मोनोट्रोपा का सच : एक विलक्षण फूलधारी पौधा

मोनोट्रोपा का सच : एक विलक्षण फूलधारी पौधा मोनोट्रोपा का सच : एक विलक्षण फूलधारी पौधा

परजीवी और सहजीवी का अंतर | सजीवों की कितनी श्रेणियां होती हैं?

सजीवों को विभिन्न समूहों में बांटने का एक प्रमुख आधार (A major basis for dividing living beings into different groups) उनके पोषण का तरीका भी है। इस दृष्टि से सभी सजीवों को दो श्रेणियों में रखा गया है। पहले स्वपोषी और दूसरे परपोषी (Heterotroph)। स्वपोषी जीव सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। सारे हरे पौधें एवं कुछ बैक्टीरिया इसी श्रेणी में आते हैं।

परपोषी जीव किसे कहते हैं?

जो जीव अपना भोजन दूसरे जीवों से पाप्त करते हैं वे परपोषी कह जाते हैं। सारे जन्तु इसी श्रेणी में आते हैं। इनका भोजन या तो स्वपोषी पेड़-पौधे होते हैं या अन्य जन्तु।

परपोषियों को भी परजीवी, सहजीवी और मृतजीवी (parasitic, symbiotic and saprophyte) में बांटा गया है।

परजीवी (parasitic) यानी जो जीव पचा-पचाया भोजन किसी अन्य जीव से प्रापत करे।

सहजीवी का मतलब (symbiotic) होता हे दो जीवों का इस तरह साथ-साथ रहना कि वे एक-दूसरे को मदद पहुंचाए और सामान्यत: इस मदद के बगैर उनका अस्तित्व संभव न हो।

मृतजीवी (saprophyte) यानी सड़े गले मृत जैविक पदार्थो से अपना भोजन प्रापत करने वाले पौधे ये जंगल में सड़ी-गली पत्तियों व कार्बनिक पदार्थों के ढेरों पर उगते हैं और इनमें भोजन बनाने वाला हरा पदार्थ क्लोरोफिल नहीं होता। मृतजीवी अपना भोजन मृत कार्बनिक पदार्थों से द्रव के रूप में ग्रहण करते है। इनमें ऐसे विषय एन्जाइम होते हैं, जो इनके शरीर से बाहर आकर मृत पदार्थों पर क्रिया करके उन्हें द्रव में बदल देते हैं। फिर ये पचे हुए द्रव पदार्थ विशेष चूषक अंगों द्वारा सोख लिए जाते हैं। ब्रेड, अचार, मुरब्बों और चमड़ों पर लगने वाली फफूंद ही इस मायने में मृतजीवी है।

क्या मोनोट्रोपा मृतजीवी पादप है?

Nature And Us
Nature And Us

मगर मोनोट्रोपा (Monotropa) सराकोडेस तथा नियोटिया और इपीपोगान जैसे कुछ आर्किडस को भी उच्चतर माध्यमिक और स्नातक स्तर की अधिकांश पाठ्य पुस्तकों में मृतजीवी ही कहा गया है। ये फूलधारी पौधे हैं। थोड़े गहराई में जाएं तो इनको मृतजीवी कहना उचित नहीं लगता। बल्कि इनका अध्ययन प्रकृति की खाद्य श्रृंखला के कुछ रोचक तथ्य (Some interesting facts about nature's food chain) उजागर करता है। मोनोट्रोपा और नियोटिया के बारे में यह तो बहुत पहले से ही ज्ञात था कि इनकी जड़ों पर जड़-फफूंद (मायकोराइजा) का जाल बिछा रहता है। यह माना गया था कि ये इसी फफूंद-जाल के माध्यम से सड़ी-गली पत्तियों और मृत जन्तुओं से अपना भोजन प्रापत करते हैं।

मोनोट्रोपा इंडिका (Monotropa Indica) एक क्लोरोफिल रहित क्रीम रंग का पौधा है जो अधिकतर चीड़ (पाइन), ओक और स्प्रूस जैसे पेड़ों की छाया तले सड़ी-गली पत्तियों के बीच उगता पाया जाता है। सड़ी-गली पत्तियों के बीच उगने के कारण इसके मृतजीवी होने की पुष्टि सी हो गई।

चीड़ और स्प्रूस के पेड़ों की जडों के आसपास उगने के कारण इसे बाद में जड़ परजीवी भी कहा गया। परन्तु इन पेड़ों की जड़ों से इसका कोई भौतिक संबंध न मिलने के कारण इस मत को खारिज कर दिया गया।

मोनोट्रोपा का सच क्या है

आगे चलकर गहराई से छानबीन करने पर पता चला कि मोनोट्रोपा का सच (truth of monotropa) कुछ और ही है और इस कहानी में एक तीसरा पात्र भी है। वह तीसरा पात्र है तो वहीं फफूंद मगर उसकी वास्तविक भूमिका कापुी समय बाद स्पष्ट हो पाई।

यह भूमिका स्पष्ट होने पर पता चला कि उपरोक्त सारे मत कुछ हद तक सही हैं। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि मोनोट्रोपा ओर चीड़ व स्प्रूस के पेड़ (Spruce) एक-दूसरे से सीधे चाहे न जुउे हों मगर एक जड़ फफूंद बोलीटस के जरिए अवश्य जुड़े रहत हैं। यह फफूंद (fungus) मोनोट्रोपा की जड़ों (Roots of Monotropa) और पोषक पेड़ की जड़ों के बीच एक सेतु की तरह काम करती है।

बाजार्कमैन ने अपने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि बोलीटस फंफूद (boletes fungus) पोषक पेड़ (चीड़ व स्प्रुस) से मानोट्रोपा को पोषक पदाथ्र उपलब्ध कराती रहती है। इसे सिद्ध करने के लिए उन्हें कुछ रोचक प्रयोग किए। इनमें आइसोटोप तकनीक का उपयोग किया गया था।

मोनोट्रोपा मृतजीवी है या परजीवी?

कभी-कभी प्रकृति में एक ही तत्व के एकाधिक रूप पाए जाते हैं। जिन्हें हम आइसोटोप (Isotopes) कहते हैं। ये रासायनिक रूप से तो एक जैसे होते हैं मगर इनमें कुछ ऐसे ऊतक होते हैं कि इन्हें अलग-अलग पहचाना जा सकता है। मसलन कार्बन तीन रूपों में पाया जाता है- कार्बन-12 कार्बन-13 और कार्ब-14। तो बाजार्कमैन ने ऐसा ग्लूकोज लिया जिसमें जान-बूझकर कार्बन-14 का उपयोग किया गया था। कार्बन रेडियोसक्रिय होता है। यानी अब वे देख सकते थे कि यह कर्बन 14 युक्त ग्लूकोज कहा-कहां जाता है।

इसी प्रकार से उन्होंने चिन्हित फॉस्फोरस वाले भी कुछ पदार्थ लिए। उन्होंने देखा कि जब चीड़ के पेड़ में रेडियो सक्रिय ग्लूकोज ओर फास्फोरस को इंजेक्शन से प्रविष्ट कराया जाता है तो कुछ ही समय पश्चात ये दोनों चिन्हित पदार्थ 1-2 मीटर दूर उग रहे मोनोट्रोपा की काया में मिलते हैं।

इस प्रयोग के आधार पर बाजार्कमैन ने मोनोट्रोपा को मृतजीवी की बजाय परजीवी घोषित किया।

अत: कुल मिलाकर मोनोट्रोपा (Monotropa plant in Hindi) एक तिहरा तंग है जिसमें एक हरा भरा विशाल पेड़ (चीड़ या स्प्रूस), क्लोरोफिल रहित एक छोटा शाकीय पौधा (मोनोट्रोपा) और जड़ फफूंद (बोलीटस) एक दूसरे से जुड़े हैं। इसमें तीन विभिन्न जीव एक पोषण तंत्र बनाते हैं। अत: मानोट्रोपा को अब और मृतजीवी मानना ठीक नहीं। यह तो परजीवी फूलधरी पौधा है जो फफूंद के माध्यम से अपना पोषण किसी और पेड़ से प्राप्त करता है।

डॉ. किशोर पंवार

Monotropa plant in Hindi

(देशबन्धु में प्रकाशित लेख का संपादित रूप साभार)

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