अस्तित्व बचाने की लड़ाई है किसान आंदोलन : रामेश्वर प्रसाद

hastakshep
07 Feb 2021
अस्तित्व बचाने की लड़ाई है किसान आंदोलन : रामेश्वर प्रसाद

Kisan movement is a fight to save existence: Rameshwar Prasad

पटना से विशद कुमार.

किसानों का यह आंदोलन सिर्फ कृषि कानूनों के खिलाफ ही नहीं, लोकतंत्र, संविधान और देश बचाने के साथ-साथ अस्तित्व बचाने का संघर्ष है। आपदा की घड़ी में मोदी सरकार ने देश के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को पूंजीपतियों के हाथों बेचना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई जब रेल, एयरपोर्ट, अस्पताल आदि का निजीकरण करने के बाद खेती-किसानी को भी मोदी सरकार ने अंबानी-अडानी जैसे कॉरपोरेट घरानों को बेचने की तैयारी कर ली और जैसे-तैसे संसद से नया कृषि कानून पारित करवा दिया जिसके खिलाफ देश के किसान जीने-मरने की हद तक आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि जब अनाज उपजाने वाला ही नहीं बचेगा तो कैसे बचेगा देश।

उक्त बातें भाकपा-माले के पूर्व सांसद व वरिष्ठ वामपंथी मज़दूर-किसान नेता रामेश्वर प्रसाद ने पटना के कारगिल चौक पर आयोजित एआइपीएफ के कार्यक्रम "किसान आंदोलन के साथ हमलोग" में कहीं।

कृषि कानूनों पर बात रखते हुए उन्होंने बताया कि कैसे मोदी सरकार इस देश के लोकतंत्र को समाप्त करने पर आमादा है।

वरिष्ठ भाकपा-माले नेता ने बिहार सरकार की भी आलोचना करते हुए कहा कि नीतीश कुमार मंडियां बंद कर राज्य को रसातल में डूबो देना चाहती है। जबकि यहीं स्वामी सहजानंद सरस्वती ने अंग्रेजों और जमींदारों से व्यापक संघर्ष कर खेती-किसानी को आजादी दिलाई थी। आज मोदी सरकार उसी गुलामी को वापस लाकर हमसे रोजी-रोटी छीन लेने पर आमादा है।

उन्होंने आह्वान भरे शब्दों में कहा कि अपनी रोजी-रोटी बचाने की खातिर यह जरूरी है कि हम किसान आंदोलन का समर्थन करें।

इसके पूर्व अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य अध्यक्ष विश्वेश्वर प्रसाद यादव और राज्य सह सचिव उमेश सिंह ने किसानों को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए कहा कि लॉकडाउन के दौरान जहां सारे उद्योग-धंधे बंद थे और सारा कारोबार ठप्प था, वैसे मुश्किल समय में इस देश के किसानों ने अर्थव्यवस्था को संभाले रखा जिसे आज मोदी सरकार इन काले कृषि कानूनों के जरिए भुखमरी की कगार पर पहुंचाना चाहती है।

कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए पर्यावरण कार्यकर्ता रणजीव, नागेश आनंद व अफ़ज़ल हुसैन ने किसान आंदोलन को आज के समय में विश्व का सबसे बड़ा आंदोलन बताते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि यह लड़ाई खाना देने वालों और खाना लूटने वालों के बीच की लड़ाई है जिसमें हमें अपना पक्ष तय करना है।

वहीं भाकपा माले के युवा नेता कुमार परवेज़, इंसाफ मंच के मुश्ताक राहत ,आसमा खान व अफशां जबीं ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए सीधे शब्दों में कहा कि जनता के द्वारा चुनकर आई यह सरकार जैसी नीतियां ले आई है उसने साफ कर दिया है कि यह जनतांत्रिक नहीं, जन विरोधी सरकार है।

इस दौरान जनगीतों की प्रस्तुति करते हुए "कोरस" की संयोजक समता राय ने मोदी सरकार और जनता के बीच स्पष्ट लकीर खींचते हुए कहा कि हम अनाज बोने वालों के साथ हैं, कील गाड़ने वालों के नहीं।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए एआइपीएफ से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता ग़ालिब ने कृषि कानूनों के दुष्प्रभाव और किसान आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि यह हम सबकी लड़ाई है जिसे साथ मिलकर लड़ना होगा।

इस मौके पर डॉ.अलीम अख्तर, नसीम अंसारी, अनय मेहता, मुर्तज़ा अली, पन्नलाल सिंह, अशोक कुमार, रामकल्याण सिंह, ऐक्टू के जीतेंद्र कुमार, इंकलाबी नौजवान सभा के विनय कुमार, विजय कुमार, पुनीत, विक्रांत, संजय यादव, रंगकर्मी मृगांक, रिया अंतरा, आदि कई लोग मौजूद थे।



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