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देश बेचने में लगी है मोदी सरकार, नई श्रम संहिताएँ मजदूर विरोधी - वर्कर्स फ्रंट

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hastakshep
23 Sep 2020
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देश बेचने में लगी है मोदी सरकार, नई श्रम संहिताएँ मजदूर विरोधी - वर्कर्स फ्रंट

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राष्ट्रव्यापी मजदूरों के प्रतिवाद में उत्तर प्रदेश में हुए कार्यक्रम

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Modi government is engaged in selling the country, new labour codes anti-labour - workers front

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लखनऊ, 23 सितंबर 2020, रेल, तेल, बैंक, बीमा, हवाई सेवा, कोयला समेत प्राकृतिक संपदा को जिस तरह से वित्तीय पूंजी की सेवा में लगी मोदी सरकार निजी हाथों में बेच रही है वह और कुछ नहीं देश को ही बेच देने की कोशिश है. जिसके विरुद्ध आज देश की भर की ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस में वर्कर्स फ्रंट ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कार्यक्रम कर विरोध दर्ज कराया.

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औद्योगिक केंद्र सोनभद्र, आगरा, लखनऊ, मऊ, बस्ती, गोंडा, इलाहाबाद, सीतापुर, चित्रकूट, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी आदि जनपदों में हुए इन प्रतिवाद कार्यक्रमों में सरकार से निजीकरण को बंद करने, नई श्रम संहिताएँ वापस लेने, विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करने, नई पेंशन स्कीम को खत्म करने, ठेका मजदूरों, आंगनबाड़ी, आशा, पंचायत मित्र, शिक्षामित्र आदि स्कीम वर्कर्स को स्थाई करने व सम्मानजनक वेतन देने, मनरेगा में सालभर काम की गारंटी, शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी कानून और बुनकरों को विशेष पैकेज देने की मांगे उठाई गईं.

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कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपने बयान में बताया कि मोदी सरकार ने संसद को बंधक बनाकर मजदूरों के विरुद्ध इस मानसून सत्र में तीन विधेयक जो श्रम संहिताओं के नाम से हैं और किसानों के खिलाफ तीन विधेयक पास कराए. मजदूरों की श्रम सहिताएं आजादी के पहले और आजादी के बाद लंबे संघर्षों से मिले मजदूरों की सुरक्षा, रोजगार, न्यूनतम मजदूरी और लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म करती है.

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उन्होंने कहा कि कहां तो मोदी सरकार पांच ट्रिलियन की इकनॉमी बनने की घोषणाएं कर रही थी और कहां उसने देश को इस हालत में पहुंचा दिया कि हमारी जीडीपी तक 24 प्रतिशत घट गई. पूरे देश में बेरोजगारी भयावह रूप ले चुकी है और सरकार छंटनी, डाउनसाईजिंग, भर्ती पर रोक और कोरी लफ्फाजी करने में व्यस्त है. इसके विरुद्ध मजदूर, किसान, युवा तबकों में आक्रोश बढ़ रहा है और इस आक्रोश को मजदूर आंदोलन को एक राजनीतिक ताकत में बदल देना वक्त की जरूरत है.

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उन्होंने कहा कि आज बुनकरों के सस्ती बिजली की पासबुक व्यवस्था को बहाल करने, उनके बिजली बिल और कर्जे माफ करने और विशेष पैकेज के दर्जे के लिए मऊ में बुनकर वाहनी के प्रदेश अध्यक्ष इकबाल अहमद अंसारी के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ. सोनभद्र के रेणुकूट में ठेका मजदूर यूनियन के जिलाध्यक्ष कृपाशंकर पनिका और पूर्व सदस्य सभासद नौशाद मियां के नेतृत्व में हिंडालको के मजदूरों, अनपरा में ठेका मजदूर यूनियन के जिला मंत्री तेजधारी गुप्ता और ओबरा में तीरथ राज यादव व चतरा में पूजा धांगर के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया.

आगरा में वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश उपाध्यक्ष इंजीनियर दुर्गा प्रसाद के नेतृत्व में बिजली कर्मचारियों ने विरोध दर्ज कराया और मुकंदी लाल नीलम के नेतृत्व में पटरी दुकानदार एसोसिएशन ने प्रदर्शन किया. वहीं महिला समाख्या की अध्यक्ष प्रीती श्रीवास्तव, नेता शगुफ्ता यासमीन, रीता श्रीवास्तव, सुनीता वर्मा समेत तमाम कार्यकर्ताओं ने अपने 20 माह के बकाए वेतन और रोजगार की सुरक्षा के लिए अपना प्रतिवाद दर्ज कराया.

बस्ती में एडवोकेट राजनारायण मिश्रा, सीतापुर में मजदूर किसान मंच नेता सुनीला रावत व लखीमपुर में डा. बी. आर. गौतम के नेतृत्व में मजदूरों के प्रदर्शन हुए.

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