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Kisan Sabha opposed anti-constitutional and corporate backward changes in Land Revenue Code
रायपुर, 09 सितंबर 2020. छत्तीसगढ़ किसान सभा ने आदिवासियों की जमीन को गैर-आदिवासियों को सौंपने के लिए भू-राजस्व संहिता में संविधानविरोधी बदलाव लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उपसमिति गठित करने की तीखी निंदा की है।
किसान सभा ने आरोप लगाया है कि सरकार का वास्तविक इरादा आदिवासियों की जमीन को कॉरपोरेटों के हाथों में सौंपने का है।
आज जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि भू-राजस्व संहिता में आदिवासीविरोधी संशोधन के प्रयास पिछले भाजपा राज में भी हुआ था। तब कांग्रेस ने इसका खुलकर विरोध किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस का भी भाजपा की राह पर चलना यह बताता है कि कांग्रेस और भाजपा -- दोनों ही पार्टियों की नीतियां आदिवासीविरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त हैं।
उन्होंने कहा कि जनजातीय सलाहकार परिषद का काम (work of Chhattisgarh Tribal Advisory Council) आदिवासियों के हितों की रक्षा करना है और उसे 5वीं अनुसूची व पेसा कानून जैसे संवैधानिक और कानूनी अधिकारों के प्रावधानों के तहत आदिवासियों के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा में खड़ा रहना चाहिए, लेकिन कांग्रेस सरकार उसका उपयोग आदिवासीविरोधी औजार के रूप में कर रही है। इससे ऐसे परिषद के औचित्य पर ही प्रश्न-चिन्ह लग जाता है।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि भू-राजस्व संहिता की धारा- 165 की उपधारा-6 में परिवर्तन से न केवल भाजपा राज के समय हुए समस्त गैर-कानूनी भूमि हस्तान्तरण वैध हो जाएंगे, बल्कि भविष्य में आदिवासी क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधनों पर कॉरपोरेटों की इजारेदारी का रास्ता भी खुल जावेगा। चूंकि ये संशोधन संविधान द्वारा आदिवासियों को दिए गए संरक्षण के पूरी तरह खिलाफ होंगे, इसलिए संविधानविरोधी भी होंगे।