जिन गरीबों के पास कभी एक रुमाल नहीं देखा, वे कभी रुमाल नहीं खरीद पाते, उनसे मोदी सरकार कह रही है मास्क लगाओ तब घर के बाहर निकलो। इस बुद्धिहीन सरकार को कौन समझाए कि वह गरीबों की झोपड़ी में जाकर हर एक को पहले मास्क मुहैय्या कराए।
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भूखे लोग कहाँ जाएँ ?
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मास्क मुहैय्या कराए बिना गीता के ज्ञान की तरह मास्क ज्ञान देना बंद करे। जिनके पास खाने को नहीं है उनसे कहा जा रहा है वेवजह घर से मत निकलो। कहां जाएं भूखे लोग ?
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कायदे से भूखे लोगों को स्थानीय सांसदों-विधायकों के घरों के पास जाकर एकत्रित हो जाना चाहिए। सांसदों-विधायकों से कहो कि तीन बार खाना दो वरना सत्ता छोड़ दो। स्थिति की भयावहता का अनुमान कीजिए साठ साल के ऊपर के गांवों में रहने वालों, आदिवासियों, दलितों-मुसलमानों, किसानों, खेत मजदूरों, औरतों, पर्वतीय इलाकों में रहने वालों के पास मोदी सरकार वैक्सीन नहीं पहुँचा पाई है और बची हुई वैक्सीन वापस जमा करने के आदेश दे दिए गए हैं।
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ये वे करोड़ों वे गरीब लोग है जिनके पास इंटरनेट नहीं, मोबाइल नहीं, साक्षरता नहीं। वैक्सीन के पहले चरण की यह सबसे बड़ी विफलता है। इस विफलता के लिए केन्द्र और राज्य दोनों समान रुप से जिम्मेदार हैं।
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पैंतालीस साल के ऊपर के लोगों तक वैक्सीन पहुँची नहीं, और 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन अभियान शुरू हो गया, लेकिन अधिकांश राज्यों के पास वैक्सीन नहीं है। दिल्ली तक में वैक्सीन नहीं है। यहां तक दिल्ली में 45 साल से ऊपर के सभी लोगों तक वैक्सीन नहीं पहुँची है।
यूपी-बिहार, राजस्थान आदि राज्यों की स्थिति तो और भी बदतर है। मोदी सरकार तुरंत 45 साल के ऊपर के लोगों में किए गए वैक्सीन अभियान के विस्तृत आंकड़े जारी करे। मेरा मानना है 45 साल से ऊपर की बड़ी आबादी तक सरकारें पहुँची ही नहीं हैं।
मोदी सरकार के पास आधारकार्ड केन्द्रित डाटा उपलब्ध है उसका संपूर्ण विवरण इंटरनेट पर प्रकाशित किया जाए।