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पलाश विश्वास
मां की पुण्यतिथि है।
भाई पद्दोलोचन ने एक कविता लिखी है
मेरी माँ की आज पुण्यतिथि है। उन्हें प्रणाम। भाई पद्दोलोचन ने उनकी स्मृति कुछ इस तरह प्रस्तुत की है :
आज
माँ की 14 वीं पुण्य तिथि है
उनकी अगनिगत कथाओं के साथ
हम सभी भाई बहन पले बढ़े.
उन्हें याद करते हुए
साथियो मैं आपको बताते चलूँ कि
मां सपने वादी थी
बाग्लां लिखना और पढ़ना
विशेष कर रामायण गीता और श्री कृण्ण राधा के प्रकाण्ड भक्त थी
उनके लिए रात दिन का कोई मतलब नहीं थी जब चाहा किताबें लेकर
जोर जोर पढ़ना शुरु कर देती थी
पिताजी को उनकी इस तरह पढ़ने के कारण अक्सर नींद में खलल होता था
इसलिए झगड़ा भी हो जाया करता था
मेरे बड़े भाई पलाश दा भी
माँ के इस आदत से परेशान होते थे
लेकिन
मां कलाकार थी
चाय के कप में
चूना घोल कर हमारे मिट्टी के घर में
हरे कृण्ण हरे कृण्ण और आलेखन
फूल और उनके मन मुताबिक तस्वीर बनाती थी
मेरी छोटी बहन इस कारण
मां से चिढ़ती थी
क्योंकि वह लिपाई पुताई करती थी
वह गीत अच्छी गाती थी
और कभी हिन्दी फिल्मों के गीतों की
पैरोडी कमाल की करती थी
मां मजाकिया तो थी ही लेकिन
समझदार थी
शायद
इसलिए पुलिन विश्वास
पुलिन बाबु बन सके
पलाश विश्वास
पलाश बन सके
मां
सपने वादी थी
गांव की अच्छी खबर
हम सभी से साझा करती थी
कहती थी
जैथा धर्मों
तथा जय
सच वादी थी
इसलिए
मां की रसोई से
हमारे रिश्तेदार हाथ की कमाल की सफाई कर देते थे
मां प्रकृति प्रेमी थी
फल दार पेड़
जो आज खड़े हैं
मां की देन है
गांव में पक्के मकान देखकर
सड़क से आंचल में बीन कर
दो चार पत्थर लाती थी
मेरा छोटा भाई पचांनन
इसको लेकर मां से बहस करता था
मां कहती थी
आज नहीं तो कल हमारे भी पक्का घर होगा पर उनके जीवन काल में
यह सपना पूरा
नहीं हुआ
अफसोस
लेकिन वही पत्थर हमारे धर की नींव में है हमें इसबा त का सुकून है कि बरसों से
मैं जिस सपने के साथ जी रहा हूँ
वह है वसन्ती वाटिका
जिसका नारा है
दिल
देश
दुनिया
और
इस
प्रोजेक्ट का प्रतीक चिन्ह है
मां के रोपे वह पेड़
जिनकी हर शाखाओं के बहुत बड़ा दायरा है
मेरे इस सपने वादी प्रोजेक्ट के साथ
देश गांव के वे तमाम साथी हैं
जिनकी नींद उड़ाती है सपने और हैं मेरे साथ पन्त नगर रेडियो 90.8
मां
के नाम से बसा गांव वसन्तीपुर
जो आज कक्रींट के जगंल में तव्दील हो गया है
वहां मैं सपनों साथ यदि रह रहा हूँ
तो वह मां की सोच है जो
एक अदृश्य ताकत के साथ मेरे
आस पास है
मां
कितनी भी बीमार हो
डा0
जे एन सरकार के अतिरिक्त किसी को
दिखाती नहीं थी
हम जीवन भर डॉ. साहब के ऋणी रहेंगें एक और बात
मां
दीदी यानि
सुबीर गोस्वामी की मां के हाथ की चाय पीये बगैर आती नहीं थी
दिनेशपुर से
मां
कभी सास बहु
सीरियल नहीं किया
बड़ी भाभी सविता विश्वास मां की बहुत प्रिय थी
लगातार बीमार
और आप्रेशनों से भाभी चिड़चिड़ी हो गयी तो मां
घर के सबको कहा
कि
भाभी के बातों से नाराज मत होना
डॉ.
ने
गलती से
बदंर की नाड़ी भाभी को
लगा दिया है
साथियों
मां के साथ बिताये वे दिन भुलाये नहीं भूलते वे फाके और खुश नुमा हसौड़ दिन
आज
।4 वीं पुण्य तिथि पर उन्हें
बहुत स्नेह।