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The era of Matsya Nyaya has come in West Bengal, Bengal will turn into hell in the coming days: Justice Katju
पश्चिम बंगाल में मत्स्य न्याय का युग आ गया है
हमारे प्राचीन चिंतकों ने मत्स्य न्याय की परिकल्पना (Matsya Nyaya in Hindi) की थी जिसका मतलब है जंगल राज जहां बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती हैI हमारे प्राचीन चिंतकों ( जैसे चाणक्य ) ने लिखा है कि यह समाज की सबसे बदतर परिस्थिति होती है।
लगता है बंगाल में मत्स्य न्याय शीघ्र आने वाला है।
पश्चिम बंगाल के हालिया चुनावों में भारी टीएमसी जीत के तुरंत बाद राज्य के कई हिस्सों में हिंसा हो रही है। कोई इसे कैसे समझाता है? मैं एक उत्तर देने की कोशिश करूँगा।
जनवरी 1933 में हिटलर के जर्मनी के चांसलर बनने के तुरंत बाद, उसके तूफानी सैनिकों, Sturm Abteilungen स्टोर्म अबेटिलुंगेन (S.A) ने पूरे जर्मनी में अपना उपद्रव शुरू कर दिया, यहूदी दुकानों को लूट लिया और अपने राजनीतिक विरोधियों, कम्युनिस्टों, सोशल डेमोक्रेट्स आदि की पिटाई शुरू कर दी।
ये तूफान सैनिक बेरोजगार लुम्पेन तत्वों और गुंडों के अलावा कुछ नहीं थे, जिन्होंने सोचा था कि क्योंकि उन्होंने सत्ता पाने के लिए हिटलर का समर्थन किया था इसलिए वे अब नौकरी के रूप में नाजी पार्टी से अपनी सेवा के फल के हकदार थे। क्योंकि उस समय जर्मनी में बहुत काम नौकरियां थीं (दुनिया भर में ग्रेट डिप्रेशन के बाद जर्मन अर्थव्यवस्था में मंदी आ गयी थी ) उन्हें लूटपाट, बर्बरता और आतंकवाद के अलावा अपने पेट भरने का का कोई उपाय नहीं था।
ऐसा ही पश्चिम बंगाल में हुआ है।
ममता बनर्जी द्वारा तृणमूल कांग्रेस गठित किए जाने के बाद पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के कैडर (= बेरोजगार गुंडे और उचक्के ) टीएमसी में चले गए। अब जब टीएमसी ने पश्चिम बंगाल चुनावों में भारी जीत दर्ज की है, तो ये बेरोजगार गुंडे और लुंपेन तत्व मांस का एक पाउंड ( pound of flesh ) चाहते हैं, वे नौकरियों से पुरस्कृत होना चाहते हैं। पश्चिम बंगाल में क्योंकि बहुत कम नौकरियां हैं, इसलिए उनके जीविका का साधन अब दुकानों की लूटपाट, लोगों से धन उगाही ( 'सुरक्षा धन' 'protection money' ) और जनता को आतंकित करना ही एकमात्र उपाय है।
इन गुंडों से पिटने के डर से पश्चिम बंगाल में लोग उनके खिलाफ बोलने से डरते हैं, और पुलिस अक्सर इन हुड़दंगियों और बदमाशों की बर्बरता को नज़रअंदाज़ कर देती है, क्योंकि TMC सत्ता में है और इन गुंडों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले पुलिसकर्मी पीड़ित हो सकते हैं (दमयंती सेन की तरह)।
ममता बनर्जी ने बयान जारी किया है कि वह हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेंगी, लेकिन यह सिर्फ लिप सर्विस ( lip service ) है। वह हमेशा टीएमसी कैडरों का समर्थन करती हैं, और वह जानती हैं कि अगर वह वास्तव में इन गुंडों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करती हैं तो वह अपने समर्थकों को खो देंगी।
इसके अलावा, वह खुद एक फासीवादी हैं जो आलोचना नहीं सह सकतीं, जैसा कि स्पष्ट था जब उन्होंने जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा को सोशल मीडिया पर अपने कार्टून साझा करने के लिए गिरफ्तार करवा दिया था। किसान शिलादित्य चौधरी ने एक बैठक में उनसे केवल यह कहा की उन्होंने किसानों के लिए अपने चुनावी वादे पूरे नहीं किये, और इसपर उसे तुरंत माओवादी घोषित कर दिया गया और गिरफ्तार करवा दिया गया।
इसलिए बंगाल में अराजकता का युग आ गया है जो आने वाले दिनों में एक नरक में बदल जाएगा।
जस्टिस मार्कंडेय काटजू
(लेखक सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश हैं)
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