पिछले 6 वर्षों में सरकार कितनी खरी उतरी है? एक लेखा-जोखा ऐतिहासिक तथ्यों के साथ

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hastakshep
18 Jun 2020
पिछले 6 वर्षों में सरकार कितनी खरी उतरी है? एक लेखा-जोखा ऐतिहासिक तथ्यों के साथ

नगीना खान का बेहद प्रासंगिक लेख | Nagina Khan's very relevant article

महत्वपूर्ण सवाल यह है कि पिछली सरकारों की असफलताओं का रिपोर्ट कार्ड (Report card of failures of previous governments) दिखाकर वर्तमान सरकार जिन मुद्दों को आधार बनाकर, जिस प्रकार जनता के पूर्ण बहुमत से (2014) सत्ता में आई और 2019 में एक बार फिर भाजपा पर जनता ने विश्वास जताया। पिछले 6 वर्षों में सरकार उस पर कितनी खरी उतरी है?

पिछली सरकारें (2014 से पहले की) अपनी नाकामी/ असफलता का परिणाम स्वयं भोग चुकी हैं लेकिन वर्तमान सरकार को भी यह नही भूलना चाहिए कि रोजगार, विकास, बैंक, शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य इत्यादि मुद्दों पर सरकार कितनी खरी उतरी?

जैसा कि हम जानते हैं कि देश का पहला चुनाव सन् 1937 में हुआ था इसके लिए 1935 में ब्रिटिश संसद ने भारतीयों को प्रांतीय शासन के प्रबंध का अधिकार दिए गए थे। हालांकि भारत में चुनाव की प्रक्रिया (Election process in India) आजादी के पहले शुरू हो चुकी थी लेकिन तब इसका राजनैतिक दायरा ब्रिटिश हिंदुस्तान के 11 प्रान्तों तक ही सिमटा हुआ था। रियासतों की जनता तब तक चुनाव प्रक्रिया से महरूम थी।

When was the first election of independent India

स्वतंत्र भारत का पहला चुनाव 25, अक्टूबर 1951 को हुआ जोकि फ़रवरी 1952 में चुनाव ख़त्म हुए। भारत के गणतंत्र बनने के एक दिन पहले चुनाव आयोग का गठन (First Election Commission formed) किया गया था। जवाहरलाल नेहरू के सुझाव पर सुकुमार सेन को पहला मुख्य चुनाव आयुक्त (Sukumar Sen was an Indian civil servant who was the first Chief Election Commissioner of India) किया गया।

जुमला बनाम हकीकत

16 मई 2014 को भाजपा पिछले 30 वर्षों के दौरान लोकसभा चुनाव में अपने दम पर बहुमत हासिल करने वाली पार्टी बनकर उभरी। 23 मई 2019 को एक बार फिर से जनता ने भाजपा की सरकार पर विश्वास जताया लेकिन सवाल अब भी वही है। विपक्ष ओर जनता के सवालों का जवाब देना सत्तारूढ़ पार्टी का कर्तव्य है।

14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकी हमने में CRPF के 40 जवान शहीद हुए। ये देश सुरक्षा की बहुत बड़ी चूक थी। हमले की ज़िम्मेदारी इस्लामिक आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद ने ली। अब सटीक जानकारी नहीं कि RDX की गाड़ी या गाड़ी में RDX आया कहाँ से????

17 अप्रैल 2019 की तारीख अमृतसर के हवाई अड्डे से मुंबई के छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए रात 10.30 बजे एयरवेज के विमान ने अंतिम उड़ान भरी थी जोकि इतिहास में याद रखी जाएगी। जिसके कारण करीब 22 हजार लोगों की नौकरियां प्रभावित हुई। रोजगार पर सवाल करना गुनाह है!

#5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का एलान किया। किस तरह आनन- फानन में इस कवायद को अंजाम दिया गया ये किसी से छिपा नही है। महीनों तक कश्मीर के लोगों को जीवन के अधिकार से वंचित रखा गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 19 में दिए अधिकारों को किस तरह अतिक्रमण किया गया, ये समझना रॉकेट साइंस नहीं है।

30 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने कई बैंकों के आपस में विलय कर, 10 बैंकों की जगह केवल चार राष्ट्रीयकृत बैंक करने का एक बड़ा फैसला लिया, जबकि पहले से मौजूद आठ अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों को मिलाकर देश में सरकारी बैंकों की संख्या केवल 12 रह जाएगी।

9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या विवाद पर रामलला के हक में निर्णय सुनाया। ऐतिहासिक फैसला सुनाया। फैसले में अदालत ने कहा कि 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन ही रहेगी और मुस्लिम पक्ष को नई मस्जिद बनाने के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन देने के भी निर्देश दिया।

26 नवंबर को चार लोगों ने तेलंगाना में एक 27 वर्षीय युवा महिला पशु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसे जिंदा ही जला दिया। निर्भया केस के बाद एक ट्रेंड ही चल पड़ा कंठुआ, उन्नाव लिस्ट लंबी है, इस तरह की वारदातों की। निर्भया केस (2012) के बाद जस्टिस वर्मा कमेटी का गठन हुआ ओर उनकी सिफारिशों के आधार पर मौजूदा कानूनों में बदलाव किया गया पर इन सबके बाद भी महिला सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं किया जा सका।

हालाकिं तेलंगाना केस में पुलिस ने बड़ी तत्परता दिखाते हुए 6 दिसंबर को चारों आरोपियों को पुलिस ने एन्काउंटर कर मार गिराया। इस पर भी दो तबके थे एक एनकाउंटर पर खुशी जाहिर करते पुलिस का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहा था वहीं दूसरा एनकाउंटर पर जायज़ सवाल करता मौजूद था।

दिल्ली के तिहाड़ जेल में 20 मार्च को निर्भया केस के चारों अभियुक्तों को फांसी दे दी गई. सवाल यहीं खत्म नहीं यहाँ से एक सवाल उठा कि क्या मात्र फाँसी ही इसका उपाय है???????

11 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) राज्यसभा से भी पारित हुआ और CAB रातोंरात CAA बन गया। लेकिन भारत की जनता ने इस कानून का पुरज़ोर विरोध किया। देश में एक नया संग्राम छिडा़। हम सब एक बड़े महिला आंदोलन के गवाह बने। विरोध असम में शुरू होते-होते, इसकी चिंगारी प. बंगाल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश दूसरे राज्यों में फैल गई। वहीं दिल्ली सहित अलीगढ़ में छात्रों और महिलाओं पर पुलिस की हिंसा किसी से छिपी नहीं। पुलिस व गुंडागर्दों जेएनयू और जामिया मिल्लिया में छात्रों के हॉस्टेल व लाइब्रेरी में घुसकर हिंसा को अंजाम दिया।

उत्तर प्रदेश सरकार ने तो हद पार करदी। लोगों पर लाखों-करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के झूठे केस न सिर्फ दर्ज कराए बल्कि उनकी तस्वीरों व पते के साथ होर्डिंग भी सार्वजनिक स्थलों पर लगवाए।

नगीना खान - Nagina Khan युवा अधिवक्ता व कानून शिक्षिका हैं। नगीना खान - Nagina Khan युवा अधिवक्ता व कानून शिक्षिका हैं।

अभी CAA ओर NRC का विरोध जारी ही था कि 30 जनवरी को भारत में कोविड-19 का केस ट्रेक हो गया। संक्रमण की आज की स्थिति किसी से छिपी नहीं।

महामारी में ताली, थाली, मोमबत्ती जैसे सारे टोटकों के साथ प्रधान सेवक का उचित प्रबंधन और महामारी को अवसर की तरह देखना, आत्मनिर्भर बनना सब तरीके आपको सुझा दिए गए हैं।

बाकी प्रवासी मजदूर, असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले मेहनतकश, रोज़गार, आर्थिक संकट व भुखमरी के चलते आत्महत्या, ASER की रिपोर्ट, स्वास्थ्य सेवाएं इनपर बात करने की ज़रूरत अब आप जानिए।

नगीना खान

(नगीना खान युवा अधिवक्ता व कानून शिक्षिका हैं।)

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