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बीजेपी की बी टीम से बढ़कर अब उसकी हमराह बन चुकी है 'आप'

अच्छा ही हुआ, स्कूल और अस्पताल की ओट में छिपा हुआ संघी सरेआम बेनक़ाब हो गया

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Khalistan: More than the B team of BJP, now AAP has become its companion

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आंख खोलने की आवश्यकता | देशबन्धु में संपादकीय आज (Editorial in Deshbandhu today)

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हिमाचल प्रदेश में विधानसभा गेट पर खालिस्तान के झंडे लगाने पर संपादकीय (Deshbandhu's editorial in Hindi on putting up Khalistan flags at the assembly gate in Himachal Pradesh)

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हिमाचल प्रदेश में रविवार सुबह उस वक्त राजनीतिक हलचल तेज हो गई, जब धर्मशाला में विधानसभा गेट पर खालिस्तान के झंडे और गुरुमुखी लिपि में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे मिले। इस मामले के सामने आने के बाद से हड़कंप मच गया।

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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Himachal Pradesh Chief Minister Jai Ram Thakur) ने इस पूरी घटना की निंदा की और जांच का आदेश दिया। उन्होंने इसे कायरतापूर्ण घटना बताते हुए कहा कि वो रात के अंधेरे में खालिस्तानी झंडे लगाने वाली घटना (The incident of raising Khalistani flags in the dark of night) की निंदा करते हैं, इसके साथ ही उन्होंने दिन के उजाले में ऐसा करके दिखाने की चुनौती भी दे दी।

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घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने तुरंत झंडों को हटाया। फिलहाल ये पता नहीं चल सका है कि इस घटना को किसने अंजाम दिया है।

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पुलिस का कहना है कि जिस किसी ने भी ये किया है वह पर्यटक के रूप में यहां तक आया होगा, ताकि किसी को पता न चल सके।

मुखौटा लगाकर ही आएंगे साजिशों को अंजाम देने वाले

जाहिर सी बात है कि इस तरह की साजिशों को अंजाम देने वाले मुखौटा लगाकर ही आएंगे, क्योंकि उन्हें अपनी बहादुरी साबित नहीं करना है, उनका मकसद देश को तोड़ने में है। इसलिए इस मामले को कड़ी निंदा और त्वरित कार्रवाई जैसे शब्दों से आगे बढ़कर समझने और संभालने की जरूरत है। हिमाचल प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

सत्तारूढ़ बीजेपी को कुछ समय पहले संपन्न उपचुनावों में कांग्रेस के हाथों मात मिली थी। इसलिए इस बार उसकी सत्ता पर खतरा दिख रहा है।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने गृहराज्य में हार का जोखिम नहीं उठा सकते इसलिए वो बीजेपी को जीत दिलाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।

इधर पंजाब में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले काफी बुलंद हैं और वो अब हिमाचल प्रदेश में भी सत्ता में आने की तैयारी में लगी है।

खालिस्तानी झंडा लगने की घटना ने आप को राजनैतिक वार करने का मौका दे दिया है और बिना वक्त गंवाए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कि 'पूरी बीजेपी एक गुंडे को बचाने में लगी है और उधर ख़ालिस्तानी झंडे लगाकर चले गए। जो सरकार विधानसभा ना बचा पाए, वो जनता को कैसे बचाएगी। ये हिमाचल की आबरू का मामला है, देश की सुरक्षा का मामला है. बीजेपी सरकार पूरी तरह फेल हो गई। हिमाचल के मुख्यमंत्री को तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए या फिर केंद्र सरकार को तुरंत जयराम ठाकुर सरकार को बर्खास्त करना चाहिए।'

ट्वीट की भाषा से समझा जा सकता है कि आप को मौका मिले तो वह आज चुनाव करवा कर सत्ता पर अपनी दावेदारी ठोंक दे।

तेजिंदर पाल सिंह बग्गा मामले में बीजेपी के आगे आप कमजोर पड़ गई है तो अब उसे पलटवार करने का मौका मिला है।

वैसे जिस तरह की राजनीति अब आम आदमी पार्टी करने लगी है, वह अब तक बीजेपी की खास पहचान थी। कमज़ोर पलों में विरोधी पर वार करना, मौके का फायदा उठाना और जनता के सामने भविष्य का डर खड़ा करना, ऐसी ही रणनीतियों के सहारे बीजेपी चुनाव जीतते आई, अब आप उसी के नक्शेकदमों पर है।

आम आदमी पार्टी, बीजेपी की बी टीम से बढ़कर अब उसकी हमराह बन चुकी है। और इन दोनों दलों की स्वार्थपरस्त राजनीति में देश में खालिस्तान का नाम फिर से उठने लगा है, यह विचार ही डरा रहा है।

खालिस्तान के नाम पर देश ने पंजाब में खून की नदियां बहते देखी हैं। एक लंबे अरसे तक यह खूबसूरत, ऐतिहासिक विरासत और प्राकृतिक संपदा से भरपूर प्रांत बारुद की गंध में लिपटा रहा था। हजारों-लाखों लोगों का जीवन बर्बाद हो गया, इंदिरा गांधी, बेअंत सिंह, जनरल एस.एस. वैद्य समेत अनेक लोगों की जान इस आतंकवाद के भेंट चढ़ गई। बड़ी मुश्किल से पंजाब और देश में शांति कायम हुई थी, जीवन पटरी पर आया था। लेकिन अब फिर अमनविरोधी ताकतें सिर उठा रही हैं।

पिछले दिनों ही हरियाणा के करनाल में चार आतंकवादी पकड़ाए थे और कहा गया कि पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी आईएसआई भारत में खालिस्तान की गतिविधियों को बढ़ाने की साजिश रच रही है।

हाल ही में हिमाचल सरकार ने राज्य के अंदर खालिस्तानी झंडा और जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर लगे सभी वाहनों की एंट्री पर बैन लगाने का आदेश दिया था। सरकार के इस फैसले का सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने विरोध किया था। इसके बाद खुफिया एजेंसियों ने राज्य सरकार को 26 अप्रैल को एक अलर्ट जारी किया।

पन्नू ने मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी लिखकर ये भी धमकी दी थी कि वह 29 अप्रैल को शिमला में खालिस्तान और भिंडरावाले का झंडा लहराएगा। और यह चिंता की बात है कि अलर्ट और धमकियों के बीच खालिस्तान का झंडा लगा दिया गया।

बीजेपी के मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगने वाली आप के हिमाचल प्रदेश में सोशल मीडिया का प्रभार हरप्रीत सिंह बेदी के पास था, जिसे कुछ दिन पहले ही खालिस्तान समर्थक ट्वीट करने के बाद आप ने निष्कासित किया।

आप के संस्थापकों में से एक कुमार विश्वास ने भी इस मौके पर आप को घेरने के लिए कहा कि 'देश मेरी चेतावनी को याद रखे, पंजाब के वक्त कहा था, उसकी अब इस दूसरे प्रदेश पर नजर है। दरअसल आप से अलग होने के बाद कुमार विश्वास अरविंद केजरीवाल को लगातार निशाने पर लेते हैं औऱ पंजाब चुनाव के वक्त उन्होंने आप पर खालिस्तानी नेताओं के संपर्क में होने की बात कही थी।

हमने तब भी लिखा था कि यह बात कुमार विश्वास ने चुनाव के वक्त ही क्यों उठाई, इतने बरस चुप्पी क्यों साध रखी थी। और अब भी यही सवाल है कि कुमार विश्वास के लिए देश जरूरी है या खुद को सही साबित करना। आखिर यह अरविंद केजरीवाल, कुमार विश्वास और उनके बाकी साथियों का ही काम था, जो अन्ना हजारे को रालेगण सिद्धि से उठाकर दिल्ली लाया गया और उसके बाद कांग्रेस के खिलाफ और बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का काम शुरु हुआ।

देश तो बीजेपी के हवाले हो गया, लेकिन किस हाल में पहुंच चुका है, इसे देखने के लिए केवल आंखें खोलने की आवश्यकता है।

आज का देशबन्धु का संपादकीय (Today’s Deshbandhu editorial) का संपादित रूप साभार.

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