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New partnership to develop and commercialize bone disorders drug technology
सीडीआरआई और अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी एवेता बायोमिक्स के बीच साझेदारी | Partnership between CRDI and American pharmaceutical company Aveta Biomics
Aveta Biomics, USA and CSIR-CDRI, Lucknow Announce License to Aveta Biomics for the Development and Commercialization of First-in-Class Bone Health Drugs
नई दिल्ली, 02 फरवरी 2022: वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित घटक प्रयोगशाला सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) और अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी एवेता बायोमिक्स के बीच एक नई साझेदारी हुई है। इस साझेदारी के अंतर्गत कैवियुनिन-आधारित औषधि संयोजन की सीएसआईआर-सीडीआरआई की पेटेंटेड प्रौद्योगिकी का विशेष लाइसेंस एवेता बायोमिक्स को दिये जाने की घोषणा की गई है।
कैवियुनिन स्कैफोल्ड युक्त दवा मौखिक रूप से दी जाने वाली दवा है, जिसमें एंटी-कैटोबोलिक (हड्डी के टूटने की रोकथाम) और एनाबॉलिक (नई हड्डी निर्माण) दोनों गुण होते हैं। सीएसआईआर-सीडीआरआई के वक्तव्य में बताया गया है कि यह दवा दूसरे चरण के नैदानिक परीक्षण के लिए तैयार है। हड्डी स्वास्थ्य (Bone Health) हेतु इस दवा के ऑस्टियोपोरोसिस, फ्रैक्चर उपचार, ऑस्टियोआर्थराइटिस और अन्य एंडोक्रिनोलॉजिकल विकारों में व्यापक अनुप्रयोग हैं। सीएसआईआर-सीडीआरआई और एवेता बायोमिक्स के बीच साझेदारी इस दवा प्रौद्योगिकी का चिकित्सीय विकास और व्यावसायीकरण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ द्वारा एवेता बायोमिक्स, यूएसए को विशेष लाइसेंस दिये जाने की घोषणा से कैवियुनिन-आधारित औषधि संयोजनों की सीडीआरआई की पेटेंटेड प्रौद्योगिकी का आगे नैदानिक विकास और व्यावसायीकरण का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा, जाएगा जिससे वह लोगों को शीघ्र उपलब्ध हो सके।
सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक डॉ प्रोफेसर तपस कुमार कुंडू ने कहा, "यह लाइसेंस नवोन्मेषी विज्ञान की क्षमता का एक प्रतिमान है, जो हमारे वैज्ञानिकों की सशक्त एवं विश्व-स्तरीय अनुसंधान उत्पादकता के मूल्य को प्रदर्शित करता है। हमने एवेता बायोमिक्स द्वारा यूएस-एफडीए से कैंसर के उपचार हेतु उनकी वानस्पति दवाओं (बोटेनिकल ड्रग्स) के चार क्लीनिकल आईएनडी प्राप्त करने के उनके बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उनके साथ हाथ मिलाया है। इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि सीडीआरआई के इस शोध के माध्यम से दुनिया भर में अस्थि संबंधित विकारों (रोगों) के साथ रहने वाले लोगों के लिए एक उत्तम औषधि तैयार की जा सकेगी।"
एवेता बायोमिक्स के सीईओ डॉ पराग जी॰ मेहता ने बताया कि "ऑस्टियोपोरोसिस एक पुरानी बीमारी है, जिसके लिए जीवन भर उपचार की आवश्यकता होती है। घटते प्रभाव और प्रतिकूल घटनाओं के बढ़ते जोखिम के कारण वर्तमान में उपलब्ध दवाओं की उपचार अवधि 1-5 वर्ष (दवा के आधार पर) के बीच है। कैवियुनिन-आधारित चिकित्सा में ऑस्टियोपोरोसिस के लिए देखभाल के वर्तमान मानकों को बदलने की बहुत बड़ी क्षमता है। इसका संभावित लाभ जोखिम प्रोफाइल, लंबे समय तक उपयोग के लिए वांछनीय प्रभाव और सुरक्षा; वर्तमान में उपलब्ध किसी भी दवा से कम नहीं है, बल्कि श्रेष्ठ ही होने की पूरी उम्मीद है।" आगे उन्होंने कहा कि "हम मरीजों के लिए इस नई दवा को लाने के लिए उत्साहित हैं, और हमें खुशी है कि हम सीएसआईआर-सीडीआरआई टीम की गूढ़ वैज्ञानिक जानकारी से लाभ उठा सकते हैं।
सीएसआईआर-सीडीआरआई के एंडोक्रिनोलॉजी डिविजन से डॉ. रितु त्रिवेदी की टीम ने दिखाया है कि कैवियुनिन स्केफोल्ड एक लक्षित अभिक्रिया प्रणाली रखता है, जो हड्डी के टूटने की प्रक्रिया को रोकती है, नई हड्डी के गठन को आधार प्रदान करती है, और साथ ही हड्डी के टर्नओवर मार्करों को भी कम करती है। एक दशक से चल रहे सीडीआरआई के इस शोध ने प्रथम श्रेणी की दवा विकसित करने हेतु एक नया आयाम प्रदान किया है, जो रोगग्रस्त व्यक्ति के माइक्रोबायोम को संशोधित करने की क्षमता रखता है।
हड्डियों का द्रव्यमान कम होने से बढ़ जाता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा
दुनिया भर में, हर तीन में से एक महिला और 50 वर्ष से अधिक उम्र के हर पाँच पुरुषों में से एक को ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर की आशंका (risk of osteoporosis) रहती है। अकेले अमेरिका में, 50 वर्ष से अधिक आयु के अनुमानित एक करोड़ लोग ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त हैं, जहाँ हर दो में से एक महिला अपने जीवनकाल में एक बार नाजुक फ्रैक्चर से अवश्य से पीड़ित होती है। अमेरिका में 43 मिलियन से अधिक लोगों में हड्डियों का द्रव्यमान (bone mass) कम है, जिससे उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा (risk of osteoporosis) बढ़ जाता है। विश्व स्तर पर, वर्ष 2019 में, 17.8 करोड़ नये फ्रैक्चर और फ्रैक्चर से जुड़े विकारों के 45.5 करोड़ मामले रिकॉर्ड किए गए थे। वहीं, इंडियन सोसाइटी फॉर बोन ऐंड मिनरल रिसर्च (आईएसबीएमआर) के अनुसार पाँच करोड़ भारतीय महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं।
(इंडिया साइंस वायर)
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