क्या कम्युनिस्ट होने का मतलब संन्यासी होना है? चीन केरल से ईर्ष्या क्यों करता है?

क्या कम्युनिस्ट होने का मतलब संन्यासी होना है? चीन केरल से ईर्ष्या क्यों करता है?

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भारत के कम्युनिस्ट नेताओं ने ईमानदारी, सादगी और देशभक्ति की जो मिसाल पेश की है उससे किसी भी बुर्जुआ दल के नेता की तुलना करना संभव नहीं है।

आधुनिक केरल के निर्माता ईेएमएस नम्बूदिरीपाद

ईेएमएस नम्बूदिरीपाद को आधुनिक केरल के निर्माता के रूप में जाना जाता है। केरल के साथ आज भी भारत का कोई राज्य तुलना नहीं कर पाता मानव विकास के मामले में। कोई भी पार्टी केरल जैसा राज्य निर्मित क्यों नहीं कर पाई ?

केरल की एक ही खामी रही वहां औद्योगिक विकास नहीं हुआ, लेकिन सामाजिक विकास के सभी बड़े मानक केरल ने बनाए हैं, यहां तक कि चीन भी कई मायनों में केरल से ईर्ष्या करता है।

कम्युनिस्ट होने का मतलब क्या है?

कम्युनिस्ट होने का मतलब संयासी होना नहीं है, कंगाली में रहना कम्युनिज्म नहीं है, कम्युनिस्ट उन तमाम बेहतरीन मूल्यों को आत्मसात करने की कोशिश करते हैं जो मनुष्य ने विकसित किए हैं, जो कम्युनिस्ट ऐसा नहीं कर पाता वह कम्युनिस्ट नहीं बन पाता। कम्युनिस्ट होने का मतलब मात्र पार्टी मेम्बर होना नहीं है, कम्युनिस्ट कुछ खास मूल्यों और सामाजिक वर्गों के प्रति वचनवद्ध होते हैं।

माओ की वह सामान्य सी बात जिसने नम्बूदिरीपाद को बहुत कुछ सिखा दिया

एक बार ईएमएस नम्बूदिरीपाद ने निजी बातचीत में बहुत ही दिलचस्प बात बतायी। ईएमएस, सुरजीत, वासव पुन्नैया, सुंदरैय्या एक बार चीन के दौरे पर गए, वहां माओ ने उनका शानदार स्वागत किया। उनको बेहतरीन जगह ठहराया गया।

कुछ समय बाद आकर माओ ने उनसे पूछा कॉमरेड, आप लोग क्या खाएंगे। कॉमरेडों ने कहा कुछ सादा खाना भिजवा दें। माओ ने पलटकर कहा कॉमरेड सादा खाना तो आप बिना क्रांति के ही खा रहे हैं फिर क्रांति क्यों करना चाहते हैं, यह सुनकर सारे कॉमरेड निरूत्तर हो गए।

माओ ने कहा कॉमरेड हमने क्रांति है, समाज बदला है हमारे यहां सब कुछ है आप बोलो क्या खाओगे। ईएमएस ने कहा माओ की सामान्य सी बात ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया।

जगदीश्वर चतुर्वेदी

कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल | प्रो. एस पी कश्यप | hastakshep | हस्तक्षेप

Mao's simple talk that taught Namboodiripad a lot

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