गठिया का घुटने में दर्द : अब जरूरत नहीं पूरा घुटना बदलवाने की

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hastakshep
11 Jan 2021
गठिया का घुटने में दर्द : अब जरूरत नहीं पूरा घुटना बदलवाने की

गठिया में घुटने का दर्द से छुटकारा देती है मिनिमली इनवेसिव पार्शियल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी ?            

Minimally-invasive partial knee replacement surgery relieves arthritis pain in the knee

नई दिल्ली, 11 जनवरी 2021. खराब और गतिहीन जीवनशैली के साथ आज का युवा विभिन्न प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ रहा है। आमतौर पर 3 में से एक वयस्क को कभी न कभी घुटने का दर्द जरूर परेशान करता है। वहीं कुछ मामलों दर्द घुटनों के आसपास की मांसपेशियों में गड़बड़ी के कारण होता है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस क्या है What is osteoarthritis

ऑस्टियोआर्थराइटिस रूमेटॉयड की दूसरी सबसे आम समस्या है, जो भारत में 40% आबादी को अपना शिकार बनाए हुए है। यह एक प्रकार की गठिया (अर्थराइटिस) की समस्या है, जो एक या ज्यादा जोड़ों के कार्टिलेज के डैमेज होने के कारण होती है। हालांकि, ऑस्टियोआर्थराइटिस किसी भी जोड़े को प्रभावित कर सकता है, लेकिन आमतौर पर यह हाथों, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करता है।

कार्टिलेज प्रोटीन जैसा एक तत्व है जो जोड़ों के बीच कुशन का काम करते हैं।

ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में तीन गुना ज्यादा होता है | The risk of osteoarthritis is three times higher in women than men.

एक विज्ञप्ति के मुताबिक सामान्य तौर पर ऑस्टियोआर्थराइटिस मोटापा, एक्सरसाइज में कमी, चोट आदि से संबंधित है। यह समस्या पीड़ित के जीवन की गुणवत्ता को खराब करती है। इस समस्या का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में 3 गुना ज्यादा होता है, जिसके बाद उन्हें जॉइंट रिप्लेसमेंट कराना पड़ता है।

विज्ञप्ति के मुताबिक पिछले 5 सालों में, जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। जॉइंट रेजिस्ट्री (आईएसएचकेएस) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 सालों में भारत में 35,000 से अधिक टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) सर्जरी की गईं। आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि, 45-70 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं पर टीकेआर का 75% से अधिक प्रदर्शन किया गया था। टीकेआर के 33,000 यानी लगभग 97% मामले ऑस्टियोआर्थराइटिस के थे।

Is Partial Knee Replacement Surgery Right for You?

फरीदाबाद स्थित फोर्टिस अस्पताल के ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट के एडिशनल डायरेक्टर, डॉक्टर हरीश घूटा (Dr. Harish Ghoota (M.B.B.S., M.S.) Additional Director & HOD-Orthopedics & Joint Replacement at Fortis Escorts Hospital, Faridabad, India.) ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि,

“पार्शियल नी रिप्लेसमेंट आर्थराइटिस के इलाज की एक सफल प्रक्रिया है। इसका सबसे बड़ा कारक यह है कि ऑस्टियोआर्थराइटिस हमेशा घुटने के बीचों-बीच अंदर की तरफ होता है। ऐसे में पार्शियल नी रिप्लेसमेंट बीमारी को हल्का कर देता है, जिससे मरीज को बिल्कुल सामान्य महसूस होता है। पार्शियल नी रिप्लेसमेंट जैसी नई तकनीकें पुरानी तकनीकों की तुलना में बहुत बेहतर हो गई हैं। इनका प्रभाव लंबे समय तक रहता है। पहले नी रिप्लेसमेंट बुजुर्ग मरीजों की जरूरत के हिसाब से उपलब्ध होते थे, लेकिन आज टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ इंप्लांट की उपलब्धता के साथ युवा भी इस तकनीक का लाभ उठा सकते हैं।”

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डॉक्टर हरीश घूटा ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि,

“पार्शियल नी रिप्सेमेंट का खास फायदा यह है कि यह एसीएल का बचाव करता है, जो मूवमेंट और जोड़ों के बचाव के लिए जिम्मेदार एक अहम लिगामेंट होता है। जबकि टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में एसीएल को हटाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में लीगामेंट को ठीक से सेट किया जाता है, इसलिए मरीजों को ऐसा बिल्कुल महसूस नहीं होता है कि उनके घुटने के हिस्से को बदला गया है। सभी मरीज पूरी तरह से सामान्य महसूस करते हैं।”

उन्होंने बताया कि चूंकि, इसमें एक छोटे से चीरे के साथ काम बन जाता है, इसलिए मरीज सर्जरी के बाद जल्दी रिकवर करते हैं और जल्द ही अपने सामान्य जीवन को शुरू कर पाते हैं। इसमें हड्डियों और टिशूज को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है इसलिए मरीजों को प्राकृतिक अनुभव प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया की खास बात यह है कि ये भारतीय संस्कृति, जहां लोग स्क्वाट्स लगाना और एक पैर को दूसरे पर चढ़ाकर बैठना पसंद करते हैं, के अनुसार तैयार की गई है।

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