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Know How baby haldar became a writer in India
आज प्रेरणा अंशु परिवार की मशहूर लेखिका बेबी हालदार का जन्म दिन है। हम सभी की ओर से उनका अभिनन्दन।
बेबी हालदार स्त्री अस्मिता का जीवंत प्रतीक है। घरेलू नौकरानी से दुनिया भर की सभी भाषाओं में अनुदित आलो आंधारि का सारांश की लेखिका बनने का उनका संघर्ष पितृसत्तात्मक भारतीय समाज की हर स्त्री का जीवन यथार्थ है।
जनसत्ता कोलकाता से जुड़े होने के कारण और अशोक सेकसरिया से हमारे सम्बन्धों की वजह से आलो आँधारी की पांडुलिपि सबसे पहले अरविंद चतुर्वेद के हाथों में आई थी सबरंग में प्रकाशन के लिए। तब इस पुस्तक के प्रकाशक संजय भारती भी जनसत्ता में थे। हम सभी ने बेबी की संघर्ष यात्रा को सबसे पहले महसूस किया था प्रबोधजी और अशोकजी के बाद।
मेरे दिनेशपुर आने के बाद प्रेरणा अंशु के छात्रों के लिए आयोजित लेखक से मिलिए कार्यक्रम में दो साल पहले वह आयी तो प्रेरणा अंशु परिवार की सदस्य बन गयी।
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बेबी अब बेबी नहीं, विश्वव्यापी है और हमें उन पर गर्व है।
पिछले साल रूपेश और मुन्ना कोलकाता जाकर उनके घर ठहरे थे।
बेबी बसंतीपुर में मेरे घर भी आई थी। जिस तरह गांव की लड़कियां और औरतें बेबी का नाम सुनकर हमारे घर देखते देखते जमा हो गईं, उससे मुझे अहसास हुआ कि आज भी हमारी लड़कियों का संघर्ष बेबी का ही संघर्ष है और वे बेबी से प्रेरित होती हैं।
स्त्री हर क्षेत्र में नेतृत्व करती है लेकिन परिवार और समाज में उस्की आज भी सुनवाई नहीं होती। इस समाज को बदलने के लिए हजारों हजार बेबी हालदार की जरूरत है।
प्रेरणा अंशु परिवार की तरफ से अपनी बेबी को जन्मदिन की बधाई।
पलाश विश्वास