प्रख्यात किसान नेता कार्यानन्द शर्मा की 120 वीं जयन्ती पर अजय भवन में हुआ कार्यक्रम
Program held at Ajay Bhawan on the 120th birth anniversary of eminent farmer leader Karyanand Sharma | Karyanand Sharma's Contribution to freedom movement and peasant movement | स्वतंत्रता आंदोलन और किसान आंदोलन में कार्यानंद शर्मा का योगदान
बिहार में किसान आंदोलन और कार्यानन्द शर्मा विषय पर संगोष्ठी
पटना, 18 अगस्त, 2021 : प्रख्यात नेता व स्वाधीनता संग्राम सेनानी कार्यानंद शर्मा की 120वीं जयंती 'अजय भवन' में मनाई गई। अभियान सांस्कृतिक मंच, भगत सिंह विचार मंच तथा पटना जिला किसान सभा के तत्वाधान में आयोजित इस विमर्श का विषय था 'बिहार में किसान आंदोलन और कार्यानन्द शर्मा'। समाज के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि, किसान संगठनों के नेता, संस्कृतिकर्मी, छात्र, नौजवान, वामदलों के लोग मौजूद थे।
स्वामी सहजानंद सरस्वती के अध्येता कैलाशचंद्र झा ने कहा कि कार्यानन्द शर्मा को याद करना इतिहास को याद करना है। किसानों से उनका लगाव सबसे बढ़कर था। वो सिर्फ आजादी के लिए ही नहीं बल्कि आजाद भारत में किसानों और मजदूरों की बेहतरी कैसे हो इसके लिए भी लड़ रहे थे।
कैलाश जी ने बताया कि अमेरिकी विद्वान ‛वाल्टर हाउजर’ के साथ वो कार्यानन्द शर्मा के घर गए जहाँ से शर्मा जी जुड़ी कुछ चीजों का संग्रह भी किया है जिसको ‛सीताराम आश्रम बिहटा’ में रखा जाएगा।
प्रगतिशील लेखक संघ के बिहार उप महासचिव अनीश अंकुर ने बताया कि “कार्यानन्द शर्मा वो पहले नेता थे जिन्होंने महात्मा गांधी की हत्या की भविष्यवाणी की। खेत-मजदूर का संगठन पहले कार्यानन्द शर्मा ने बनाया। बिहार में जमींदारी उन्मूलन में शर्मा जी की महत्वपूर्ण भूमिका थी।”
सीपीआई के लखीसराय के जिला सचिव जितेंद्र जी उनके बारे में सुनी कई सारे बातों को साझा किया।
उन्होंने बताया कि “अपने इलाके के लोगों से शर्मा जी बहुत ही गहरे जुड़े थे। उन पर कई बार जमींदारों ने हमला किया। एक हमले में उनकी ऊँगली कट गई। लेकिन जब उनपर हमला होता वहाँ के महिला पुरुष अपनी जान पर खेलकर उनकी रक्षा में कूद पड़ते थे। बड़हिया के किसानों के लिए उन्होंने कई आंदोलन किया। जीवन के कई साल जेल में बिताए।”
सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सिंह ने कहा कि कार्यानंद शर्मा किसानों और मजदूरों के लिए लड़ने वाले नेता थे। बिहार में जमींदारों के खिलाफ किसानों का नेतृत्व किया। उन्होंने जोड़ा कि ‛महापंडित राहुल सांकृत्यायन’ ने उन्हें नए युग नेता कहा है।
सीपीआई के पटना जिला के सचिव रामलला सिंह ने बताया कि कार्यानंद शर्मा गरीबों के लिए जीवन भर लड़ते रहे। वो लोगों के बीच बहुत काम करते थे। ‛किशोरी प्रसन्न’ सिंह से मैंने उनके बारे में सुना है।
किसान आंदोलन में बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है
सीपीआई एम के वरिष्ठ नेता अरुण मिश्रा ने कहा कि आज ज्यादा जरूरी है कि हम अपने नेताओं को याद करें। कार्यानंद शर्मा कितनी मुश्किलों का सामना करते हुए लोगों के लिए संघर्ष कर रहे थे। किसान आंदोलन में बिहार का गौरवशाली इतिहास है। बिहार के अग्रणी नेताओं में कार्यानंद शर्मा थे। अपना जीवन उन्होंने किसानों के लिए समर्पित कर दिया। आज किसान और मजदूर लड़ रहा है जरूरत है इस आंदोलन में हम मजबूती से उनके साथ खड़े हों।
कार्यानंद शर्मा के परिवार की सदस्य पल्लवी ने बताया कि ‛बाबा’ ने सिर्फ किसानों के लिए ही काम नहीं किया बल्कि उन्होंने महिलाओं के लिए भी बहुत काम किया। महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए लड़े। जब उनकी बहु आई तो उन्होंने उसका दाखिला स्कूल में कराया। आज जरूरत है सब मिलकर चलें ताकि हम कार्यानंद शर्मा को बचा सकें।
केदारदासब श्रमसमाज अध्ययननसंस्थान के महासचिव नवीनचंद्र ने बताया
"कार्यानन्द शर्मा कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में पहली बार खेत मज़दूरों का संगठन बनाया गया। पहले किसान नेता लोग न्यूनतम मज़दूरी के सवाल को नजरअंदाज किया करते थे। लेकिन किसान नेता कार्यानन्द शर्मा ने इसे पूरा किया। यदि आप धनी किसान होकर कहते हैं कि मज़दूरी नहीं दे सकते तो उनको मज़दूर नहीं रखना चाहिए। कार्यानंदन शर्मा ने बताया कि हमें जनता से कैसे संपर्क, मर्द-औरत के मध्य कैसे संबन्ध कायम करना चाहिए।"
बिहार किसान सभा के महासचिव अशोक कुमार सिंह ने कहा कि आज जरूरत है किसान आंदोलन को जनान्दोलन बनाने की। अगर देश को बचाना है तो किसानों के आंदोलन को तेज करना होगा और यही है सही मायने में कार्यानन्द शर्मा को मानना।
इस सभा का संचालन विश्वजीत कुमार ने किया।
सभा में इसकफ के महासचिव रविन्द्र नाथ राय, सीपीआई नेता मोहन प्रसाद, एटक के राज्याध्यक्ष अजय कुमार, भोला पासवान, संजय श्याम, रविन्द्र सिंह, विनय बिहारी लाल, ईशु, इतिहास के प्रो सतीश कुमार आदि मौजूद थे।