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पानी और बुलबुलों से जुड़ा नया शोध जल परिवहन में उपयोगी हो सकता है

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hastakshep
22 Jan 2021
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Water problem analysis: New research involving water and bubbles can be useful in water transport

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नई दिल्ली, 22 जनवरी 2021 : विज्ञान आम जन-जीवन को सुगम और समृद्ध बनाने के लिए सदैव प्रयत्नशील है। वैज्ञानिकों ने सोने का एक ऐसा सूक्षम सब्सट्रेट विकसित किया है, जो पानी के साथ-साथ ट्यूनेबल वेटेबिलिटी से लैस बुलबुले (Bubbles equipped with tunable wettability) को पीछे धकेलने में समर्थ है।

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जानिए वेटेबिलिटी क्या है | What does wettability mean? |Know what is wettability in Hindi

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वेटेबिलिटी वास्तव में किसी तरल पदार्थ की एक ठोस सतह के साथ संपर्क बनाए रखने की क्षमता है। यह सतह एवम् अंतर सतह विज्ञान के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण गुण माना जाता है। इसका प्रभाव कई जैव रासायनिक प्रक्रियाओं, संवेदन, माइक्रोफ्लुइडिक्स, जल परिवहन, स्वयं-सफाई के कार्यों और औद्योगिक प्रक्रियाओं में देखा जाता है।

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इस नए माइक्रोस्ट्रक्चर का उपयोग माइक्रोफ्लूडिक उपकरण एवंबायोसेंसर को डिजाइन करने में किया सकता है।

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यह जल परिवहन एवं साफ-सफाई के कार्यों में उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

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इसकी कार्य-विधि के बारे में बताया जा रहा है कि सब्सट्रेट की सतह की ऊर्जा में ट्यूनेबिलिटी की वजह से ट्यूनेबल वेटेबिलिटी का उभार होता है, जिसका उपयोग जल परिवहन में प्रवाह की दिशा को अनुकूल एवं अपेक्षित दिशा देने से लेकर साफ-सफाई के विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जा सकता है। 

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान ‘सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज’(सीईएनएस)के डॉ. पी. विश्वनाथ और उनकी टीम ने आकार से जुड़े ढाल को प्रदर्शित करने वाला सब्सट्रेट विकसित किया है, जो सतह की ऊर्जा में परिवर्तन के कारण वेटेबिलिटी को सक्रिय करने में सहायता करता है। सब्सट्रेट में आकार से जुड़ी ढाल गुम्बदनुमा से लेकर अण्डाकार छिद्रों तक होती है।'

सब्सट्रेट पर प्रत्येक स्थिति में पानी और तेल को गीला करने से जुड़े अध्ययन से पता चला है कि आकृति विज्ञान के साथ ठोस सतह पर बने रहने की सामर्थ्य वाले तरल का समन्वय संभव है।

इस शोध प्रक्रिया में सब्सट्रेट ने जल विरोधी (हाइड्रोफोबिक) प्रकृति को दिखाया, जो कि ऑक्टाडकेन थिओल नाम के एक कार्बन-अल्किल श्रृंखला के साथ पानी में घुलनशील सल्फर यौगिक के एक सेल्फ-असेंबल्ड मोनोलेयर के साथ लेपित होने पर बढ़ जाता है। इस लेपन की वजह से सतह की ऊर्जा में कमी आती है, जो बदले में जल विरोधी (हाइड्रोफोबिक) व्यवहार में वृद्धि को संभव बनाती है।

सब्सट्रेट पर पानी के सतह के नीचे वेटेबिलिटी की जांच से पता चला है कि यह मुख्य रूप से बुलबुले को पीछे धकेलता है।

ऑक्टाडकेन थिओल के लेपन के साथ क्रियाशील होने पर ही यह तेल को पीछे धकेलता है। इस पर काम करने वाली एक शोधार्थी बृंधु मालानी एस. ने बताया कि यह अध्ययन माइक्रोफ्लुइडिक उपकरणों एवंबायोसेंसर को डिजाइन करने में और जल परिवहन में उपयोगी साबित होंगे।

केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से अंतरदेशीय जलमार्गों को पुनर्जीवित करने की दिशा में प्रयास कर रही है। भारत प्राचीन काल से ही जल परिवहन के मामले में अत्यंत समृद्ध रहा है, परंतु कालांतर में थलमार्ग और वायुमार्गों की अपेक्षा  देश के आंतरिक इलाकों में आवाजाही के लिए जल परिवहन का दायरा सिकुड़ता गया. जबकि जल परिवहन न केवल सुगम है, बल्कि इसमें थल मार्ग की तुलना में रखरखाव का खर्चा भी कम होता है। यही कारण है कि सरकार जल-परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में काफी प्रयास कर रही है और इसके लिए कई मार्ग चिन्हित भी किए गए हैं।

इस क्षेत्र में भारी संभावनाओं को प्रारूप देने के प्रयासों में यह नई शोध उपयोगी हो सकती है। शोध के निष्कर्ष ‘जर्नल ऑफ़ एप्लाइड फिजिक्स’ में प्रकाशित किये गए हैं।

(इंडिया साइंस वायर)

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