पहले वोटों के ध्रुवीकरण के लिए किसी न किसी तरह की सर्जिकल स्ट्राईक की जरूरत होती है। दुश्मन के बिना भाजपा कोई चुनाव नहीं लड़ सकती। लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति के आभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर दिए गए प्रधानमंत्री के समापन भाषण को यदि आप यह दिमाग में रखते हुए सुनेंगे कि मात्र कुछ दिनों के बाद पांच राज्यों की चुनाव प्रक्रिया में वोटों का पड़ना शुरू होने वाला है या उत्तर प्रदेश में पहले चरण के पूर्व दिया गया प्रधानमंत्री का साक्षात्कार यदि आप ध्यान से सुनेंगे तो आपको अवश्य ही मेरी बात पर भरोसा हो जायेगा। देश के बाहर अगर पाकिस्तान उनका पसंदीदा शत्रु (विषय) है तो देश के अन्दर कांग्रेस, कम्युनिस्ट राजनीतिक तौर पर और मुसलमान, ईसाई सामाजिक स्तर पर उनके पसंदीदा शत्रु (विषय) हैं।
जिन पांच राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव होने वाले हैं उनमें तो कोई सर्जिकल स्ट्राईक करने से सीधे-सीधे चुनाव आयोग पर जिम्मेदारी आ सकती थी और चुनावों के ही टलने का खतरा पैदा हो सकता था। जैसा कि सोमवार की सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट में माननीय मुख्य न्यायाधीश ने, एक वकील के इस आवेदन पर कि अन्य राज्यों में चुनाव चल रहे हैं इसलिये इस मुद्दे पर मीडिया और सोशल मीडिया को प्रतिक्रिया देने से रोका जाये, कहा कि “हमें चुनाव से लेना-देना नहीं है| यदि ऐसा अनुरोध चुनाव आयोग की तरफ से आता तो हम विचार कर सकते थे”।
सीधी सी बात है, भाजपा को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन के खिलाफ ध्रुवीकरण के लिये दक्षिणी राज्य कर्नाटक ज्यादा ठीक लगा। यदि इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश या ऐसे ही किसी अन्य भाजपा शासित हिन्दी प्रदेश के राज्य से की जाती तो लोगों को मंशा और मंतव्य एकदम समझ में आ जाता।
हिज़ाब का अर्थ क्या होता है (what is the meaning of hijab in Hindi)?
इस पूरे विवाद में, सड़क से लेकर न्यायालय तक और न्यूज चैनलों से लेकर पान की गुमठियों तक और बुद्धिजीवियों से लेकर राजनीतिज्ञों तक बहस भी आला दर्जे की चल रही है। धर्म से लेकर शिक्षा के अधिकार तक और आस्था से लेकर संवैधानिक मौलिक अधिकारों तक बहस में सब कुछ मौजूद है। सिर्फ मौजूद नहीं है तो सिर्फ यह आम समझ कि भैय्ये हिज़ाब का सादा सा अर्थ होता है वह कपड़ा जिससे महिलाएं अपना सर ढंकती हैं और जिसे वे अपने सामने वक्षस्थल तक भी फैला सकती हैं। इसे कुछ इस तरह भी पहना जा सकता है कि इससे मुंह और नाक भी ढंक जाये और सिर्फ आँखें दिखती रहें।
हमारे शहरों में स्कार्फ से इस तरह अपने को ढंके महिलाएं भारी संख्या में साईकिल से लेकर दोपहिया पर आती जाती दिखती हैं। वे छात्राएं भी हो सकती हैं और वर्किंग वूमेन भी। इसमें उच्च संस्थानों में कार्य करने वाली महिलाओं से लेकर घरेलू कामगार महिला तक सभी शामिल हैं। नि:संदेह वे सभी इसे धर्म-आस्था से नहीं बल्कि देश में हुए असाधारण विकास के परिणाम स्वरूप गाँवों से लेकर शहरों तक फैले प्रदूषण के कारण पहनती हैं। वे निश्चित रूप से स्कूल, कालेज अथवा अपने कार्यस्थल पर पहुँचने के बाद उस स्कार्फ को उतार देती होंगी। अनेक बार तो कारों में भी चढ़ती-उतरती महिलाएं स्कार्फ के साथ दिखाई पड़ती हैं| निश्चित ही वे कार में बैठने के बाद मुंह से कपड़ा हटा देती होंगी। पर, कहीं भी उनसे यह नहीं कहा जाता कि वे इसे पहनकर उस संस्था की हद में भी दाखिल नहीं हो सकतीं।
कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं ने आज से तो हिज़ाब पहनकर कक्षाओं में जाना शुरू नहीं किया है, वे तो ऐसा पहले से ऐसा करती आ रही हैं। उनके ऊपर बंदिशें तो अब लगाई जा रही हैं जब भगवा स्कार्फ पहने और जय श्री राम के नारे लगाने वाले आक्रामक युवा लड़कों की भीड़ ने उन्हें निशाना बनाना शुरू किया है।
जब इतनी संख्या में महिलाओं को हम स्कार्फ से सर ढंके देखते हैं और उत्तेजित नहीं होते तो फिर अचानक से कर्नाटक में ऐन चुनाव के पहले फ़ैली यह उत्तेजना, पांच राज्यों के चुनाव के पूर्व हिन्दू मतदाताओं को रिझाने के लिए फैलाई गयी उत्तेजना अधिक लगती है।
अरुण कान्त शुक्ला
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