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Martyrs' dependents will get job in Kharsawan firing - Hemant Soren
रांची 02 जनवरी 2020. ''जिस तरह गुवा गोली कांड में शहीदों को चिन्हित करके उनके परिजनों को नौकरी दी गई, उसी तरह अब खरसावां गोलीकांड के शहीदों के आश्रितों को हमारी सरकार द्वारा चिन्हित करके नौकरी दी जाएगी। उन्हें पेंशन देने का भी काम होगा।''
यह घोषणा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक जनवरी को खरसांवा के शहीद स्मारक पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा (Tribute meeting organized at the martyr memorial of Kharsawa) में की।
उन्होंने कहा कि
''हमारे पुरखों ने शोषण के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है। हमने शोषक, सामंतो, महाजनों और अंग्रेजों के खिलाफ भी उलगुलान किया है। राज्य का कोल्हान हो, संथाल परगना हो, पलामू हो या फिर छोटानागपुर, हर जगह हमारे शहीदों की वीर गाथा राज्य की गरिमा को बढ़ाती रही है, उनके संघर्ष को दर्शाती रही है। हमें इन शहीदों के आदर्शों से शक्ति मिलती है।''
हेमंत ने कहा कि
''अब इस राज्य में ऐसा कोई काम नहीं होगा और कोई ऐसा नियम नहीं बनेगा, जिससे राज्य के लोगों की परेशानी बढ़े, तकलीफ हो और जनमानस में गुस्सा हो। आदिवासियों और झारखण्डी जनता के हित में जो होगा, वही निर्णय लिया जाएगा। झारखण्ड आपका घर है, इसे कैसे संवारना है, यह हम सब मिलकर तय करें, हर वर्ग के लोगों को साथ लेकर हमें चलना है।''
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि
''राज्य में अब सिर्फ वही काम होगा जो जन मानस के लिए लाभदायक होगा। झारखण्ड में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं मरेगा। सबको अनाज सरकार देगी। पिछले 5 वर्ष में जो कलंक लगा है, उसको भी धोना है। शपथ ग्रहण के बाद से मुझसे लोगों का मिलना अनवरत जारी है। उनकी आकांक्षाएं और उम्मीदें बहुत हैं। मेरा प्रयास होगा कि इस राज्य के हित में और यहां के लोगों के हित में ही काम होगा। मेरा हर कदम झारखण्ड का मान- सम्मान बढ़ाने, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर रास्ता निकालने वाला, हमारी मां, बहन और बेटियों की सुरक्षा के लिए और अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए होगा। झारखण्ड को सोने की चिड़िया बनाने के लक्ष्य को हम सभी झारखंडवासी मिलकर प्राप्त करेंगे।''
मुख्यमंत्री ने कहा कि
''आपने जिस सोच, आशा और उम्मीद के साथ हमें झारखण्ड को आगे ले जाने की जिम्मेवारी सौंपी है, उसका निर्वहन ईमानदारी से करुंगा। यह जिम्मेवारी, यह चुनौती बहुत बड़ी है। हम मिलकर इसके बीच से रास्ता भी निकलेंगे। राज्य के शहीदों ने हमें चुनौतियों को सीने से लगाने का बुलंद हौसला दिया है।''
इस अवसर पर सरायकेला विधायक चम्पई सोरेन, मनोहरपुर विधायक जोबा मांझी, खरसावां विधायक दशरथ गगरई, जमशेदपुर पश्चिमी विधायक बन्ना गुप्ता, चाईबासा विधायक दीपक बिरुवा, ईचागढ़ विधायक सविता महतो और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
बताते चलें कि 1 जनवरी 1948 को आज़ाद भारत में जहां पूरा देश आजादी की पहली जनवरी का जश्न मना रहा था, वहीं बिहार का खरसावां (अब झारखण्ड) में उड़िसा सरकार के सिपाहियों द्वारा आदिवासियों पर गोलियों का बौछार किया जा रहा था।
बताते हैं कि 1 जनवरी 1948 को खरसावां हाट में 50 हज़ार से अधिक आदिवासियों की भीड़ पर ओड़िशा मिलिट्री पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की थी, जिसमें हजारों आदिवासी मारे गये थे। तब से झारखंड के आदिवासी एक जनवरी को काला दिवस के रूप में याद करते हैं। वहीं खरसावां की इस घरती को शहीद स्थल में रूप में स्थापित किया गया। खरसावां हाट के एक हिस्से में शहीद स्मारक है और इसे अब पार्क में भी तब्दील कर दिया गया है।
बता दें कि गोलीकांड में मारे गए सभी शहीदों की पहचान आज तक नहीं हो सकी है। उनके घर वालों को सही मुआवज़ा या नौकरी तक नहीं मिला है। पर हर साल पहली जनवरी को शहीद स्थल पर जुटनेवाले नेता अपने भाषण में शहीदों को मान-सम्मान दिलाने व घर वाले को मुआवजा व नौकरी देने की घोषणा करके चले जाते हैं और फिर एक साल बाद शहीद स्थल पर आकर वही जुमला दुहराते हैं। देखना हेमंत सोरेन की घोषणा कितनी कामयाब होती है।
यह पार्क पहले आम लोगों के लिए भी खुलता था, मगर 2017 में इस 'शहीद दिवस' के अवसर पर हुए एक कार्यक्रम के दौरान ही झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास का विरोध हुआ, तब से यह पार्क आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया। अब देखना है हेमंत सरकार इसे पुन: आम लोगों के लिए खुलवाती है या नहीं।
इस शहीद स्थल के पुरोहित विजय सिंह बोदरा हैं। जिनकी देख रेख में एक जनवरी को शहीदों के नाम पर पूजा की जाती है। लोग श्रद्धांजलि देते हैं। विजय सिंह बोदरा के अनुसार फूल-माला के साथ चावल के बना रस्सी चढ़ा कर पूजा की जाती है। शहीद स्थल पर तेल भी चढ़ाया जाता है। बता दें कि विजय सिंह बोदरा का परिवार ही यहां पीढ़ियों से पूजा कराता आ रहा है।
The tribals of Kolhan remember 1 January as Black Day.
एक तरफ जहां खरसांवा के शहीद स्मारक पर आसपास के आम व खास लोग श्रद्धांजलि देते हैं, वहीं झारखंड के अन्य क्षेत्रों में बसे कोल्हान के आदिवासी 1 जनवरी को काला दिवस के रूप में याद करते हैं।
इसी क्रम में बोकारो के सेक्टर-12 स्थित बिरसा बासा में 'जनअधिकार मंच' एवं 'आदिवासी हो समाज' बोकारो के तत्वावधान में खरसावां गोली कांड के शहीदों को श्रंद्धाजली दी गई। समारोह की अध्यक्षता छोटेलाल सोरेन व संचालन झरीलाल पात्रा ने की। श्रंद्धाजलि समारोह में आदिवासी हो समुदाय के लोगों ने शहीदों की स्मारक की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर याद किया। इस दौरान वक्तओं ने कहा कि एक जनवरी के दिन ही खरसावां हाट में 50 हजार से अधिक आदिवासियों की भीड़ पर ओड़िशा मिलिटरी पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की थी। जिसमें 25 से 30 हजार लोग शहीद हुए।
वक्ताओं ने कहा कि आजाद भारत का यह सबसे बड़ा गोलीकांड माना जाता है। गोलीकांड के बाद जिन लाशों को उनके परिजन लेने नहीं आये, उन लाशों को उस कुआं में डाला गया और कुआं का मुंह बंद कर दिया गया। जहां पर शहीद स्मारक बनाया गया हैं। इसलिए कोल्हान के आदिवासी समुदाय एक जनवरी को काला दिवस के रूप में मानता है।
अवसर पर जगरूकता रैली निकली गई। रैली के बाद सभा की गई जिसमें झारखंड के शहीदों में पोटो हो, केरसा हो, पंडुवा हो, नाराह हो, बोड़ो हो, कोचे हो, जोंकों हो, बोरजो हो, रितुई-गुनडुई हो, वीर बिरसा, सिद्दू-कानू, जयपाल सिंह मुंडा का जय-जयकार करते हुए पुरखों की लड़ाई को सदैव जिंदा रखने का आह्वान किया गया। सभा का संचालन योगो पुर्ती ने किया।
वहीं जमशेदपुर में 1 जनवरी 2020 को खरसावां गोलीकांड के खिलाफ 'झारखंड जनतांत्रिक महासभा' की ओर से साकची गोलचक्कर से डीसी ऑफिस तक प्रतिवाद मार्च निकाला गया।
''खरसावां गोलीकांड वे दोषियों को चिह्नित करके मारे गए शहीदों के परिवारों को न्याय दो।'' के नारे लगाए गए।
मार्च जब सभा में बदला तो सभा को संबोधित करते हुए गीता सुंडी ने कहा कि गोलीकांड के इतने साल बीतने के बाद भी शहीद परिवारों को न्याय नहीं मिला है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
दिनकर कच्छप ने कहा कि जलियावाला गोलीकांड के दोषी जनरल डायर था, हम सब जानते हैं। लेकिन खरसावां गोलीकांड का दोषी कौन है? आज तक सस्पेंस बना हुआ है।
झारखंड जनतांत्रिक महासभा ने मांग की कि खरसावां गोलीकांड के बारे में सिलेबस में शामिल किया जाए। साथ ही इस घटना का निष्पक्ष और सही तथ्यों को आम जनों तक सामने लाने और दोषियों को चिह्नित करने और मारे गए लोगों को सही संख्या पता लगाने के लिए एक जांच टीम तत्काल गठित किया जाए।
सभा का संचालन दीपक रंजीत ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सुधाकर लोहार ने किया।