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Liver diseases and harmful effects of fatty liver: awareness necessary
नई दिल्ली, 22 सितंबर 2020. विगत दो दशकों में जीवन की गुणवत्ता में बदलाव और सुधार हुआ है, लेकिन आर्थिक विकास ने जीवन शैली की कुछ बीमारियों को बढ़ावा दिया है (Economic growth promotes some lifestyle diseases), जिससे स्वास्थ्य देखभाल पर भारी बोझ पड़ा है। जीवन शैली में बदलाव, मोटापा और डायबिटीज ने जीवनशैली स्वास्थ्य संकट में योगदान दिया है। गतिहीन जीवनशैली (Sedentary lifestyle) के साथ शराब का अत्यधिक सेवन सीधा लिवर पर अटैक करता है।
लिवर संबंधी बीमारियों और फैटी लिवर के हानिकारक प्रभाव के बढ़ते मामलों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने हरियाणा स्कूल लेक्चर एसोसिएशन के सहयोग से गवर्नमेंट स्कूल लेक्चरर्स ऑफ हरियाणा के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया।
वेबिनार की अध्यक्षता हिसार के मेयर गौतम सरदाना द्वारा की गई।
How people's lifestyles lead to liver disorders
श्री सरदाना ने लोगों की जीवन शैली लिवर संबंधी विकारों को कैसे जन्म दे सकती है, पर चिंता व्यक्त की।
इस वेबिनार में हरियाणा से लगभग 220 स्कूल शिक्षकों ने भाग लिया।
फैटी लिवर की समस्या कब होती है When does fatty liver problem
फोर्टिस हेल्थकेयर के हेपेटो-पैनक्रीटो-बाईलियरी सर्जरी, लिवर ट्रांसप्लान्ट के चेयरमैन और निदेशक, डॉ. विवेक विज (Dr. Vivek Vij, Chairman and Director, Liver Transplant, Hepato-Pancreato-Biliary Surgery, Fortis Healthcare) ने बताया कि,
“फैटी लिवर की समस्या तब होती है जब लिवर की कोशिकाओं में वसा बहुत ज्यादा मात्रा में जमा हो जाता है। कोशिकाओं में वसा की कुछ मात्रा होना सामान्य है, लेकिन 5 प्रतिशत से अधिक वसा से फैटी लिवर की समस्या हो जाती है। हालांकि, शराब का अत्यधिक सेवन फैटी लिवर का कारण बन सकता है, लेकिन ऐसा हर मामले में जरूरी नहीं है। फैटी लिवर के लक्षण न दिखाई देने पर यह दशकों तक अनदेखा हो सकता है। धीरे-धीरे लिवर में सूजन बढ़ने लगती है और फाइब्रोसिस जमा होने लगती है। एक बार जब यह एडवांस चरण पर पहुंच जाता है, जिसे सिरोसिस या लिवर कैंसर (cirrhosis of liver cancer) कहते हैं, इसके लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं।“
फैटी लिवर के लक्षण | Symptoms of fatty liver
उन्होंने बताया कि,
“सिरोसिस के चरण में लिवर फेल हो सकता है, जिसके इलाज के लिए केवल लिवर ट्रांसप्लान्ट का विकल्प ही रह जाता है। यदि बीमारी का पता शुरुआत में ही लग जाए तो इसे बढ़ने से रोका जो सकता है और इसका सफल इलाज भी संभव है। चुनौती यह है कि फैटी लिवर के रोगियों को उस वक्त कैसे मदद दी जाए जब लक्षणों का कोई नामोनिशान नहीं मिलता है।”
फैटी लिवर के कई संकेत होते हैं लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि वे सभी एक-साथ नजर आएं। ये लक्षण बाद के चरणों में नजर आ सकते हैं जैसे कि थकान, कमजोरी, हल्का दर्द या पेट के निचने हिस्से के दाहिने या बीच में भारीपन, लिवर एंजाइम्स का उच्च स्तर, इंसुलिन का स्तर बढ़ना, ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ना, भूख में कमी, मतली और उल्टी आदि।