जानिए क्या प्रेसबायोपिया, कैसे उम्र प्रभावित करती है आंखों की रोशनी को

hastakshep
02 Sep 2020
जानिए क्या प्रेसबायोपिया, कैसे उम्र प्रभावित करती है आंखों की रोशनी को

Eyes care tips : Know what is presbyopia, how age affects eyesight

अपनी उम्र को आंखों की रोशनी के कमजोर होने का कारण न बनने दें

प्रेसबायोपिया लोगों को 40 की उम्र के बाद प्रभावित करता है, हालांकि, मोबाइल फोन और इसी तरह के गैजेट्स का प्रयोग करने से कई बार अब यह उम्र से पहले ही नजर आने लगा है

प्रेसबायोपिया लोगों को 40 की उम्र के बाद प्रभावित करता है, हालांकि, मोबाइल फोन और इसी तरह के गैजेट्स का प्रयोग करने से कई बार अब यह उम्र से पहले ही नजर आने लगा है। यह नजदीक में केंद्रित कर पाने को कठिन बना देता है, खासकर छोटे अक्षरों और कम रोशनी में।

Presbyopia symptoms

नई दिल्ली स्थित सेंटर फार साइट के निदेशक डा.महिपाल सचदेव (Dr Mahipal Sachdev, CMD, Centre for Sight) का कहना है कि आमतौर पर, प्रेसबायोपिया 40 वर्ष के शुरुआत या मध्य में शुरू होता है,। जो लोग पास की चीजों को देखने की गतिविधि रोजाना करते हैं उन्हें इस बात का पता जल्दी चल जाता है और वे जल्द ही इसकी शिकायत करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल, मोबाइल फोन और टेबलेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल करने से, लोगों को जल्द ही सुधारात्मक चश्मे (corrective glasses for blindness) लग जाते हैं, यहां तक कि 37-38 साल की उम्र में ही।

एस्टीमैटिज्म, नियरसाइटेडनेस और फारसाइटेडनेस (दूर दृष्टि दोष) के रूप में प्रेसबायोपिया में अंतर पाया जा सकता है, जोकि आंखों की पुतलियों के आकार से संबंधित हैं और अनुवांशिक व पर्यावरणीय कारणों से होते हैं। यदि पास की धुंधली नजर आपको पढ़ने में दिक्कत, नजदीक के काम करने या अन्य सामान्य गतिविधियों को करने से रोक रही है तो आंखों के डॉक्टर को दिखाएं।

Myopia and presbyopia treatment

. महिपाल सचदेव का कहना है कि प्रेसबायोपिया को ठीक करने के लिए कोई भी बेहतर तरीका नहीं है। इसमें सुधार का सबसे सही तरीका आपकी आंखों और आपकी जीवनशैली पर निर्भर करता है। यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं तो आपके नेत्ररोग विशेषज्ञ पढ़ने के लिए चश्मे की सलाह दे सकते हैं, इन्हें आप तब  गा सकते हैं जब कॉन्टैक्ट लगे हुए हों की जांच नियमित रूप से होती रहे, खासकर 50 वर्ष की आयु के बाद।

डा. महिपाल सचदेव के अनुसार प्रेसबायोपिया का उपचार करने के लिए कंडक्टिव कैरेटोप्लास्टी या कॉर्नियल इन-लेज जैसे सर्जरी के विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा, लेजर का प्रयोग से  ठीक किया जाता है,  अंत: आंख की किसी भी समस्या को नजरअंदाज न करें। जब भी आपको महसूस हो कि आपकी आंखें सामान्य से कम कार्य कर रही हैं तो नेत्ररोग विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं और आंखों के लिए संभव सबसे बेहतर इलाज कराएं। क्योंकि हर कोई सबसे बेहतर पाने के हकदार है।

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