रायपुर, 11 अप्रैल 2020. कोरोना प्रकोप के गहराते संकट के मद्देनजर आज छत्तीसगढ़ किसान सभा की कई इकाइयों ने विभिन्न स्थानों पर चलाये जा रहे राहत कार्यों में हिस्सेदारी करते हुए आम जनता के बीच वॉशेबल मास्क, फल और खाद्यान्न का वितरण कर अपना स्थापना दिवस मनाया।
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छतीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सूरजपुर जिले के रामानुजनगर विकासखंड के बरोल पंचायत में किसान सभा कार्यकर्ताओं द्वारा बनाए गए वाशेबल मास्कों को ग्रामीणों के बीच बांटा गया। मास्क वितरण का यह काम किसान सभा नेता हरकेश दुबे, राजेश व जय प्रकाश देवांगन, प्रदीप ठाकुर व देवसाय रजवाड़े के नेतृत्व में किया गया।
इसी प्रकार भैयाथान जनपद पंचायत के रैसरा ग्राम पंचायत में बड़े पैमाने पर कपिल पैकरा के नेतृत्व में ग्रामीणों के बीच डेटॉल साबुन का वितरण किया गया।
बस्तर में दरभा ब्लॉक के किसान सभा नेता संतोष यादव, संजय मरकाम और ककालगुर सरपंच सुला मंडावी के नेतृत्व में भुखमरी की कगार पर खड़े लगभग 100 आदिवासी परिवारों की खाद्यान्न देकर मदद की गई। यह खाद्यान्न किसान सभा ने गांव के लोगों से ही मदद के लिए एकत्रित किया था।
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धमतरी में बीजनापुरी और छाती पंचायत के गांवों में अहिल्या, सारिका और रोशनी ध्रुव, अमेरिका और विमल नागरची तथा राधा दिली के नेतृत्व में किसान सभा और सीटू कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से ग्रामीणों के बीच मास्क बांटे।
कोरबा में किसान सभा कार्यकर्ता दिलहरण बिंझवार और जवाहरसिंह कंवर के नेतृत्व में बांकीमोंगरा क्षेत्र के ग्रामीणों के बीच फलों का वितरण किया गया। इन फलों को दुर्ग के एक किसान सुमेर सिंह सांगवान ने राहत कार्यों के लिए कोरबा माकपा को दान किया था।
किसान सभा की विभिन्न इकाइयां आम जनता के लिए राहत पैकेज घोषित करने व कोरोना संकट से उपजी समस्याओं के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री के नाम सरपंचों को ज्ञापन देने का अभियान भी चला रही हैं।
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उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय किसान सभा आज देश में किसानों का सबसे बड़ा संगठन है, जिसकी सदस्यता दो करोड़ से ज्यादा है। इस संगठन की स्थापना 11 अप्रैल 1936 को लखनऊ में जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना, स्वामी सहजानंद और ईएमएस नंबूदिरिपद जैसे स्वाधीनता सेनानियों की अगुवाई में हुई थी, जिसने अंग्रेजी साम्राज्यवाद और सामंती जमींदारों के खिलाफ लड़ने के लिए गरीब किसानों व खेत मजदूरों को लामबंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वाधीनता के बाद भी किसान सभा के झंडे तले किसानों के बड़े संघर्ष हुए हैं और वर्तमान परिस्थितियों में कृषि संकट के खिलाफ किसान सभा के नेतृत्व में ग्रामीणजन बड़े पैमाने पर आंदोलित हैं। पिछले दिनों ही दिल्ली में किसानों द्वारा निकाला गया पैदल मार्च और इसके पूर्व नासिक से मुंबई तक किसानों के लांग मार्च की पूरे देश में गूंज हुई थी।