Hastakshep.com-देश-killing of Indira Gandhi-killing-of-indira-gandhi-Modi's victory-modis-victory-Punjab problem-punjab-problem-Terrorism in Punjab-terrorism-in-punjab-इंदिरा गांधी की हत्या-indiraa-gaandhii-kii-htyaa-पंजाब में आतंकवाद-pnjaab-men-aatnkvaad-पंजाब समस्या-pnjaab-smsyaa-मोदी की जीत-modii-kii-jiit

2019 में मिली जीत के तानाशाही के खतरे 1984 से बड़े हैं

1984 में जब कांग्रेस 400 से ज्यादा सीटें लेकर आई थी, तब ‘रविवार’ में सच्चिदानंद सिन्हा ने कवर स्टोरी लिखी थी ‘खतरे लोकतांत्रिक तानाशाही के’, उसमें उन्होंने कहा था कि विशाल बहुमत की सरकारें तानाशाह हो जाती हैं।

मैंने भी तब ‘रविवार’ में ही लिखा था कि जिस कांग्रेस ने पंजाब समस्या (Punjab problem) को बढ़ावा दिया, पंजाब में आतंकवाद (Terrorism in Punjab) की आग को भड़क जाने दिया, उस कांग्रेस को 400 सीटें देना महज इंदिरा गांधी की हत्या (killing of Indira Gandhi) से उपजी सहानुभूति है। यह भी लिखा था कि जिस तरह से इंदिरा गांधी की मृत देह को तीन दिन तक लगातार दूरदर्शन पर दिखाया गया, वह शर्मनाक था। सिख विरोधी दंगे तो देश के नाम पर कलंक थे ही।

आज 2019 में भी ये बातें अप्रासंगिक नहीं हैं। मोदी की जीत (Modi's victory) भी 1984 की जीत से अलग नहीं है। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या थी, तो 2019 में पुलवामा है, बाला कोट है, मुसलमान हैं। जिस तरह से देश की जनता ने ‘हिंदू’ बनकर सिखों के खिलाफ वोट दिया था, इस बार मुसलमानों के खिलाफ वोट दिया गया है।

हम 2014 से लोकतांत्रिक तानाशाही में जी रहे हैं। 2019 में मिली जीत के तानाशाही के खतरे बड़े हैं।

सलीम अख्तर सिद्दीकी

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Loading...

हस्तक्षेप को सपोर्ट करें

हस्तक्षेप आप जैसे सुधी पाठकों को सहयोग से संचालित होता है। हस्तक्षेप का रोज का डोज के साथ, हमारा उद्देश्य न केवल आपको दिन भर की सुर्खियों से अवगत कराना है, बल्कि ग्राउंड रिपोर्ट और डॉक्यूमेंट्री से लेकर विचार और विश्लेषण तक - हमारी कवरेज को क्यूरेट करना है। देश और दुनिया की खबरों के लिए हस्तक्षेप का डेली न्यूजलेटर पढ़ें। अगर आपको हमारा काम पसंद है, तो मेंबर बनकर हमें सपोर्ट करें.

Post Loading...

Post Loading...

Post Loading...