मार्टिन लूथर किंग के सपने आज भी अधूरे

hastakshep
06 Jun 2020
मार्टिन लूथर किंग के सपने आज भी अधूरे मार्टिन लूथर किंग के सपने आज भी अधूरे

Martin Luther King's dreams are still incomplete

Martin Luther King and today's America

मार्टिन लूथर किंग और आज का अमेरिका

एल. एस. हरदेनिया एल. एस. हरदेनिया

वर्ष 1963 में अगस्त 29 को अमरीका की राजधानी वाशिंगटन में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन का नेतृत्व मार्टिन लूथर किंग जूनियर कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी ‘हमें सम्मान और काम चाहिए’। इस प्रदर्शन में दो लाख लोग शामिल थे। प्रदर्शनकारियों में अश्वेत और श्वेत दोनों शामिल थे। अश्वेत 90 प्रतिशत और श्वेत 10 प्रतिशत थे।

Martin Luther King's historical speech

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मार्टिन लूथर किंग ने जो भाषण दिया था उसे बीसवीं सदी में दिए गए सबसे ऐतिहासिक भाषणों में शामिल किया गया है। 20वीं सदी के ऐतिहासिक भाषणों का संग्रह ब्रिटेन के प्रभावशाली दैनिक ‘मेनचेस्टर गार्जियन’ ने प्रकाशित किया है। इस संग्रह में अन्य लोगों के अलावा जवाहरलाल नेहरू का भाषण भी शामिल है।

मार्टिन लूथर किंग ने अपने भाषण में अश्वेतों अर्थात नीग्रो की आर्थिक एवं राजनीतिक दुर्दशा (Economic and political plight of blacks, ie negroes) की चर्चा की थी। इस समय अमरीका में जो व्यवहार अश्वेतों के साथ हो रहा है उससे लगता है कि 1963 के प्रदर्शन के बाद से आजतक भी वहां अश्वेतों की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है।

मार्टिन लूथर किंग ने अपने भाषण में बार-बार कहा था ‘आई हेव ए ड्रीम’ अर्थात मेरा एक सपना है।

अपने भाषण के प्रारंभ में उन्होंने कहा कि ‘’हम से पूछा जा रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में तुम वाशिंगटन क्यों आए हो। हमसे पूछा जा रहा है कि तुम कब संतुष्ट होगे। हमारा उत्तर है हम उस दिन संतुष्ट होंगे जब हमें पुलिस की ज्ञात और अज्ञात ज्यादतियों से मुक्ति मिलेगी।’’

25 मई 2020 को जिस क्रूर तरीके से जार्ज प्लायड को मारा गया है उससे लगता है कि अमरीका के अश्वेतों को आज भी पुलिस के जुल्मों से मुक्ति नहीं मिली है।

मार्टिन लूथर किंग ने आगे कहा

‘‘हम उस दिन संतुष्ट होंगे जब प्रत्येक स्थान पर यह चेतावनी कि ‘यह स्थान सिर्फ श्वेतों के लिए है’ हटा दी जाएगी। मुझे ज्ञात है कि आप किन मुसीबतों का सामना करते हुए यहां आए हैं। आप में से कई सीधे जेल से यहां आए हैं।’’

फिर मार्टिन लूथर किंग ने कहा कि

‘‘मेरा सपना है कि वह दिन जरूर आएगा जब पूर्व के गुलाम और गुलामों के मालिकों की संतानें एक साथ एक ही टेबिल पर बैठकर खाएंगे। मेरा सपना है कि वे सारे स्थान जहां अन्याय व्याप्त है आजादी और न्याय के स्थल बन जाएंगे। मेरा सपना है कि मेरे चारों बच्चे उनकी चमड़ी के रंग से नहीं वरन् उनकी प्रतिभा और चरित्र से जाने जाएंगे। मेरा सपना है कि अलाबामा में अश्वेत और श्वेत बच्चे हाथ में हाथ डालकर पढ़ेंगे और खेलेंगे।

‘‘मेरा सपना है कि हमारे बीच का भेदभाव एक दिन मधुर संगीत में बदल जाएगा। मेरा सपना है कि वह दिन शीघ्र आएगा जब हम मिलकर काम करेंगे, जब हम मिलकर प्रार्थना करेंगे, जब हम मिलकर संघर्ष करेंगे, जब हम मिलकर जेल जाएंगे, आजादी और स्वतंत्रता के लिए मिलकर मैदानी लड़ाई लड़ेंगे। मेरा सपना है कि हम मिलकर गाएंगे कि हमारा यह देश और महान बने, मेरा सपना है कि पूरे देश के हर कोने से लिबर्टी की हवाएं बहें और सबका बराबर से स्पर्श करें। मेरा सपना है कि हर गांव, हर झोपड़े से आजादी के गीत सुनाई दें और अमरीका का प्रत्येक नागरिक, ईश्वर की हर संतान- श्वेत, अश्वेत, यहूदी, कैथोलिक प्रोटेस्टेंट - हाथ में हाथ डालकर चलें और प्राचीन नीग्रो गीत गाए ‘फ्री एट लास्ट, फ्री एट लास्ट, थैंक गॉड आलमायटी वी आर फ्री एट लास्ट।’’’

आज अमरीका में जो कुछ हो रहा है उससे ऐसा लगता है कि मार्टिन लूथर किंग के सभी सपने अधूरे हैं। आज अमरीकी राष्ट्रपति यह कहता है कि यदि प्रदर्शनकारी व्हाइट हाऊस के और पास आएंगे तो मैं उनपर खूंखार कुत्ते छोड़ दूंगा। वह धमकी देता है कि यदि प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए तो मैं सेना भेजूंगा, जो अपने गर्वनरों से कहता है कि तुम मूर्ख हो, तुम क्यों प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हो।

प्रदर्शनकारियों के समर्थन में लंदन, पेरिस, आस्ट्रेलिया और यूरोप के अन्य देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं। अमेरिका के ही पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा उनका समर्थन कर रहे हैं। ओबामा ने उन प्रदर्शनकारियों की निंदा की है जो तोड़फोड़, लूटपाट और हिंसा कर  रहे हैं।

हम भारत में क्या कर रहे हैं यह सोचने की बात है।

अश्वेतों के हितों की लड़ाई लड़ते हुए सन् 1968 में मार्टिन लूथर किंग की हत्या कर दी गई थी। अश्वेतों के अधिकारों के लिए अभियान चलाने के पहले वे भारत आए थे - यह जानने के लिए कि अहिंसक आंदोलन कैसे संचालित होते हैं। भारत प्रवास के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी की कार्यप्रणाली को समझा था।

- एल. एस. हरदेनिया

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