Advertisment

जानिए मोतियाबिंद का सही इलाज क्या है?

author-image
hastakshep
09 Sep 2022
New Update
मॉनिटर से निकलती तरंगें कम कर रही हैं आंखों की रोशनी

Advertisment

मोतियाबिंद आंखों की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होती है

Advertisment

नई दिल्ली, 9 सितंबर 2022. देश में ब्लाइंडनेस की सबसे बड़ी वजह मोतियाबिंद है। 70 प्रतिशत अंधत्व मोतियाबिंद यानी कैटरैक्ट (cataracts) की वजह से होता है। लेकिन, पिछले दो साल से देश कोविड महामारी से जूझ रहा है और इस दौरान बिना वजह भारी संख्या में लोगों ने स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया है और इस वजह से पिछले कुछ दिनों से मोतियाबिंद के मामले बढ़ गए हैं। यही नहीं समय पर इलाज नहीं होने की वजह से इन लोगों में कॉम्प्लीकेशन बढ़ गया है। समय पर सर्जरी नहीं हो पाने की वजह से ऐसे लोगों में मोतियाबिंद काला मोतिया बन जा रहा है। यही वजह है कि डॉक्टर ऐसे लोगों को जल्द से जल्द सर्जरी की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि इस बीमारी का सबसे अच्छा इलाज सर्जरी ही है।

Advertisment

मोतियाबिंद क्या है?

Advertisment

सेंटर फॉर साइट के डायरेक्टर डॉ. महिपाल सचदेव (Dr. Mahipal Sachdev, Director, Center for Sight) ने बताया कि देश में लगभग 12 मिलियन लोग मोतियाबिंद के शिकार थे, इसमें से 70 से 75 लाख की ही सर्जरी हो पाती है। मोतियाबिंद आंखों की एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होती है। बिना किसी दर्द, रोशनी धुंधली होती जाती है। ऐसे लोगों को पहचान करने में दिक्कत होती है, रात में दिखाई कम पड़ती है, बार बार चश्मे का नंबर बदलता रहता है और इसके बाद भी परेशानी कम नहीं होती है। इलाज नहीं किया जाए तो यह बीमारी सफेद मोतियाबिंद में बदल जाती है और तब स्थिति और खराब हो जाती है।

Advertisment

मोतियाबिंद क्यों होता है?

Advertisment

डॉ. महिपाल ने बताया कि मोतियाबिंद कई वजह से हो सकती है। सबसे बड़ी वजह उम्र है। इसके अलावा चोट लगने या आंखों की दूसरी बीमारी होने की वजह से भी हो सकता है। आंखों के कॉर्निया में अल्सर होने, ट्यूमर होने या रेडिएशन थेरेपी की वजह से हो सकता है। कुछ लोगों को जेनेटिक भी होता है। इसके अलावा जो लोग लंबे समय से थायराइड या डायबिटीज से पीडि़त हैं, उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है।

Advertisment
मोतियाबिंद की जांच क्यों जरूरी है?

उन्होंने कहा कि मोतियाबिंद की जांच जरूरी है। इसलिए इलाज के लिए एक्सपर्ट के पास ही जाएं। जांच के दौरान यह देखा जाता है कि जिन्हें मोतियाबिंद होता है उनकी आंखों के बीच में सफेदी आ जाती है, इसलिए इसे सफेद मोतियाबिंद भी कहते हैं।

उन्होंने कहा कि दरअसल इस बीमारी में आंखों का लेंस जो पारदर्शी होता है, वह क्लाउडी हो जाता है। इसकी वजह से विजन कम हो जाती है। लोगों को पढऩे लिखने में दिक्कत होती है। रंग की पहचान कर पाना मुश्किल होता है। लोगों को धुंधला या येलो दिखता है। समय पर इलाज कराने पर इससे छुटकारा मिल सकता है।

Web title : Know what is the right treatment for cataract?

Advertisment
सदस्यता लें