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आज़मगढ़ में बीडीसी की हत्या : रिहाई मंच ने पूछा, क्या पंचायत जनप्रतिनिधियों की जान की कीमत नहीं होती है ?

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hastakshep
12 Feb 2021
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आज़मगढ़ में बीडीसी की हत्या : रिहाई मंच ने पूछा, क्या पंचायत जनप्रतिनिधियों की जान की कीमत नहीं होती है ?

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आज़मगढ़ में बीडीसी की हत्या के बाद परिजनों से रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की

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After the murder of BDC in Azamgarh, Rajeev Yadav, General Secretary of the Rihai Manch, met the family and demanded strict action against the culprits.

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आज़मगढ़ 12 फरवरी 2021. आज़मगढ़ में बीडीसी सदस्य मोहम्मद आलम की दिन दहाड़े हत्या के बाद रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने परिजनों से मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.

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प्रतिनिधि मंडल में अधिवक्ता विनोद यादव, लक्ष्मण प्रसाद, अवधेश यादव और हीरालाल शामिल रहे.

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रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि आज़मगढ़ में एक के बाद एक पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या साबित करती है कि कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. अशरफपुर निवासी मोहम्मद आलम जो कि विकलांग थे उनकी दिन दहाड़े हत्या ने एक बार फिर सवाल उठाया कि क्या पंचायत जनप्रतिनिधियों की जान की कीमत नहीं होती है.

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उन्होंने मांग की कि एक जनप्रतिनिधि को सुरक्षा न दे पाने की जिम्मेदारी लेते हुए मोहम्मद आलम की पत्नी को नौकरी, चार वर्षीय बेटी की शिक्षा की जिम्मेदारी लेते हुए मृतक परिवार को उनकी मांग के अनुरूप आर्थिक सहायता दी जाए.

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राजीव यादव ने मोहम्मद आलम के भतीजे मुजस्सम समेत परिजनों-ग्रामीणों से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम अभी नहीं हुआ है. आलम के बहुत से परिजन मुंबई में थे, जो मिट्टी में आ रहे हैं. आलम के भतीजे मुजस्सम बताते हैं कि वे अंजान शहीद वलीमे में गए थे वहां से आलम जुमे को ध्यान में रखते हुए बाजार गए और वहां से जब वे अपनी एक्टिवा गाड़ी चार पहिया वाली, जो विकलांगों के लिए होती है,से लौट रहे थे तो रास्ते में कुछ लोगों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी.

वे बताते हैं कि बनकट बाजार से ही उनका पीछा वे लोग कर रहे थे. घटना स्थल के बारे में पूछने पर कहते हैं कि काफी भीड़ हो गई थी और उनको बेहोशी सी आ गई थी तो बहुत कुछ याद नहीं. कुछ वक्त में वहां पुलिस आ गई थी.

मृतक के गांव के दौरे के बाद मंच महासचिव ने कहा कि आगामी पंचायत चुनाव और स्थानीय स्तर पर आपसी विवाद कहीं न कहीं हत्या की वजह रही. ग्रामीणों के मुताबिक आलम सामाजिक कार्यों और खेतीबाड़ी का काम करते थे. मुख्तार अंसारी के साथ आलम की फ़ोटो को लेकर हो रही चर्चा पर राजीव ने कहा कि वे बीडीसी सदस्य थे ऐसे में न जाने कितने नेताओं-कार्यकर्ताओं से मिलनाजुलना रहा होगा. गांव में एक बहस यह भी थी कि कुछ लोग नहीं चाहते थे कि आलम चुनाव लड़े.





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