बहुत दिन पुरानी बात है
थोड़ी-थोड़ी भूल गई थोड़ी-थोड़ी याद है
जंगल था, नदियां थीं, झरने थे, हिरण थे,
काफी पुरानी बात है जंगल था, जंगल में आदमी थे
गोली चली, नदियां गंदी हो गईं, झरने सूख गए
पता चला हिरन अपने आप मरा था !
लोगों को यह बात लोगों की अदालत से पता चला
थोड़ी-थोड़ी भूल गई थोड़ी-थोड़ी याद है।
फिर सब बदल गया राम राज सा आ गया,
सबका मन हर्ष आ गया
उम्मीदें बनीं सपना सजा,
लगा काला धन क्या गया,
अचानक नोटबंदी हुई घर में तंगी हुई
मौतें हुईं सड़कों पर बाप की,
बेटियों की शादी में मुश्किल हुई,
पता चला लोग अपने समय से मरते हैं।
काफी जमाने बाद अदालत से फैसला आया
राम मंदिर की नींव रखी गई
वैसे मस्जिद अपने आप गिर गई
आज कोई दोषी नहीं, दोष किसी का होता भी नहीं।
अभी-अभी ताजी-ताजी बात है
जिस देश में हिरण खुद मरते हैं
मस्जिदें खुद गिरती हों
लोग सड़कों पर रेल की पटरियों पर सोकर कट कर मरते हैं
वहां आश्चर्य, रामराज्य ही हो सकता है !
सारा मलिक
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Sara Malik, सारा मलिक, लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।